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सड़कों पर 'मौत' बनकर दौड़ रहे हैं ओवरलोडेड वाहन, खानापूर्ति में जुटे अधिकारी!

यमुनानगर की सड़कों पर यमदूत बन कर दौड़ रहे ओवरलोडेड वाहनों पर नकेल कसने में सबंधित विभाग नकारा साबित हो रहे हैं. विभागीय आंकड़े भी अधिकारियों द्वारा चालान के नाम पर की गई महज खानापूर्ति ही दर्शाते हैं.

सड़कों पर दौड़ते दिखे ओवरलोडेड वाहन
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Published : Apr 5, 2019, 8:20 PM IST

यमुनानगरः ओवरलोड वाहनों पर नकेल डालने में संबंधित विभाग नाकाम हो रहे हैं. जिसके चलते जिले के कई क्षेत्र डेंजर जोन बनकर रह गए हैं. इन मार्गों पर आए दिन सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती ही जा रही है. इसके बावजूद अधिकारी केवल काटे गए चालानों के आंकड़ों की बाजीगरी दर्शा अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहे हैं.

सड़कों पर दौड़ते दिखे ओवरलोडेड वाहन

पुलिस के सामने धड़ल्ले से चल रहा है ओवरलोडिंग का धंधा!
सरकार ने सड़कें सुरक्षित रहें इसके लिए वाहनों में कितना वजन ले जाया जाए, इसके वाहनों की क्षमता के अनुसार मानक तैयार किए हैं. इन मानको का उल्लंघन होने पर वाहन ओवरलोड माना जाता है. विभाग द्वारा उस पर भारी भरकम जुर्माने की व्यवस्था की गई है, लेकिन यहां पुलिस, वन और परिवहन विभाग के अधिकारियों के सामने ओवरलोड वाहन धड़ल्ले से जिले की सड़कों को रौंद रहे हैं.

'आए दिन ग्रामीण बन रहे सड़क दुर्घटना का शिकार'

ग्रामीणों से होती है अवैध वसूली!
हाल ही में तिगरा गांव के एक नौजवान फौजी की मौत से गुस्साए युवकों ने तो सीधे-सीधे खाकी पर सड़क दुर्घटना का आरोप लगा दिया था. ग्रामीणों का कहना था कि एंट्री के नाम पर अवैध वसूली कर पुलिसकर्मी ओवरलोडेड वाहनों को नहीं रोकते.

यमुनानगरः ओवरलोड वाहनों पर नकेल डालने में संबंधित विभाग नाकाम हो रहे हैं. जिसके चलते जिले के कई क्षेत्र डेंजर जोन बनकर रह गए हैं. इन मार्गों पर आए दिन सड़क दुर्घटनाएं बढ़ती ही जा रही है. इसके बावजूद अधिकारी केवल काटे गए चालानों के आंकड़ों की बाजीगरी दर्शा अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहे हैं.

सड़कों पर दौड़ते दिखे ओवरलोडेड वाहन

पुलिस के सामने धड़ल्ले से चल रहा है ओवरलोडिंग का धंधा!
सरकार ने सड़कें सुरक्षित रहें इसके लिए वाहनों में कितना वजन ले जाया जाए, इसके वाहनों की क्षमता के अनुसार मानक तैयार किए हैं. इन मानको का उल्लंघन होने पर वाहन ओवरलोड माना जाता है. विभाग द्वारा उस पर भारी भरकम जुर्माने की व्यवस्था की गई है, लेकिन यहां पुलिस, वन और परिवहन विभाग के अधिकारियों के सामने ओवरलोड वाहन धड़ल्ले से जिले की सड़कों को रौंद रहे हैं.

'आए दिन ग्रामीण बन रहे सड़क दुर्घटना का शिकार'

ग्रामीणों से होती है अवैध वसूली!
हाल ही में तिगरा गांव के एक नौजवान फौजी की मौत से गुस्साए युवकों ने तो सीधे-सीधे खाकी पर सड़क दुर्घटना का आरोप लगा दिया था. ग्रामीणों का कहना था कि एंट्री के नाम पर अवैध वसूली कर पुलिसकर्मी ओवरलोडेड वाहनों को नहीं रोकते.

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REPORTER    RAJNI SONI
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एंकर   यमुनानगर में ओवरलोड वाहनों पर नकेल डालने में संबंधित विभाग नाकाम हो रहे हैं । जिसके चलते जिले के कई क्षेत्र डेंजर जोन बनकर रह गए हैं । इन मार्गो पर जहां आए दिन सड़क दुर्घटनाएं हो रही है वहीं जिले के बच्चों के खून से सड़कें लाल हो रही हैं । अधिकारी केवल किये गए चालानों के आंकड़ो की बाजीगरी दर्शा अपनी पीठ थपथपाने का काम कर रहे हैं। 

वीओ   यमुना नगर की सड़कों पर यमदूत बन कर दौड़ रहे इन वाहनों पर नकेल डालने में सबंधित विभाग नकारा साबित हो रहे है। जिले की सड़कों पर बेखोफ दौड़ रहे इन ओवरलोड वाहनों पर कारवाई के नाम पर चलता है तो सिर्फ ओर सिर्फ एंट्री का चाबुक इसके पश्चात संबंधित विभाग के अधिकारिक लंबी तान कर सो जाते हैं । विभागीय आंकड़े भी विभागीय कर्मियों द्वारा चालान के नाम पर की गई महज खानापूर्ती ही दर्शाते हैं।  जिस जिले से हजारों वाहन प्रतिदिन गुजरते हैं वहां  ओवरलोड के केवल 4-5 चालान काटकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है। सरकार ने सडके सुरक्षित रहें इसके लिए वाहनों में कितना वजन ले जाया जाए, इसके वाहनों की क्षमता के अनुसार मानक तैयार किए हैं। इन मानको का उल्लंघन होने पर वाहन ओवरलोड माना जाता है। विभाग द्वारा उस पर भारी भरकम जुर्माने की व्यवस्था की गई है लेकिन यहां पुलिस ,वन व परिवहन विभाग के अधिकारियों के सामने ओवरलोड वाहन धड़ल्ले से जिले की सड़कों को रौंद रहे हैं लेकिन जिम्मेदार विभाग इन वाहनों को देखकर भी आंखें मूंदे हुए हैं। आए दिन जिले में सड़क दुर्घटनाओं के चलते लोग असमय काल का ग्रास बन रहे हैं हाल ही में गांव तिगरा के एक नौजवान फौजी की मौत से गुस्साए युवकों ने तो सीधे-सीधे खाकी पर सड़क दुर्घटना का आरोप लगा दिया था। ग्रामीणों का कहना था कि एंट्री के नाम पर अवैध वसूली करने वाले पुलिसकर्मी यातायात व्यवस्था बनाने की बजाय आंखें मूंदकर एंट्री वसूलने के पश्चात इन वाहनों को सड़के रोदने का  गेट पास देते हैं।

बाइट    सुरेश ( खिजराबाद निवासी)


वीओ आपने देखा कि किस प्रकार ओवरलोड वाहनों का जिक्र आते ही रोकने का जिम्मा अपने कंधों पर सम्भाले विभाग के अधिकारी क्या तर्क दे रहे हैं। विभागीय कर्मियों की कमी का हवाला देने के साथ-साथ वह जो आंकड़े प्रस्तुत कर रहे हैं उसके हिसाब से प्रतिदिन की एवरेज केवल चार और पांच वाहन ही बनते हैं। सवाल यह है कि जिस जिले से हजारों वाहन गुजरते हैं वहाँ विभाग महज खानापूर्ति के नाम पर चार और पांच वाहनों का चालान कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर रहा है।

बाईट आर टी ओ. सुरेंद्र रेढू

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