ETV Bharat / state

रादौर में शहीदों का अनोखा मंदिर, जहां भगवान की तरह होती है शहीदों की पूजा

author img

By

Published : Jan 25, 2020, 10:39 AM IST

यमुनानगर में शहीदों का मंदिर बना है. जहां करीब 650 शहीदों का रिकॉर्ड है. इस मंदिर में भारत माता, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह कंबोज की प्रतिमांए भी लगी हैं.

Slug Martyrs temple in Radaur yamunanagar
Slug Martyrs temple in Radaur yamunanagar

यमुनानगर: यमुना के किनारे बसा गुमथला राव गांव बेशक छोटा है, लेकिन पहचान बहुत बड़ी है. यहां शहीदों का इकलौता मंदिर है, जहां 18 वर्ष से नियमित अमर शहीदों की पूजा होती है. मार्ग से गुजरने वाला हर कोई यहां रुककर नमन करना नहीं भूलता.

मंदिर में भारतमाता, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह कंबोज, लाला लाजपत राय, करतार सिंह शराबा, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, मंगल पांडेय, अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमाएं हैं. इनके अलावा 125 शहीदों के हाथ से बने हुए चित्र हैं.

रादौर में शहीदों का अनोखा मंदिर, जहां भगवान की तरह होती है शहीदों की पूजा

मंदिर में होती है शहीदों की पूजा

हम बात कर रहे हैं रादौर के गांव गुमथला राव स्थित इंकलाब मंदिर की, जहां पर सुबह शाम आजादी के मतवालों की पूजा होती है. पेशे से एडवोकेट वरयाम सिंह इस मंदिर के संस्थापक हैं. उन्होंने बताया कि 5 दिसंबर 2001 को शहीद भगत सिंह की पहली प्रतिमा स्थापित की गई. वरयाम सिंह बताते हैं कि अमर शहीदों के प्रति उनको लगाव बचपन से ही रहा है. स्कूल में पढ़ते समय से ही भगत सिंह पर कविताएं लिखने का शौक था.

650 शहीदों का रिकॉर्ड

एडवोकेट वरयाम सिंह ने 650 शहीदों का रिकॉर्ड जुटाया हुआ है. उन्हीं के प्रयासों से भगत सिंह की फोटो वाले सिक्के जारी हुए. अब इंकलाब आयोग के गठन की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनका कहना है कि इंकलाब आयोग बनवाकर ही दम लेंगे.

ये भी पढे़ं:- यमुनानगर का मोक्ष स्थल कपाल मोचन, यहां स्नान करने से भगवान शिव ब्रह्म दोष से हुए थे मुक्त

वे अपना और अपने बच्चों का जन्म दिन मनाने भूल जाते हैं, लेकिन शहीदों का जन्म दिन मनाना कभी नहीं भूलते. क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों से भी बच्चे यहां शहीदों को नमन करने और उनके इतिहास के बारे जानने के लिए आते हैं

यमुनानगर: यमुना के किनारे बसा गुमथला राव गांव बेशक छोटा है, लेकिन पहचान बहुत बड़ी है. यहां शहीदों का इकलौता मंदिर है, जहां 18 वर्ष से नियमित अमर शहीदों की पूजा होती है. मार्ग से गुजरने वाला हर कोई यहां रुककर नमन करना नहीं भूलता.

मंदिर में भारतमाता, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह कंबोज, लाला लाजपत राय, करतार सिंह शराबा, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, मंगल पांडेय, अशफाक उल्ला खां, चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमाएं हैं. इनके अलावा 125 शहीदों के हाथ से बने हुए चित्र हैं.

रादौर में शहीदों का अनोखा मंदिर, जहां भगवान की तरह होती है शहीदों की पूजा

मंदिर में होती है शहीदों की पूजा

हम बात कर रहे हैं रादौर के गांव गुमथला राव स्थित इंकलाब मंदिर की, जहां पर सुबह शाम आजादी के मतवालों की पूजा होती है. पेशे से एडवोकेट वरयाम सिंह इस मंदिर के संस्थापक हैं. उन्होंने बताया कि 5 दिसंबर 2001 को शहीद भगत सिंह की पहली प्रतिमा स्थापित की गई. वरयाम सिंह बताते हैं कि अमर शहीदों के प्रति उनको लगाव बचपन से ही रहा है. स्कूल में पढ़ते समय से ही भगत सिंह पर कविताएं लिखने का शौक था.

650 शहीदों का रिकॉर्ड

एडवोकेट वरयाम सिंह ने 650 शहीदों का रिकॉर्ड जुटाया हुआ है. उन्हीं के प्रयासों से भगत सिंह की फोटो वाले सिक्के जारी हुए. अब इंकलाब आयोग के गठन की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनका कहना है कि इंकलाब आयोग बनवाकर ही दम लेंगे.

ये भी पढे़ं:- यमुनानगर का मोक्ष स्थल कपाल मोचन, यहां स्नान करने से भगवान शिव ब्रह्म दोष से हुए थे मुक्त

वे अपना और अपने बच्चों का जन्म दिन मनाने भूल जाते हैं, लेकिन शहीदों का जन्म दिन मनाना कभी नहीं भूलते. क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों से भी बच्चे यहां शहीदों को नमन करने और उनके इतिहास के बारे जानने के लिए आते हैं

Intro:यमुना के किनारे बसा गुमथला राव। गांव बेशक छोटा है, लेकिन पहचान बहुत बड़ी है। यहां शहीदों का इकलौता मंदिर है, जहां 18 वर्ष से नियमित अमर शहीदों की पूजा होती है। मार्ग से गुजरने वाला हर कोई यहां रुककर नमन करना नहीं भूलता। मंदिर में भारतमाता, भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव, उधम सिंह कांबोज, लाला लाजपत राय, करतार सिंह शराबा, नेता जी सुभाष चंद्र बोस, मंगल पांडेय, अस्फाक उल्ला खां, चंद्र शेखर आजाद की प्रतिमाएं हैं। इनके अलावा 125 शहीदों के हाथ से बने हुए चित्र हैं। 


Body:शहीदों चिताओ पर लगेंगे हर वर्ष ;मेले वतन पर मिटने  वालो का बाकी यही निशां होगा। आपको लग रहा होगा की हम शहीदों की बात क्यों कर रहे है। शहीदों की बात इसलिए की हम आज आपको शहीदों के ऐसे मंदिर में लेकर चलेंगे जहाँ पर केवल शहीदों का जयकारा होता है। क्रांतिकारियों का जयकारा होता है। जिहां हम बात कर रहे है रादौर के गांव गुमथला राव स्थित इंकलाब मंदिर की जहा पर सुबह शाम आजादी के मतवालों की पूजा होती है। पेशे से एडवोकेट वरयाम सिंह इस मंदिर के संस्थापक है। उन्होंने बताया की 5 दिसंबर 2001 को शहीद भगत सिंह पहली प्रतिमा स्थापित की गई। वरयाम सिंह बताते हैं कि अमर शहीदों के प्रति उनको लगाव बचपन से ही रहा है। स्कूल में पढ़ते समय से ही भगत सिंह पर कविताएं लिखने का शौक था। 

Conclusion:एडवोकेट  वरयाम सिंह  ने 650 शहीदों का रिकार्ड जुटाया हुआ है। उन्हीं के प्रयासो से भगत सिंह की फोटो वाले सिक्के जारी कराए। अब इंकलाब आयोग के गठन की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका कहना है कि इंकलाब आयोग बनवाकर ही दम लेंगे। वे अपना और अपने बच्चों का जन्म दिन मनाने भूल जाते हैं, लेकिन शहीदों का जन्म दिन मनाना कभी नहीं भुलते। क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों से भी बच्चे यहां शहीदों को नमन करने व उनके इतिहास के बारे जानने के लिए आते हैं। 

बाइट - एडवोकेट वरयाम सिंह
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.