यमुनानगरः भारत नदियों का देश है और यहां पर नदियों का अपना ही एक महत्व है. यहां गंगा को जितना पवित्र माना जाता है, यमुना को भी उतना ही पूजा जाता है. सरस्वती नदी का अपना अलग ही महत्व है. लेकिन जिस सरस्वती का नाम हर जुबां पर है, आज वही अपना अस्तित्व तलाश रही है.
सबसे पुरानी और बड़ी नदीं आज विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है. हालात ये हैं कि सरस्वती नदी का पानी देख पाना भी बहुत मुश्किल हो गया है. हालांकि भारत और हरियाणा सरकार सरस्वती को नया जन्म देने के तमाम दावे करते हैं, लेकिन नदी के हालात देखकर लगता है, सारे प्रोजेक्ट्स ठंडे बस्ते में पड़े हैं.
खतरे में सरस्वती का अस्तित्व
चार वेदों में शामिल ऋग्वेद में कई दफा सरस्वती नदी का जिक्र आया है. इसके मुताबिक सरस्वती के एक तरफ यमुना है और दूसरी तरफ सतलुज और इनके बीच वह पहाड़ों से निकलती है. सरस्वती को यहां 'सिंधुभि पिन्वमाना' यानि अपनी सहायक नदियों से खूब जल लेने वाली नदी कहा गया है. वेदों के मुताबिक सरस्वती नदी उत्तराखण्ड की शिवालिक पर्वतमाला से अपनी यात्रा शुरू कर अरब सागर में मिलती थी. लेकिन आज ये नदी विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है.
2014 में हुई प्रोजेक्ट की शुरुआत
हरियाणा में 2014 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी थी और चार महीने बाद ही सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड (एसएचडीबी) का गठन हो गया. राज्य में सरस्वती को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी इसे ही सौंपी गई. हरियाणा में सरस्वती का 153 किमी लंबा प्रवाहक्षेत्र माना जाता है.
राज्य सरकार के भू-अभिलेखों के मुताबिक सरस्वती का अधिकांश प्रवाह क्षेत्र यमुना नगर, कैथल और कुरुक्षेत्र जिले में पड़ता है. एसएचडीबी ने फिलहाल आदि बद्री से लेकर यमुनानगर जिले के ऊंचा चांदना और जिले के अंतिम गांव झींवरेहड़ी तक खुदाई करके सरस्वती नदी का प्रवाह क्षेत्र तैयार किया है.
2015 में यहां मिली सरस्वती!
2015 को यमुनानगर जिले के मुगलांवाली गांव में सरस्वती के संभावित प्रवाह क्षेत्र में खुदाई का काम चल रहा था. तभी एक जगह छह फीट की गहराई पर मजदूरों को नमी वाली मिट्टी मिलनी शुरू हुई. फिर एक फीट और खोदने पर यहां पानी निकल आया. ये खबर हरियाणा से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आग की तरह फैल गई.
हरियाणा सरकार ने तुरंत दावा कर दिया कि यही विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का पानी है. राज्य सरकार ने 21 अप्रैल को सरस्वती के प्रवाह क्षेत्र में खुदाई का काम शुरू करवाया था और इससे बीजेपी सरकार की 'सरस्वती पुनर्जीवन परियोजना' को नया जन्म मिला. हालांकि इस पानी की जांच से अभी तक ये प्रमाणित नहीं हो पाया है कि ये विलुप्त हो चुकी सरस्वती का ही पानी है.
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क्या कहना है पर्यटन मंत्री का?
इस बारे हरियाणा सरकार में पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर से बात की तो उनका कहना था कि हरियाणा सरकार ने बांध बनाने का प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा हुआ है. उन्होंने कहा कि आजकल बांध बनाने के लिए एनजीटी के साथ-साथ और भी परमिशन लेनी पड़ती है तभी ये बांध बनाए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि 12 बांध बनाए जाने का प्रपोजल है जैसे ही वहां से अनुमति मिलती है बांध बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा.
कब होगा गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम?
गौरतलब है कि भारत सरकार के साथ-साथ हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. हरियाणा सरकार दावे करती है कि सरस्वती को फिर से जिंदा करने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है.
उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही देश में एक बार फिर से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी का संगम होगा. हालांकि 2015 में शुरू हुई खुदाई कुछ महीने तो काफी जोर-शोर से चली लेकिन अब लगता है ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है. देखना ये होगा कि आखिर कब जाकर सरकार के ये प्रोजेक्ट धरातल पर उतरकर सरस्वती का नया जीवन देते हैं.