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ठंडे बस्ते में सरस्वती को बचाने की योजना, अभी तक शुरू नहीं हुआ काम - सरस्वती हेरिटेज डेवलेपमेंट बोर्ड हरियाणा

सरस्वती नदी की चर्चा विश्व के प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद में भी है. उत्तराखण्ड की शिवालिक पर्वतमाला से अपनी यात्रा शुरू कर अरब सागर में मिलने वाली ये नदी विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है. जानें विस्तार से...

saraswati heritage development board project
ठंडे बस्ते में पड़ा SHDB प्रजेक्ट! देखिए रिपोर्ट
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Published : Dec 10, 2019, 2:59 PM IST

Updated : Dec 10, 2019, 5:08 PM IST

यमुनानगरः भारत नदियों का देश है और यहां पर नदियों का अपना ही एक महत्व है. यहां गंगा को जितना पवित्र माना जाता है, यमुना को भी उतना ही पूजा जाता है. सरस्वती नदी का अपना अलग ही महत्व है. लेकिन जिस सरस्वती का नाम हर जुबां पर है, आज वही अपना अस्तित्व तलाश रही है.

सबसे पुरानी और बड़ी नदीं आज विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है. हालात ये हैं कि सरस्वती नदी का पानी देख पाना भी बहुत मुश्किल हो गया है. हालांकि भारत और हरियाणा सरकार सरस्वती को नया जन्म देने के तमाम दावे करते हैं, लेकिन नदी के हालात देखकर लगता है, सारे प्रोजेक्ट्स ठंडे बस्ते में पड़े हैं.

ठंडे बस्ते में पड़ा SHDB प्रजेक्ट! देखिए रिपोर्ट

खतरे में सरस्वती का अस्तित्व
चार वेदों में शामिल ऋग्वेद में कई दफा सरस्वती नदी का जिक्र आया है. इसके मुताबिक सरस्वती के एक तरफ यमुना है और दूसरी तरफ सतलुज और इनके बीच वह पहाड़ों से निकलती है. सरस्वती को यहां 'सिंधुभि पिन्वमाना' यानि अपनी सहायक नदियों से खूब जल लेने वाली नदी कहा गया है. वेदों के मुताबिक सरस्वती नदी उत्तराखण्ड की शिवालिक पर्वतमाला से अपनी यात्रा शुरू कर अरब सागर में मिलती थी. लेकिन आज ये नदी विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है.

2014 में हुई प्रोजेक्ट की शुरुआत
हरियाणा में 2014 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी थी और चार महीने बाद ही सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड (एसएचडीबी) का गठन हो गया. राज्य में सरस्वती को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी इसे ही सौंपी गई. हरियाणा में सरस्वती का 153 किमी लंबा प्रवाहक्षेत्र माना जाता है.

राज्य सरकार के भू-अभिलेखों के मुताबिक सरस्वती का अधिकांश प्रवाह क्षेत्र यमुना नगर, कैथल और कुरुक्षेत्र जिले में पड़ता है. एसएचडीबी ने फिलहाल आदि बद्री से लेकर यमुनानगर जिले के ऊंचा चांदना और जिले के अंतिम गांव झींवरेहड़ी तक खुदाई करके सरस्वती नदी का प्रवाह क्षेत्र तैयार किया है.

2015 में यहां मिली सरस्वती!
2015 को यमुनानगर जिले के मुगलांवाली गांव में सरस्वती के संभावित प्रवाह क्षेत्र में खुदाई का काम चल रहा था. तभी एक जगह छह फीट की गहराई पर मजदूरों को नमी वाली मिट्टी मिलनी शुरू हुई. फिर एक फीट और खोदने पर यहां पानी निकल आया. ये खबर हरियाणा से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आग की तरह फैल गई.

हरियाणा सरकार ने तुरंत दावा कर दिया कि यही विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का पानी है. राज्य सरकार ने 21 अप्रैल को सरस्वती के प्रवाह क्षेत्र में खुदाई का काम शुरू करवाया था और इससे बीजेपी सरकार की 'सरस्वती पुनर्जीवन परियोजना' को नया जन्म मिला. हालांकि इस पानी की जांच से अभी तक ये प्रमाणित नहीं हो पाया है कि ये विलुप्त हो चुकी सरस्वती का ही पानी है.

ये भी पढ़ेंः जानिए महाराजा सूरजमल का असल इतिहास, जिस वजह से पानीपत फिल्म पर मचा है बवाल

क्या कहना है पर्यटन मंत्री का?
इस बारे हरियाणा सरकार में पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर से बात की तो उनका कहना था कि हरियाणा सरकार ने बांध बनाने का प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा हुआ है. उन्होंने कहा कि आजकल बांध बनाने के लिए एनजीटी के साथ-साथ और भी परमिशन लेनी पड़ती है तभी ये बांध बनाए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि 12 बांध बनाए जाने का प्रपोजल है जैसे ही वहां से अनुमति मिलती है बांध बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा.

कब होगा गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम?
गौरतलब है कि भारत सरकार के साथ-साथ हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. हरियाणा सरकार दावे करती है कि सरस्वती को फिर से जिंदा करने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है.

उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही देश में एक बार फिर से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी का संगम होगा. हालांकि 2015 में शुरू हुई खुदाई कुछ महीने तो काफी जोर-शोर से चली लेकिन अब लगता है ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है. देखना ये होगा कि आखिर कब जाकर सरकार के ये प्रोजेक्ट धरातल पर उतरकर सरस्वती का नया जीवन देते हैं.

यमुनानगरः भारत नदियों का देश है और यहां पर नदियों का अपना ही एक महत्व है. यहां गंगा को जितना पवित्र माना जाता है, यमुना को भी उतना ही पूजा जाता है. सरस्वती नदी का अपना अलग ही महत्व है. लेकिन जिस सरस्वती का नाम हर जुबां पर है, आज वही अपना अस्तित्व तलाश रही है.

सबसे पुरानी और बड़ी नदीं आज विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है. हालात ये हैं कि सरस्वती नदी का पानी देख पाना भी बहुत मुश्किल हो गया है. हालांकि भारत और हरियाणा सरकार सरस्वती को नया जन्म देने के तमाम दावे करते हैं, लेकिन नदी के हालात देखकर लगता है, सारे प्रोजेक्ट्स ठंडे बस्ते में पड़े हैं.

ठंडे बस्ते में पड़ा SHDB प्रजेक्ट! देखिए रिपोर्ट

खतरे में सरस्वती का अस्तित्व
चार वेदों में शामिल ऋग्वेद में कई दफा सरस्वती नदी का जिक्र आया है. इसके मुताबिक सरस्वती के एक तरफ यमुना है और दूसरी तरफ सतलुज और इनके बीच वह पहाड़ों से निकलती है. सरस्वती को यहां 'सिंधुभि पिन्वमाना' यानि अपनी सहायक नदियों से खूब जल लेने वाली नदी कहा गया है. वेदों के मुताबिक सरस्वती नदी उत्तराखण्ड की शिवालिक पर्वतमाला से अपनी यात्रा शुरू कर अरब सागर में मिलती थी. लेकिन आज ये नदी विलुप्त होने की कगार पर खड़ी है.

2014 में हुई प्रोजेक्ट की शुरुआत
हरियाणा में 2014 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में बीजेपी सरकार बनी थी और चार महीने बाद ही सरस्वती हेरिटेज डेवलपमेंट बोर्ड (एसएचडीबी) का गठन हो गया. राज्य में सरस्वती को पुनर्जीवित करने की जिम्मेदारी इसे ही सौंपी गई. हरियाणा में सरस्वती का 153 किमी लंबा प्रवाहक्षेत्र माना जाता है.

राज्य सरकार के भू-अभिलेखों के मुताबिक सरस्वती का अधिकांश प्रवाह क्षेत्र यमुना नगर, कैथल और कुरुक्षेत्र जिले में पड़ता है. एसएचडीबी ने फिलहाल आदि बद्री से लेकर यमुनानगर जिले के ऊंचा चांदना और जिले के अंतिम गांव झींवरेहड़ी तक खुदाई करके सरस्वती नदी का प्रवाह क्षेत्र तैयार किया है.

2015 में यहां मिली सरस्वती!
2015 को यमुनानगर जिले के मुगलांवाली गांव में सरस्वती के संभावित प्रवाह क्षेत्र में खुदाई का काम चल रहा था. तभी एक जगह छह फीट की गहराई पर मजदूरों को नमी वाली मिट्टी मिलनी शुरू हुई. फिर एक फीट और खोदने पर यहां पानी निकल आया. ये खबर हरियाणा से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक आग की तरह फैल गई.

हरियाणा सरकार ने तुरंत दावा कर दिया कि यही विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का पानी है. राज्य सरकार ने 21 अप्रैल को सरस्वती के प्रवाह क्षेत्र में खुदाई का काम शुरू करवाया था और इससे बीजेपी सरकार की 'सरस्वती पुनर्जीवन परियोजना' को नया जन्म मिला. हालांकि इस पानी की जांच से अभी तक ये प्रमाणित नहीं हो पाया है कि ये विलुप्त हो चुकी सरस्वती का ही पानी है.

ये भी पढ़ेंः जानिए महाराजा सूरजमल का असल इतिहास, जिस वजह से पानीपत फिल्म पर मचा है बवाल

क्या कहना है पर्यटन मंत्री का?
इस बारे हरियाणा सरकार में पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर से बात की तो उनका कहना था कि हरियाणा सरकार ने बांध बनाने का प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा हुआ है. उन्होंने कहा कि आजकल बांध बनाने के लिए एनजीटी के साथ-साथ और भी परमिशन लेनी पड़ती है तभी ये बांध बनाए जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि 12 बांध बनाए जाने का प्रपोजल है जैसे ही वहां से अनुमति मिलती है बांध बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा.

कब होगा गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम?
गौरतलब है कि भारत सरकार के साथ-साथ हरियाणा सरकार द्वारा सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हैं. हरियाणा सरकार दावे करती है कि सरस्वती को फिर से जिंदा करने के लिए कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है.

उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही देश में एक बार फिर से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी का संगम होगा. हालांकि 2015 में शुरू हुई खुदाई कुछ महीने तो काफी जोर-शोर से चली लेकिन अब लगता है ये प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है. देखना ये होगा कि आखिर कब जाकर सरकार के ये प्रोजेक्ट धरातल पर उतरकर सरस्वती का नया जीवन देते हैं.

Intro:एंकर भारत नदियों का देश है और यहा पर नदियों का अपना ही एक महत्व है लेकिन लेकिन यहा गंगा को जिनता पवित्र माना जाता है तो वही यमुना भी किसी से कम नही लेकिन सरस्वती जिसका नाम तो हर जुबा पर है लेकिन उसके जल को देख पाना बहुत मुशिकल है। भारत सरकार के साथ-साथ प्रदेश सरकार ने सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए काफी प्रयास किए। अप्रैल 2015 में यमुनानगर के मुगल वाली गांव में सरस्वती नदी की खुदाई का कार्य शुरू हुआ लेकिन जिस जोर शोर के साथ यह कार्य शुरू किया गया था कहीं ना कहीं अब वह जोश ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ नजर आ रहा है।Body:वीओ अप्रैल 2015 में हरियाणा सरकार ने सरस्वती को धरातल पर लाने के लिए खुदाई शुरू करवाई ओर
प्रारंभिक चरण में यमुनानगर जिले में सरस्वती नदी के गुजरने वाले स्थानों पर उसकी खुदाई का टारगेट रखा । उसके बाद आगे कुरुक्षेत्र व पेहवा सहित अन्य स्थानों पर भी खुदाई कर सरस्वती नदी के पानी को धरती पर लेन का प्लान बनाया गया । सरकार ने उम्मीद जताई की जल्द ही देश में एक बार फिर से गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी का संगम होगा। यहां आपको बता दे कि आदिबद्री से ही सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना गया है और अब सरकार ने उसके आसपास के अन्य स्थान जहां नासा व इसरो के अनुसार सरस्वती नदी भूमिगत रूप में बह रही है उन स्थानों की खुदाई कर नदी को धरातल पर लाया जाएगा। उस दौरान मुख्यमंत्री खुद यहां उद्घाटन करने पहुंचे थे उनके साथ साथ हरियाणा के और भी कई बड़े मंत्री और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी आदिबद्री पहुंचे थे।

वीओ वर्ष 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद सरस्वती नदी के विकास के लिए हरियाणा सरस्वती धरोहर विकास बोर्ड का गठन किया गया ताकि सरस्वती नदी को धरातल पर बहाने के लिए योजना बनाई जा सके। 2015 में खुदाई शुरू हुई कुछ महीने तो यह कार्य काफी जोर-शोर से चला लेकिन अब काफी समय से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में पड़ा हुआ नजर आ रहा है।

वीओ इस बारे हरियाणा सरकार में पर्यटन मंत्री कंवरपाल गुर्जर से बात की तो उनका कहना था कि हरियाणा सरकार ने बांध बनाने का प्रपोजल केंद्र सरकार को भेजा हुआ है क्योंकि आजकल बांध बनाने के लिए एनजीटी की और भी परमिशन लेनी पड़ती है तभी यह बांध बनाए जा सकते हैं। 12 बांध बनाए जाने का प्रपोजल है जैसे ही वहां से अनुमति मिलती है बांध बनाने का कार्य शुरू हो जाएगा।
जिस जोश से यह कार्य शुरू हुआ था वह जो सब नजर नहीं आ रहा इस पर मंत्री जी ने कहा कि जोश तो अभी भी बरकरार है लेकिन नदी खोदने का कार्य तो उनके अपने हाथ में है लेकिन बांध बनाने का कार्य बिना परमिशन के नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा जैसे ही उनको मंजूरी मिलती है उसी समय कार्य को दोबारा शुरू कर दिया जाएगा

बाइट श्री कंवर पाल गुज्जर ( पर्यटन मंत्री हरियाणा
Ptc Rajni soni
Conclusion:
Last Updated : Dec 10, 2019, 5:08 PM IST
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