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यमुना किनारे लगने वाले छठ मेले को लेकर प्रशासन तैयार

शनिवार शाम को अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दे कर छठ का महापर्व शुरू होगा और रविवार को सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व की समाप्ति होगी.

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Published : Nov 1, 2019, 10:47 PM IST

यमुना किनारे होने वाले छठ महापर्व की तैयारियो का जायजा लेते मेयर मदन चौहान

यमुनानगर: यमुनानगर में छठ महापर्व की तैयारी जोरों पर हैं. शनिवार शाम को अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, इसके बाद रविवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होगा. यमुनानगर में बाड़ी माजरा पुल के नजदीक शनिवार शाम और रविवार सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा.

40-50 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद
यमुनानगर जिले में तीन जगह छठ पर्व का आयोजन किया जाता है. उनमें सबसे बड़ा आयोजन बाड़ी माजरा पुल के पास किया जाता है. यहां 40 से 50 हजार श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आते हैं. इसके साथ-साथ चिट्टा मंदिर के पास और हमीदा हेड के पास भी श्रद्धालुओं का तांता लग रहता है.

गश्त में मौजूद रहेंगे सुरक्षाकर्मी
यमुनानगर के बाड़ी माजरा में छठ पर्व पर होने वाली भीड़ को देखते हुए पुलिस कर्मियों की भी तैनाती की गई है. पुलिसकर्मियों ने यहां का जायजा भी लिया है.

यमुना किनारे लगने वाले छठ के मेले को लेकर प्रशासन तैयार

ये भी पढ़ें:पुरानी कैबिनेट के साथ सीएम की हुई बैठक, इन मुद्दों पर हुआ मंथन

मेयर ने लिया जायजा
यमुनानगर जगाधरी के मेयर मदन चौहान ने छठ की तैयारियों का जायजा लेते हुए कहा कि छठ पूजा के उपलक्ष्य में उन्होंने संबंधित सभी अधिकारियों की मीटिंग भी ली है और आज वह खुद जायजा लेने पहुंचे हैं. किसी तरह की कोई भी गंदगी ना हो इसीलिए यहां सभी घाटों पर सफाई करवाई जा रही है और जहां भी कमी नजर आ रही है, उसको अभी दुरुस्त कर लिया जाएगा. क्योंकि शनिवार शाम से यमुना किनारे लोग काफी बड़ी संख्या में पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं.

छठी मईया की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था. उनकी पत्नी का नाम था मालिनी. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और रानी दोनों की दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. यह यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं.

ये भी पढ़ें:टोहाना नागरिक अस्पताल में बना जिले का पहला हर्बल पार्क, जानें क्या है खासियत

लेकिन रानी को मरा हुआ बेटा पैदा हुआ. इस बात से राजा और रानी दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी. राजा प्रियव्रत इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्महत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बड़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं.

षष्ठी देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की. इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा.

ये भी पढ़ें:स्वास्थ्य विभाग ने टोहाना के 1188 घरों में किया सर्वे, 8 में मिला डेंगू लार्वा

यमुनानगर: यमुनानगर में छठ महापर्व की तैयारी जोरों पर हैं. शनिवार शाम को अस्ताचल गामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा, इसके बाद रविवार को उदयगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत पूरा होगा. यमुनानगर में बाड़ी माजरा पुल के नजदीक शनिवार शाम और रविवार सुबह सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाएगा.

40-50 हजार श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद
यमुनानगर जिले में तीन जगह छठ पर्व का आयोजन किया जाता है. उनमें सबसे बड़ा आयोजन बाड़ी माजरा पुल के पास किया जाता है. यहां 40 से 50 हजार श्रद्धालु सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आते हैं. इसके साथ-साथ चिट्टा मंदिर के पास और हमीदा हेड के पास भी श्रद्धालुओं का तांता लग रहता है.

गश्त में मौजूद रहेंगे सुरक्षाकर्मी
यमुनानगर के बाड़ी माजरा में छठ पर्व पर होने वाली भीड़ को देखते हुए पुलिस कर्मियों की भी तैनाती की गई है. पुलिसकर्मियों ने यहां का जायजा भी लिया है.

यमुना किनारे लगने वाले छठ के मेले को लेकर प्रशासन तैयार

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मेयर ने लिया जायजा
यमुनानगर जगाधरी के मेयर मदन चौहान ने छठ की तैयारियों का जायजा लेते हुए कहा कि छठ पूजा के उपलक्ष्य में उन्होंने संबंधित सभी अधिकारियों की मीटिंग भी ली है और आज वह खुद जायजा लेने पहुंचे हैं. किसी तरह की कोई भी गंदगी ना हो इसीलिए यहां सभी घाटों पर सफाई करवाई जा रही है और जहां भी कमी नजर आ रही है, उसको अभी दुरुस्त कर लिया जाएगा. क्योंकि शनिवार शाम से यमुना किनारे लोग काफी बड़ी संख्या में पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं.

छठी मईया की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम का एक राजा था. उनकी पत्नी का नाम था मालिनी. दोनों की कोई संतान नहीं थी. इस बात से राजा और रानी दोनों की दुखी रहते थे. संतान प्राप्ति के लिए राजा ने महर्षि कश्यप से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया. यह यज्ञ सफल हुआ और रानी गर्भवती हुईं.

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लेकिन रानी को मरा हुआ बेटा पैदा हुआ. इस बात से राजा और रानी दोनों बहुत दुखी हुए और उन्होंने संतान प्राप्ति की आशा छोड़ दी. राजा प्रियव्रत इतने दुखी हुए कि उन्होंने आत्महत्या का मन बना लिया, जैसे ही वो खुद को मारने के लिए आगे बड़े षष्ठी देवी प्रकट हुईं.

षष्ठी देवी ने राजा से कहा कि जो भी व्यक्ति मेरी सच्चे मन से पूजा करता है मैं उन्हें पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं. यदि तुम भी मेरी पूजा करोगे तो तुम्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी. राजा प्रियव्रत ने देवी की बात मानी और कार्तिक शुक्ल की षष्ठी तिथि के दिन देवी षष्ठी की पूजा की. इस पूजा से देवी खुश हुईं और तब से हर साल इस तिथि को छठ पर्व मनाया जाने लगा.

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Intro:




एंकर लोक आस्था का महापर्व छठ जो उत्तर भारत का सबसे खास पर्व माना जाता है जिसमें सूर्य की उपासना की जाती है और इस पर्व में सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है पति की लंबी उम्र व पुत्र की कामना के लिए पूर्वांचल का सुप्रसिद्ध तयौहार है।
इसे लेकर प् प्रशासन ने भी तैयारियां पूरी कर ली हैं इसी उपलक्ष में आज यमुनानगर जगाधरी में मदन चौहान ने भी यमुना किनारे का दौरा किया और सब तरह की व्यवस्था को जाना। ताके कल वहां पूजा करने जाने वाले लोगों को कोई भी असुविधा का सामना ना करना पड़े।

Body:वीओ। यमुनानगर जगाधरी के मेयर मदन चौहान का कहना है कि छठ पूजा के उपलक्ष में उन्होंने संबंधित सभी अधिकारियों की मीटिंग भी ली थी और आज वह खुद जायजा लेने पहुंचे हैं कि किसी तरह की कोई भी गंदगी ना हो इसीलिए यहां सभी घाटों पर सफाई करवाई जा रही है और जहां भी कमी नजर आ रही है उसको भी आज दुरुस्त कर लिया जाएगा क्योंकि कल यमुना किनारे लोग काफी बड़ी संख्या में पूजा करने के लिए इकट्ठा होते हैं।

बाइट मेयर मदन चौहान
Conclusion:
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