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एशिया की सबसे बड़ी प्लाईवुड इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार, 'राहत पैकेज से फायदा नहीं'

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Published : May 17, 2020, 1:32 PM IST

यमुनानगर में प्लाईवुड के बड़े उद्योग 360 के करीब हैं, लघु उद्योगों को मिलाकर जिले में 1000 के लगभग छोटे बड़े उद्योग हैं. जिले के प्लाईवुड एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी ने ईटीवी भारत के खास बातचीत में बताया कि लॉकडाउन से पहले रोजाना करीब 50 करोड़ रुपये के करीब प्रोडक्शन होता था. जो अब घटकर 10 करोड़ रह गया है.

Asia largest plywood industry
Asia largest plywood industry

यमुनानगर: लॉकडाउन का सीधा असर एशिया के सबसे बड़े प्लाईवुड उद्योग भी पड़ा है. उद्योगपतियों के मुताबिक इस उद्योग को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार ने 20 लाख रुपये के राहत पैकेज का ऐलान जरूर किया है, लेकिन इससे हमें कोई ज्यादा फायदा मिलने वाला नहीं है.

बता दें कि यमुनानगर में प्लाईवुड के बड़े उद्योग 360 के करीब हैं, लघु उद्योगों को मिलाकर जिले में 1000 के लगभग छोटे बड़े उद्योग हैं. जिले के प्लाईवुड एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी ने ईटीवी भारत के खास बातचीत में बताया कि लॉकडाउन से पहले रोजाना करीब 50 करोड़ रुपये के करीब प्रोडक्शन होता था. जो अब घटकर 10 करोड़ रह गया है.

एशिया की सबसे बड़ी प्लाईवुड इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार

प्लाईवुड एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी ने कहा कि जब भी ऐसी कोई आर्थिक मंदी आती है तो उसमें डिमांड की कमी रहती है और डिमांड की कमी को उभारने के लिए हमेशा से ये नियम रहा है कि सरकारें टैक्स काम करती हैं. अब भी डिमांड को बढ़ाने के लिए जीएसटी कम किया जाना चाहिए. जिससे डिमांड बढ़ेगी.

क्या हैं उद्योगपतियों की मांगें?

  • जीएसटी कम किया जाना चाहिए
  • इंडस्ट्री पर बैंक के जो ब्याज लगे हैं उन पर रियायत हो
  • 20 परसेंट लिमिट बढ़ाने का जो पैकज दिया है उसपर ब्याज की दर 5% सीमित रखी जाए.

जेके बहानी ने कहा कि हरियाणा सरकार को प्लाईवुड इंडस्ट्री से करीब 80 करोड़ के लगभग रेवेन्यू जाता है. वहीं ऑल इंडिया प्लाईवुड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट दिवेन्दर चावला ने कहा कि लॉक डाउन के कारण इंडस्ट्री को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है, लॉकडाउन पूरा होने के बाद बाद ही ठीक से आंकलन किया जा सकेगा कि इस इंडस्ट्री को कितना नुकसान पहुंचा है.

सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक राहत पैकेज पर दिवेन्द्र चावला ने कहा कि ये पैसा सीधा इंडस्ट्रीज को नहीं दिया जा रहा है. ये लोन के रूप में आएगा. उन्होंने कहा कि कर्जा ही लेना है और कर्जे में तो पहले ही डूब रहे हैं इसलिए ये कोई बहुत राहत की बात नहीं है.

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत से बोले केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत- लॉकडाउन से नुकसान तो हुआ, पर फायदे भी कम नहीं

देविंदर चावला ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया और कहा कि सरकार लेबर को रोकने में नाकामयाब रही. क्योंकि अगर लेबर ही नहीं रहेगी तो इंडस्ट्री कहां से चलेगी और और बिना इंडस्ट्री के स्टेट क्या करेगा. बिना इंडस्ट्री के सरकार को रिवेन्यू कहां से मिल पाएगा?

प्लाईवुड इंडस्ट्री को हो रहा करोड़ों का नुकसान

यमुनानगर में एशिया की सबसे बड़ी प्लाईवुड इंडस्ट्री है, यहां पर छोटी और बड़ी लगभग 650 प्लाईवुड की फैक्ट्रियां हैं. जिनमें पचास हजार से ज्यादा लेबर काम करती है. यमुनानगर जिले में बोर्ड की 370 यूनिट हैं, इसके अलावा पीलिंग, आरा और चिप्पर की 800 के करीब यूनिट हैं. जहां से लकड़ी का सामान बनाकर उन्हें देश और विदेशों में भी सप्लाई किया जाता है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां बंद होने से उद्योगों को अरबों का नुकसान हो रहा है.

उद्योग बंद होने से भारी तादाद में कामगार प्रभावित

प्लाईवुड इंडस्ट्री का काम ठप होने से उसका असर किसानों, ट्रांसपोर्टरों और मजदूरों पर भी पड़ा है. क्योंकि प्लाईवुड के लिए पॉपुलर किसान उगाते हैं, जो अब इन फैक्ट्रियों में नहीं आ रहा है. जिस ट्रांसपोर्ट के जरिए कच्चा माल फैक्ट्रियों तक पहुंचता है, वो ट्रक भी यूं ही खड़े हैं और इसलिए एक बहुत बड़ी वर्किंग चेन पर इसका असर पड़ा है.

खराब हो रहा है फैक्ट्रियों के अंदर पड़ा कच्चा माल

अचानक ही लॉकडाउन होने की वजह से फैक्ट्रियों के अंदर काफी कच्चा माल पड़ा है और खराब हो रहा है. इसलिए प्लाईवुड फैक्ट्रियों के मालिक सरकार से फैक्ट्रियों के अंदर ही मौजूद मजदूरों की मदद से कुछ दिनों के लिए फैक्ट्रियां चलाने की इजाजत मांग रहे हैं. ताकि उनका नुकसान कुछ कम हो सके.

यमुनानगर: लॉकडाउन का सीधा असर एशिया के सबसे बड़े प्लाईवुड उद्योग भी पड़ा है. उद्योगपतियों के मुताबिक इस उद्योग को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है. उद्योगपतियों का कहना है कि सरकार ने 20 लाख रुपये के राहत पैकेज का ऐलान जरूर किया है, लेकिन इससे हमें कोई ज्यादा फायदा मिलने वाला नहीं है.

बता दें कि यमुनानगर में प्लाईवुड के बड़े उद्योग 360 के करीब हैं, लघु उद्योगों को मिलाकर जिले में 1000 के लगभग छोटे बड़े उद्योग हैं. जिले के प्लाईवुड एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी ने ईटीवी भारत के खास बातचीत में बताया कि लॉकडाउन से पहले रोजाना करीब 50 करोड़ रुपये के करीब प्रोडक्शन होता था. जो अब घटकर 10 करोड़ रह गया है.

एशिया की सबसे बड़ी प्लाईवुड इंडस्ट्री पर लॉकडाउन की मार

प्लाईवुड एसोसिएशन के प्रधान जेके बिहानी ने कहा कि जब भी ऐसी कोई आर्थिक मंदी आती है तो उसमें डिमांड की कमी रहती है और डिमांड की कमी को उभारने के लिए हमेशा से ये नियम रहा है कि सरकारें टैक्स काम करती हैं. अब भी डिमांड को बढ़ाने के लिए जीएसटी कम किया जाना चाहिए. जिससे डिमांड बढ़ेगी.

क्या हैं उद्योगपतियों की मांगें?

  • जीएसटी कम किया जाना चाहिए
  • इंडस्ट्री पर बैंक के जो ब्याज लगे हैं उन पर रियायत हो
  • 20 परसेंट लिमिट बढ़ाने का जो पैकज दिया है उसपर ब्याज की दर 5% सीमित रखी जाए.

जेके बहानी ने कहा कि हरियाणा सरकार को प्लाईवुड इंडस्ट्री से करीब 80 करोड़ के लगभग रेवेन्यू जाता है. वहीं ऑल इंडिया प्लाईवुड इंडस्ट्री के प्रेसिडेंट दिवेन्दर चावला ने कहा कि लॉक डाउन के कारण इंडस्ट्री को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है, लॉकडाउन पूरा होने के बाद बाद ही ठीक से आंकलन किया जा सकेगा कि इस इंडस्ट्री को कितना नुकसान पहुंचा है.

सरकार के 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक राहत पैकेज पर दिवेन्द्र चावला ने कहा कि ये पैसा सीधा इंडस्ट्रीज को नहीं दिया जा रहा है. ये लोन के रूप में आएगा. उन्होंने कहा कि कर्जा ही लेना है और कर्जे में तो पहले ही डूब रहे हैं इसलिए ये कोई बहुत राहत की बात नहीं है.

ये भी पढ़ें- ईटीवी भारत से बोले केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र शेखावत- लॉकडाउन से नुकसान तो हुआ, पर फायदे भी कम नहीं

देविंदर चावला ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाया और कहा कि सरकार लेबर को रोकने में नाकामयाब रही. क्योंकि अगर लेबर ही नहीं रहेगी तो इंडस्ट्री कहां से चलेगी और और बिना इंडस्ट्री के स्टेट क्या करेगा. बिना इंडस्ट्री के सरकार को रिवेन्यू कहां से मिल पाएगा?

प्लाईवुड इंडस्ट्री को हो रहा करोड़ों का नुकसान

यमुनानगर में एशिया की सबसे बड़ी प्लाईवुड इंडस्ट्री है, यहां पर छोटी और बड़ी लगभग 650 प्लाईवुड की फैक्ट्रियां हैं. जिनमें पचास हजार से ज्यादा लेबर काम करती है. यमुनानगर जिले में बोर्ड की 370 यूनिट हैं, इसके अलावा पीलिंग, आरा और चिप्पर की 800 के करीब यूनिट हैं. जहां से लकड़ी का सामान बनाकर उन्हें देश और विदेशों में भी सप्लाई किया जाता है. ऐसे में लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां बंद होने से उद्योगों को अरबों का नुकसान हो रहा है.

उद्योग बंद होने से भारी तादाद में कामगार प्रभावित

प्लाईवुड इंडस्ट्री का काम ठप होने से उसका असर किसानों, ट्रांसपोर्टरों और मजदूरों पर भी पड़ा है. क्योंकि प्लाईवुड के लिए पॉपुलर किसान उगाते हैं, जो अब इन फैक्ट्रियों में नहीं आ रहा है. जिस ट्रांसपोर्ट के जरिए कच्चा माल फैक्ट्रियों तक पहुंचता है, वो ट्रक भी यूं ही खड़े हैं और इसलिए एक बहुत बड़ी वर्किंग चेन पर इसका असर पड़ा है.

खराब हो रहा है फैक्ट्रियों के अंदर पड़ा कच्चा माल

अचानक ही लॉकडाउन होने की वजह से फैक्ट्रियों के अंदर काफी कच्चा माल पड़ा है और खराब हो रहा है. इसलिए प्लाईवुड फैक्ट्रियों के मालिक सरकार से फैक्ट्रियों के अंदर ही मौजूद मजदूरों की मदद से कुछ दिनों के लिए फैक्ट्रियां चलाने की इजाजत मांग रहे हैं. ताकि उनका नुकसान कुछ कम हो सके.

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