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नागरिकता संशोधन एक्ट पर साधु समाज की प्रतिक्रिया, कहा- राष्ट्र की सद्भावना के शत्रु न बनें

नागरिकता संशोधन कानून पर जहां एक और पूरे देश में घमासान मचा हुआ है, वहीं अब इस कानून के समर्थन में पहली बार साधु समाज भी खुलकर सामने आ रहा है.

sadhu samaj's reaction to the citizenship amendment act
नागरिकता संशोधन एक्ट पर साधु समाज की प्रतिक्रिया
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Published : Dec 21, 2019, 3:11 PM IST

यमुनानगर: नागरिकता संशोधन कानून पर जहां एक और पूरे देश में घमासान मचा हुआ है, वहीं अब इस कानून के समर्थन में पहली बार साधु समाज भी खुलकर सामने आ रहा है. अंतरराष्ट्रीय संत गीता मनीषी स्वामी ज्ञानचंद ने कहा कि इस कानून का विरोध करने वाले तत्व शांति और सद्भाव को नहीं समझते हैं और सरकार भी लोगों को इस कानून के बार में कायदे से समझआ नहीं पा रही है और न ही लोग इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं

'CAA आनादि काल से चली आ रही पंरपरा की है झलक'
उन्होंने कहा कि ये कानून अनादि काल से चली आ रही भारत की परंपरा की झलक है. जिसमें शरण में आने वाले हर व्यक्ति को सम्मान दिया जाता था. फिर चाहे शरणार्थी भगवान राम की शरण में आया हो या फिर कृष्ण की शरण में. हर काल में सभी शरणार्थियों का सम्मान होता था. ठीक उसी प्रकार इस कानून में भी शरण में आए हुए को सम्मान और अधिकार देने की ही बात हैं.

नागरिकता संशोधन एक्ट पर साधु समाज की प्रतिक्रिया

'राष्ट्र की सद्भावना के शत्रु न बनें'
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज देश को जरूरत हैं तो बस शरणार्थी और राष्ट्र गौरव को ठेस पहुंचाने वाले घुसपैठियों में अंतर समझाने की और इस कानून का विरोध करने वाले तत्व भी इस कानून को समझे और राष्ट्र की सद्भावना के शत्रु न बने.

'राष्ट्र गौरव को लेकर देश ने बनाई अपनी पहचान'
वहीं मौजूदा सरकार की सराहना करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने यह भी कहा कि 2014 से पहले सूरज को काले बादलों ने ढक रखा था और सांस्कृतिक परंपराओं, राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्र गौरव को लेकर देश ने फिर से अपनी फिर अलग पहचान बनाई हैं.

ये भी पढ़ें: CAA पर अभिनेत्री परिणीति के ट्वीट के बाद हरियाणा में क्यों मचा बवाल, जानें पूरा सच

यमुनानगर: नागरिकता संशोधन कानून पर जहां एक और पूरे देश में घमासान मचा हुआ है, वहीं अब इस कानून के समर्थन में पहली बार साधु समाज भी खुलकर सामने आ रहा है. अंतरराष्ट्रीय संत गीता मनीषी स्वामी ज्ञानचंद ने कहा कि इस कानून का विरोध करने वाले तत्व शांति और सद्भाव को नहीं समझते हैं और सरकार भी लोगों को इस कानून के बार में कायदे से समझआ नहीं पा रही है और न ही लोग इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं

'CAA आनादि काल से चली आ रही पंरपरा की है झलक'
उन्होंने कहा कि ये कानून अनादि काल से चली आ रही भारत की परंपरा की झलक है. जिसमें शरण में आने वाले हर व्यक्ति को सम्मान दिया जाता था. फिर चाहे शरणार्थी भगवान राम की शरण में आया हो या फिर कृष्ण की शरण में. हर काल में सभी शरणार्थियों का सम्मान होता था. ठीक उसी प्रकार इस कानून में भी शरण में आए हुए को सम्मान और अधिकार देने की ही बात हैं.

नागरिकता संशोधन एक्ट पर साधु समाज की प्रतिक्रिया

'राष्ट्र की सद्भावना के शत्रु न बनें'
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज देश को जरूरत हैं तो बस शरणार्थी और राष्ट्र गौरव को ठेस पहुंचाने वाले घुसपैठियों में अंतर समझाने की और इस कानून का विरोध करने वाले तत्व भी इस कानून को समझे और राष्ट्र की सद्भावना के शत्रु न बने.

'राष्ट्र गौरव को लेकर देश ने बनाई अपनी पहचान'
वहीं मौजूदा सरकार की सराहना करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने यह भी कहा कि 2014 से पहले सूरज को काले बादलों ने ढक रखा था और सांस्कृतिक परंपराओं, राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्र गौरव को लेकर देश ने फिर से अपनी फिर अलग पहचान बनाई हैं.

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Intro:
एंकर - नागरिक्ता सशोंधन कानून पर जहां एक और पूरे देश में घमासान मचा हुआ हैं, वहीं अब इस कानून के समर्थन में पहली बार साधू समाज खुलकर सामने आया हैं। अंतराष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने अपने यमुनानगर दौरे के दौरान एक खास मुलाकात में कहा, कि इस कानून का विरोध करने वाले तत्व शांति और सद्भाव के मूल्यों को नही समझते। और सरकार द्वारा भी इस कानून को लेकर न तो ठीक से समझाया जा रहा हैं, और ना ही ठीक से समझा जा रहा हैं। दरअसल यह कानून शरण में आए हुए व्यक्ति को सम्मान और अधिकार देना हैं। जो पूरे देश के साथ-साथ विरोध करने वाले तत्वों को भी समझना चाहिए।Body:वीओ - अंतराष्ट्रीय संत महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज इन दिनों यमुनानगर दौरे पर हैं। अपने भक्तों को दर्शन और आशीर्वाद देने के बाद स्वामी ज्ञाननंद जी महाराज मीडिया से मुखातिब हुए। और उन्होंने नागरिक्ता संशोधन कानून का विरोध करने वालें लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि इस कानून को लेकर न तो ठीक से समझाया जा रहा हैं, और न ही समझा जा रहा है। ऐसे में जो तत्व शांति और सद्भाव के मूल्य नही समझते वह इसे बे-वजह हवा देने का काम कर रहें हैं। गीता मनीषी ज्ञानानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि उनका ऐसा मानना हैं कि नागरिक्ता सशोंधन कानून में किसी का विरोध करने लायक कुछ हैं ही नही। यह कानून अनादि काल से चली आ रही भारत की परंपरा की झलक हैं जिसमें शरण में आने वाले हर व्यक्ति को सम्मान दिया जाता था। फिर चाहे शरणार्थी श्री राम जी की शरण में आया हो या फिर श्री कृष्ण जी की शरण में। हर काल में सभी शरणार्थियों का सम्मान होता था। ठीक उसी प्रकार इस कानून में भी शरण में आए हुए को सम्मान और अधिकार देने की ही बात हैं। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज देश को जरूरत हैं तो बस शरणार्थी और राष्ट्र गौरव को ठेस पहुंचाने वाले घुसपैठियों में अंतर समझने की। और इस कानून का विरोध करने वाले तत्व भी इस कानून को समझे और राष्ट्र की सद्भावना के क्षत्रु ना बने।


वीओ 2 - इस अवसर पर मौजूदा सरकार की सराहना करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि 2014 से पहले सूरज को काले बादलों ने ढके रखा था। पिछले सालों में देश में चली अनुकूल ब्यार से कुछ काले बादल कटे और कुछ छटे हैं। सांस्कृतिक परंपराओं, राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्र गौरव को लेकर देश ने फिर से अपनी पहचान बनाई हैं। योग को पूरा विश्व मानने लगा हैं, और पूरी दुनियां योग दिवस मनाने लगी हैं। भागवत गीता को धीरे-धीरे सारे देश अपनी प्रेरणा बनाते जा रहे हैं। गीता महोत्सव करवाने के लिए कई देश उत्सुक्ता दिखा रहें हैं। कुल मिलाकर हर क्षेत्र में भारत की परंपराएं सम्मान पा रही हैं। ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कोई भी देश आधुनिक्ता को लेकर भले कितना ही विकास कर ले मगर जबतक कोई भी देश अपनी मूल परंपराओं का सम्मान कर उन्हें साथ लेकर नही चलेगा तब तक वह देश वास्तविक सम्मान नही पा सकता। मौजूदा सरकार में भारत अपनी संस्कृति की तरफ लौट रहा हैं।
बाईट - महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, अंतराष्ट्रीय संत
Conclusion:
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