यमुनानगर: भारत की प्राचीन कटासराज यात्रा 20 दिसंबर से शुरू होने जा रही (Katasraj Yatra start on December) है. पांच दिन की इस यात्रा में भारत के 200 श्रद्धालु 182 मंदिरों के दर्शन करेंगे. विदेश मंत्रालय की हरी झंडी मिलने के बाद यात्रा शुरू की जाएगी. कटासराज यात्रा के संयोजक शिवप्रताप बजाज ने यात्रा को लेकर विस्तार से जानकारी दी.
शिवप्रताप बजाज ने बताया कि भारत पाकिस्तान के बीच आपसी रिश्ते किसी से छिपे (Katasraj Yatra in Pakistan) नहीं हैं. वक्त के साथ दोनों देशों के बीच संबंधों में खटाई भी आई तो कभी दोनों साथ खड़े भी दिखे. रिश्तों की मजबूती के लिए दोनों मुल्कों की तरफ से लगातार प्रयास होते रहे हैं कई बार सफल भी हुए हैं. लेकिन इस बार भारत पाकिस्तान के साथ रिश्तों को फिर से नई पहचान मिलने जा रही है.
भारत की प्राचीन तीर्थ यात्रा में से कटासराज यात्रा को लेकर विदेश मंत्रालय ने हरी झंडी दे दी है. ये यात्रा 20 दिसंबर से शुरू होकर 25 दिसंबर को भारत लौटेगी. कटासराज यात्रा का इतिहास बहुत पुराना है. कटाजराज यात्रा के संयोजक शिवप्रताप बजाज 1982 से इस यात्रा के गवाह हैं. जब पहली बार वो 20 तीर्थ यात्रियों के जत्थे में शामिल होकर गए थे.
धरती के दो नेत्र माने गए हैं. पहला है कटासराज और दूसरा है पुष्करराज जो राजस्थान के अजमेर में है. बताया जाता है कि शिवजी महाराज के जब आंसू निकले तो वहां जो धारा निकली उसे कटासराज का नाम दिया गया. इस प्राचीन स्थली में करीब 192 मंदिर हैं. इस तीर्थ यात्रा में करीब 12 राज्यों के श्रद्धालु शामिल होंगे जो 5 दिन अलग-अलग मंदिरों का भ्रमण करेंगे.
यात्रा तो 1982 से शुरू हुई है, लेकिन दोनों देशों के बीच जब भी दुश्मनी की तलवार खिंची है ना सिर्फ यात्रा रद्द होती थी बल्कि दोनों देशों के बीच आपसी प्रेम और भाईचारा भी कमजोर हुआ है. उम्मीद करते हैं कटासराज की यात्रा दोनों देशों ना सिर्फ खटास कम करेगी बल्कि दोस्ती का पैगाम भेजेगी.