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यमुनानगर के कलेसर जंगल में लगी भीषण आग पर पाया गया काबू

यमुनानगर के कलेसर जंगल की बागपत,खिजरी और खिलांवाला बीट में अचानक आग लग गई. समय रहते वन कर्मचारियों ने आग पर काबू पा लिया.

Yamunanagar a fire broke out in Kalesar forest
यमुनानगर कलेसर जंगल आग लेटेस्ट न्यूज
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Published : Mar 4, 2021, 9:02 AM IST

यमुनानगर:जिले के कलेसर जंगल में आग लगने का मामला सामने आया है.बता दें कि कलेसर जंगल की बागपत, खिजरी और खिलांवाला बीट में अचानक आग लग गई.समय रहते हुए वन कर्मचारियों ने आग पर काबू पा लिया. यदि आग भड़क जाती तो भारी नुकसान हो सकता था.

बता दें कि इन दिनों तेज हवाएं चल रही हैं. कलेसर जंगल की सीमा उत्तराखंड के जंगल से सटी हुई है. वन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेसर जंगल की खिजरी, बागपत और खिलांवाला बीट में देर रात अचानक आग भड़क उठी. आग की सूचना मिलते ही वन विभाग की 3 टीमों ने मिलकर आग पर काबू पा लिया.

ये भी पढ़ें: डीजीपी मनोज यादव पर सख्त हुए गृह मंत्री अनिल विज, इस केस में मांगा स्पष्टीकरण

वन विभाग की टीम आसपास के लोगों से इस बारे में पूछताछ भी कर रही है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह ग्राउंड फायर थी. जिसे तुरंत कंट्रोल कर लिया गया है. वन विभाग का दावा है कि आग से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.वन विभाग ने बताया कि ऐसा भी हो सकता है कि शरारती तत्वों ने आगजनी की घटना को अंजाम दिया हो.

जंगल में आग की घटना को लेकर थाना प्रताप नगर में केस दर्ज करा दिया गया है. थाना प्रभारी बलराज का कहना है कि आग के कारणों की छानबीन शुरू कर दी गई. जल्दी ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

ये भी पढ़ें: फरीदाबाद निगम कर्मचारियों ने अधिकारी पर जूते से मारने की धमकी देने का लगाया आरोप

बता दें कि 8 दिसंबर 2003 को नेशनल पार्क का क्षेत्र 11570 एकड़ होने पर उसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था. राष्ट्रीय उद्यान के पास कलेसर वन्य जीव अभयारण्य है. इसका क्षेत्र 13209 एकड़ है. इसे 13 दिसंबर 1996 में अधिसूचित किया गया था. जंगल में काफी वन्य प्राणी हैं. खैर और सागवान के ज्यादा पेड़ हैं.

जंगल में सुरक्षा के लिए वन कर्मचारी तैनात रहते हैं. 2010, 2012 और 2013 में जंगल में आगजनी की घटना हो चुकी है. उस दौरान आग से काफी नुकसान हुआ था. जानकारों का यह भी मानना है कि तस्कर आगजनी की घटना को अंजाम देते हैं. जिससे अवैध कटाई के चिन्ह मिट जाएं. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सूखी घास को खत्म करने के लिए भी आगजनी जैसी घटना को अंजाम दिया जाता है.

यमुनानगर:जिले के कलेसर जंगल में आग लगने का मामला सामने आया है.बता दें कि कलेसर जंगल की बागपत, खिजरी और खिलांवाला बीट में अचानक आग लग गई.समय रहते हुए वन कर्मचारियों ने आग पर काबू पा लिया. यदि आग भड़क जाती तो भारी नुकसान हो सकता था.

बता दें कि इन दिनों तेज हवाएं चल रही हैं. कलेसर जंगल की सीमा उत्तराखंड के जंगल से सटी हुई है. वन विभाग के अधिकारियों ने जानकारी देते हुए बताया कि कलेसर जंगल की खिजरी, बागपत और खिलांवाला बीट में देर रात अचानक आग भड़क उठी. आग की सूचना मिलते ही वन विभाग की 3 टीमों ने मिलकर आग पर काबू पा लिया.

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वन विभाग की टीम आसपास के लोगों से इस बारे में पूछताछ भी कर रही है. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि यह ग्राउंड फायर थी. जिसे तुरंत कंट्रोल कर लिया गया है. वन विभाग का दावा है कि आग से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है.वन विभाग ने बताया कि ऐसा भी हो सकता है कि शरारती तत्वों ने आगजनी की घटना को अंजाम दिया हो.

जंगल में आग की घटना को लेकर थाना प्रताप नगर में केस दर्ज करा दिया गया है. थाना प्रभारी बलराज का कहना है कि आग के कारणों की छानबीन शुरू कर दी गई. जल्दी ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

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बता दें कि 8 दिसंबर 2003 को नेशनल पार्क का क्षेत्र 11570 एकड़ होने पर उसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था. राष्ट्रीय उद्यान के पास कलेसर वन्य जीव अभयारण्य है. इसका क्षेत्र 13209 एकड़ है. इसे 13 दिसंबर 1996 में अधिसूचित किया गया था. जंगल में काफी वन्य प्राणी हैं. खैर और सागवान के ज्यादा पेड़ हैं.

जंगल में सुरक्षा के लिए वन कर्मचारी तैनात रहते हैं. 2010, 2012 और 2013 में जंगल में आगजनी की घटना हो चुकी है. उस दौरान आग से काफी नुकसान हुआ था. जानकारों का यह भी मानना है कि तस्कर आगजनी की घटना को अंजाम देते हैं. जिससे अवैध कटाई के चिन्ह मिट जाएं. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि सूखी घास को खत्म करने के लिए भी आगजनी जैसी घटना को अंजाम दिया जाता है.

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