यमुनानगर: नागरिकता संशोधन कानून पर जहां एक और पूरे देश में घमासान मचा हुआ है, वहीं अब इस कानून के समर्थन में पहली बार साधु समाज भी खुलकर सामने आ रहा है. अंतरराष्ट्रीय संत गीता मनीषी स्वामी ज्ञानचंद ने कहा कि इस कानून का विरोध करने वाले तत्व शांति और सद्भाव को नहीं समझते हैं और सरकार भी लोगों को इस कानून के बार में कायदे से समझआ नहीं पा रही है और न ही लोग इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं
'CAA आनादि काल से चली आ रही पंरपरा की है झलक'
उन्होंने कहा कि ये कानून अनादि काल से चली आ रही भारत की परंपरा की झलक है. जिसमें शरण में आने वाले हर व्यक्ति को सम्मान दिया जाता था. फिर चाहे शरणार्थी भगवान राम की शरण में आया हो या फिर कृष्ण की शरण में. हर काल में सभी शरणार्थियों का सम्मान होता था. ठीक उसी प्रकार इस कानून में भी शरण में आए हुए को सम्मान और अधिकार देने की ही बात हैं.
'राष्ट्र की सद्भावना के शत्रु न बनें'
स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आज देश को जरूरत हैं तो बस शरणार्थी और राष्ट्र गौरव को ठेस पहुंचाने वाले घुसपैठियों में अंतर समझाने की और इस कानून का विरोध करने वाले तत्व भी इस कानून को समझे और राष्ट्र की सद्भावना के शत्रु न बने.
'राष्ट्र गौरव को लेकर देश ने बनाई अपनी पहचान'
वहीं मौजूदा सरकार की सराहना करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने यह भी कहा कि 2014 से पहले सूरज को काले बादलों ने ढक रखा था और सांस्कृतिक परंपराओं, राष्ट्रीय स्वाभिमान और राष्ट्र गौरव को लेकर देश ने फिर से अपनी फिर अलग पहचान बनाई हैं.
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