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सरकारी खजाने से भरा गया विधायकों का 2.87 करोड़ रु का इनकम टैक्स, कोर्ट ने मांगा जवाब - haryana

वेतन से इनकम टैक्स न देने वाले पूर्व और मौजूदा विधायकों की दिक्कत बढ़ गई हैं. कोर्ट ने जनहित याचिका मंजूर करते हुए सुनवाई शुरू कर दी है. गुरुवार को इस मामले में विधानसभा से लॉ आफिसर कोर्ट में पहुंचे लेकिन वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए.

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Published : Aug 23, 2019, 11:51 PM IST

यमुनानगर: कोर्ट ने इस मामले में विधानसभा सेक्रेटरी को तलब किया है. उन्हें अगली सुनवाई पर पूरे रिकॉर्ड के साथ पेश होने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं. सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशन जज डॉ. आब्दुल माजिद की कोर्ट ने कहा कि यह बड़ा मामला है. अगली सुनवाई पर विस सेक्रेटरी को खुद पेश होना होगा.

सरकारी खजाने से भरा गया विधायकों का इनकम टैक्स.

कोर्ट ने पूछे सवाल
बता दें कि याचिकाकर्ता ने बताया कि सरकार ने पूर्व और मौजूदा विधायकों का इनकम टैक्स खुद भरा है. इससे करीब 2.87 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर पूर्व और मौजूदा विधायकों के वेतन से इनकम टैक्स नहीं लिया गया तो उनसे कितना इनकम टैक्स लेना बनता है. अगर अब लिया जा रहा है तो अब तक कितनी वसूली हो चुकी है. इनकम टैक्स न लेने का जिम्मेदार कौन है. जो इनकम टैक्स रिकवर किया जाना है वह कितना बनता है.

कुल 140 विधायकों का भरा गया टैक्स
एडवोकेट जीडी गुप्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि कुल 140 विधायक हैं जिनमें से पहले मंत्री या मुख्यमंत्री भी रहे हैं और उनके खिलाफ 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 419 रु खड़े हैं. इनमें मुख्य भूपेंद्र सिंह हुड्डा, घनश्याम दास अरोड़ा, श्याम सिंह राणा, सुभाष बराला और भी काफी बड़ी हस्ती हैं.

जीडी गुप्ता ने बताया 2017 में मेरे नोटिस में आया कि हरियाणा सरकार विधायक व मंत्रियों की सैलरी पर इनकम टैक्स सरकारी खजाने से दे रही है. जबकि रूल रेगुलेशन यह कहते हैं कि इनकम टैक्स अपनी सैलरी में से देना चाहिए, फिर मैंने 2017 में एक जनहित याचिका दायर की. मेरी याचिका डालने के बाद 31 मार्च 2018 के बाद उन्होंने इनकम टैक्स सरकारी खजाने से देना बंद कर दिया. फिर मैंने उसके ऊपर एक सिविल अपील डाली.

पहले भी दिए गए थे सख्त आदेश
25 जुलाई 2018 को सुनवाई हुई जिसमें हरियाणा विधानसभा से जो लॉ ऑफिसर आए हुए थे वह कोर्ट के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सके. पूरे केस के बारे में कुछ भी नहीं पता था. इस पर एडीजे ने सख्त ऑर्डर पास करते हुए कहा कि वह अपना सारा रिकॉर्ड लेकर कोर्ट आए ताकि पता लगे किस-किस विधायक पर कितनी रिकवरी बनती है और कितनी रिकवरी अभी तक हो चुकी है और इसमें कौन जिम्मेदार है.

ये सब ब्यौरा कोर्ट ने मंगाया है. इसमें हरियाणा विधानसभा सेक्रेटरी को खुद मौजूद होने के लिए बोला गया और उसे कहा गया है कि अपना सारा रिकॉर्ड ब्यूरो लेकर आए. विधानसभा द्वारा जो पहले फिगर दी गई है वह 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 419 बनती है जो 140 विधायकों से रिकवरी करनी है.

लगभग 70% पैसा किया रिकवर- विधानसभा स्पीकर
वहीं हरियाणा विधानसभा स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने इस मामले पर कहा कि देखिए पहले ऐसा था कि विधायकों को पहले केवल भत्ते ही मिलते थे. उस पर जो इनकम टैक्स पे करती थी, वह सरकार करती थी. 2010 में विधायकों की तनख्वाह निश्चित कर दी गई, लेकिन इस प्रकार कानून में कोई चेंज नहीं किया. उस पर भी टैक्स विधानसभा ही देगी. जिस प्रकार से पहले इनकम टैक्स देते रहे हैं.

2016 में एक जनहित याचिका डाली उसमें यह बात सामने आई तो हमने एक निर्णय लिया कि इनकम टैक्स का जो पैसा हमने गलती से दिया गया वह पैसा दोबारा से लिया जाए. तब हमने सभी विधायकों को उसकी जानकारी दी कि सरकार ने गलती से आपका इनकम टैक्स भर दिया, वह आपसे दोबारा लिया जाएगा और उसकी एक राशि निश्चित कर दी 20 हजार रुपए प्रति महीने. जो भी विधायक हैं उनको जो भत्ते या सैलेरी मिलती है उसमें से हम यह पैसा काट लेते हैं और जिन विधायकों की पेंशन हैं उनकी पेंशन से काटते हैं. लगभग 70% पैसा हमने रिकवर कर लिया है.

वहीं अब वेतन से इनकम टैक्स न देने वाले पूर्व और मौजूदा विधायकों की दिक्कत बढ़ गई है. कोर्ट ने जनहित याचिका मंजूर करते हुए सुनवाई शुरू कर दी है. सरकार ने पूर्व और मौजूदा विधायकों का इनकम टैक्स खुद भरा है. इससे करीब 2.87 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से दिए हैं. अगली सुनवाई पर विस सेक्रेटरी को खुद पेश होना होगा.

ये बड़े नाम हैं शामिल-

  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दो लाख 75 हजार 876 रुपए
  • सीएलपी लीडर किरण चौधरी से 1 लाख 95 हजार 393 रुपए
  • कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला से 1 लाख 90 हजार 858 रुपए
  • हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा से दो लाख 14 हजार 866 रुपए.
  • विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला से एक लाख 25 हजार 485 रुपए
  • हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला से दो लाख एक हजार 89 रुपए.
  • शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन से 1 लाख 42 हजार 7 रुपए.
  • उद्योग मंत्री हरियाणा सरकार विपुल गोयल से 40 हजार 255 रुपए.
  • ज्ञान चंद गुप्ता से दो लाख 996 रुपए.
  • स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से 1 लाख 41 हजार 209 रुपए.
  • परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार से 1 लाख 73 हजार 127 रुपए.
  • कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता व विधायक कुलदीप बिश्‍नोई से 1 लाख 96 हजार 493 रुपए.
  • बीजेपी विधायक असीम गोयल से दो लाख 272 रुपए.
  • पूर्व मुख्य संसदीय सचिव बख्शीश सिंह विर्क से दो लाख 41 हजार 303 रुपए.
  • बीजेपी विधायक घनश्याम दास अरोड़ा से 1 लाख 92 हजार 293 रुपए.
  • पूर्व मुख्य संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा से दो लाख 35 हजार 500 रुपए.

यमुनानगर: कोर्ट ने इस मामले में विधानसभा सेक्रेटरी को तलब किया है. उन्हें अगली सुनवाई पर पूरे रिकॉर्ड के साथ पेश होने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं. सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशन जज डॉ. आब्दुल माजिद की कोर्ट ने कहा कि यह बड़ा मामला है. अगली सुनवाई पर विस सेक्रेटरी को खुद पेश होना होगा.

सरकारी खजाने से भरा गया विधायकों का इनकम टैक्स.

कोर्ट ने पूछे सवाल
बता दें कि याचिकाकर्ता ने बताया कि सरकार ने पूर्व और मौजूदा विधायकों का इनकम टैक्स खुद भरा है. इससे करीब 2.87 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर पूर्व और मौजूदा विधायकों के वेतन से इनकम टैक्स नहीं लिया गया तो उनसे कितना इनकम टैक्स लेना बनता है. अगर अब लिया जा रहा है तो अब तक कितनी वसूली हो चुकी है. इनकम टैक्स न लेने का जिम्मेदार कौन है. जो इनकम टैक्स रिकवर किया जाना है वह कितना बनता है.

कुल 140 विधायकों का भरा गया टैक्स
एडवोकेट जीडी गुप्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि कुल 140 विधायक हैं जिनमें से पहले मंत्री या मुख्यमंत्री भी रहे हैं और उनके खिलाफ 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 419 रु खड़े हैं. इनमें मुख्य भूपेंद्र सिंह हुड्डा, घनश्याम दास अरोड़ा, श्याम सिंह राणा, सुभाष बराला और भी काफी बड़ी हस्ती हैं.

जीडी गुप्ता ने बताया 2017 में मेरे नोटिस में आया कि हरियाणा सरकार विधायक व मंत्रियों की सैलरी पर इनकम टैक्स सरकारी खजाने से दे रही है. जबकि रूल रेगुलेशन यह कहते हैं कि इनकम टैक्स अपनी सैलरी में से देना चाहिए, फिर मैंने 2017 में एक जनहित याचिका दायर की. मेरी याचिका डालने के बाद 31 मार्च 2018 के बाद उन्होंने इनकम टैक्स सरकारी खजाने से देना बंद कर दिया. फिर मैंने उसके ऊपर एक सिविल अपील डाली.

पहले भी दिए गए थे सख्त आदेश
25 जुलाई 2018 को सुनवाई हुई जिसमें हरियाणा विधानसभा से जो लॉ ऑफिसर आए हुए थे वह कोर्ट के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सके. पूरे केस के बारे में कुछ भी नहीं पता था. इस पर एडीजे ने सख्त ऑर्डर पास करते हुए कहा कि वह अपना सारा रिकॉर्ड लेकर कोर्ट आए ताकि पता लगे किस-किस विधायक पर कितनी रिकवरी बनती है और कितनी रिकवरी अभी तक हो चुकी है और इसमें कौन जिम्मेदार है.

ये सब ब्यौरा कोर्ट ने मंगाया है. इसमें हरियाणा विधानसभा सेक्रेटरी को खुद मौजूद होने के लिए बोला गया और उसे कहा गया है कि अपना सारा रिकॉर्ड ब्यूरो लेकर आए. विधानसभा द्वारा जो पहले फिगर दी गई है वह 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 419 बनती है जो 140 विधायकों से रिकवरी करनी है.

लगभग 70% पैसा किया रिकवर- विधानसभा स्पीकर
वहीं हरियाणा विधानसभा स्पीकर कंवरपाल गुर्जर ने इस मामले पर कहा कि देखिए पहले ऐसा था कि विधायकों को पहले केवल भत्ते ही मिलते थे. उस पर जो इनकम टैक्स पे करती थी, वह सरकार करती थी. 2010 में विधायकों की तनख्वाह निश्चित कर दी गई, लेकिन इस प्रकार कानून में कोई चेंज नहीं किया. उस पर भी टैक्स विधानसभा ही देगी. जिस प्रकार से पहले इनकम टैक्स देते रहे हैं.

2016 में एक जनहित याचिका डाली उसमें यह बात सामने आई तो हमने एक निर्णय लिया कि इनकम टैक्स का जो पैसा हमने गलती से दिया गया वह पैसा दोबारा से लिया जाए. तब हमने सभी विधायकों को उसकी जानकारी दी कि सरकार ने गलती से आपका इनकम टैक्स भर दिया, वह आपसे दोबारा लिया जाएगा और उसकी एक राशि निश्चित कर दी 20 हजार रुपए प्रति महीने. जो भी विधायक हैं उनको जो भत्ते या सैलेरी मिलती है उसमें से हम यह पैसा काट लेते हैं और जिन विधायकों की पेंशन हैं उनकी पेंशन से काटते हैं. लगभग 70% पैसा हमने रिकवर कर लिया है.

वहीं अब वेतन से इनकम टैक्स न देने वाले पूर्व और मौजूदा विधायकों की दिक्कत बढ़ गई है. कोर्ट ने जनहित याचिका मंजूर करते हुए सुनवाई शुरू कर दी है. सरकार ने पूर्व और मौजूदा विधायकों का इनकम टैक्स खुद भरा है. इससे करीब 2.87 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से दिए हैं. अगली सुनवाई पर विस सेक्रेटरी को खुद पेश होना होगा.

ये बड़े नाम हैं शामिल-

  • पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दो लाख 75 हजार 876 रुपए
  • सीएलपी लीडर किरण चौधरी से 1 लाख 95 हजार 393 रुपए
  • कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला से 1 लाख 90 हजार 858 रुपए
  • हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा से दो लाख 14 हजार 866 रुपए.
  • विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला से एक लाख 25 हजार 485 रुपए
  • हरियाणा बीजेपी अध्यक्ष सुभाष बराला से दो लाख एक हजार 89 रुपए.
  • शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन से 1 लाख 42 हजार 7 रुपए.
  • उद्योग मंत्री हरियाणा सरकार विपुल गोयल से 40 हजार 255 रुपए.
  • ज्ञान चंद गुप्ता से दो लाख 996 रुपए.
  • स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से 1 लाख 41 हजार 209 रुपए.
  • परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार से 1 लाख 73 हजार 127 रुपए.
  • कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता व विधायक कुलदीप बिश्‍नोई से 1 लाख 96 हजार 493 रुपए.
  • बीजेपी विधायक असीम गोयल से दो लाख 272 रुपए.
  • पूर्व मुख्य संसदीय सचिव बख्शीश सिंह विर्क से दो लाख 41 हजार 303 रुपए.
  • बीजेपी विधायक घनश्याम दास अरोड़ा से 1 लाख 92 हजार 293 रुपए.
  • पूर्व मुख्य संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा से दो लाख 35 हजार 500 रुपए.
Intro:ANCHOR_ विधानसभा के सरकारी खजाने से दिए 2.87 करोड रूपया इनकम टैक्स.

वेतन से इनकम टैक्स न देने वाले पूर्व और मौजूदा विधायकों की दिक्कत बढ़ गई है। कोर्ट ने जनहित याचिका मंजूर करते हुए सुनवाई शुरू कर दी है। वीरवार को इस मामले में विधानसभा से लॉ आफिसर कोर्ट में पहुंचे। यहां पर कोर्ट ने उनसे सवाल किए तो वे संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। इस पर कोर्ट ने इस मामले में विधानसभा सेक्रेटरी को तलब किया है। उन्हें अगली सुनवाई पर पूरे रिकॉर्ड के साथ पेश होने के आदेश कोर्ट ने दिए हैं। सुनवाई करते हुए एडिशनल सेशन जज डॉ. आब्दुल माजिद की कोर्ट ने कहा कि यह बड़ा मामला है। इस मामले में अगली सुनवाई होगी.. उस पर विस सेक्रेटरी को खुद पेश होना होगा। कोर्ट में पहुंचे लॉ आफिसर को आदेश की कॉपी दी है.. ताकि वे सेक्रेटरी को दें। बता दें याचिकाकर्ता ने बताया कि सरकार ने पूर्व और मौजूदा विधायकों का इनकम टैक्स खुद भरा है। इससे करीब 2.87 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से दिए हैं। कोर्ट ने इन सवालों का मांगा जवाब: कोर्ट ने कहा कि अगर पूर्व और मौजूदा विधायकों के वेतन से इनकम टैक्स क्यों नहीं लिया गया। उनसे कितना इनकम टैक्स लेना बनता है। अगर अब लिया जा रहा है तो अब तक कितनों से वसूली हो चुकी है। इनकम टैक्स न लेने का जिम्मेदार कौन है। जो इनकम टैक्स रिकवर किया जाना है वह कितना बनता है। Body:VO(1)_ एडवोकेट जीडी गुप्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि कुल 140 विधायक हैं जिनमें से पहले मंत्री या मुख्यमंत्री भी रहे हैं और उनके खिलाफ 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 419 खड़े हैं. इनमें मुख्यतः भूपेंद्र सिंह हुड्डा, घनश्याम दास अरोड़ा, श्याम सिंह राणा, और भी काफी बड़ी हस्ती आए हैं जैसे बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला, इस तरीके से 140 विधायकों के खिलाफ 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 419 खड़े हैं


BITE_ जीडी गुप्ता, एडवोकेट

VO(2)_ 2017 में मेरे नोटिस में आया कि हरियाणा सरकार विधायक व मंत्रियों की सैलरी पर इनकम टैक्स वह सरकारी खजाने से दिया जा रहा है. जबकि रूल रेगुलेशन यह कहते हैं की इनकम टैक्स अपनी सैलरी में से देना चाहिए, फिर मैंने 2017 में एक जनहित याचिका दायर की सेक्शन 91 सीपीसी सिविल कोर्ट में डाली. मेरी याचिका डालने के बाद 31 मार्च 2018 के बाद उन्होंने इनकम टैक्स सरकारी खजाने से देना बंद कर दिया. फिर मैंने उसके ऊपर एक सिविल अपील डाली जो श्री अब्दुल मजीद एडीजे की कोर्ट में है. 25 जुलाई 2018 सुनवाई हुई जिसमें हरियाणा विधानसभा से जो लॉ ऑफीसर आए हुए थे वह कोर्ट के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे सके. पुरे केस के बारे में कुछ भी नहीं पता था. इस पर एडीजे ने सख्त ऑर्डर पास करते हुए कहां कि वह अपना सारा रिकॉर्ड लेकर कोर्ट आए … ताकि पता लगे किस-किस विधायक पर कितनी रिकवरी बनती है और कितनी रिकवरी अभी तक हो चुकी है और इसमें कौन जिम्मेवार है. यह सब ब्यौरा कोर्ट ने मंगाया है इसमें हरियाणा विधानसभा सेक्टरी को खुद मौजूद होने के लिए बोला गया है और उसे कहा गया है कि अपना सारा रिकॉर्ड और ब्यूरो लेकर आए. विधानसभा द्वारा जो पहले फिगर दी गई है वह 2 करोड़ 87 लाख 62 हजार 419 बनती है जो 140 विधायकों से रिकवरी करनी है.

BITE_ जीडी गुप्ता, एडवोकेट

VO(3)_ हरियाणा विधानसभा स्पीकर चौधरी कंवरपाल गुर्जर ने इस सारे मामले पर बोलते हुए कहा देखिए पहले ऐसा था कि विधायकों को पहले केवल भत्ते ही मिलते थे. उस पर जो इनकम टैक्स पे करती थी. वह सरकार करती थी. 2010 में विधायकों की तनख्वाह निश्चित कर दी गई, लेकिन इस प्रकार कानून में कोई पर विजन नहीं किया उस पर भी टैक्स विधानसभा ही देगी. जिस प्रकार से पहले इनकम टैक्स देते रहे हैं. 2016 में एक जनहित याचिका डाली उसमें यह बात सामने आई … तो हमने एक निर्णय लिया … इनकम टैक्स का जो पैसा हमने गलती से दिया गया वह पैसा दोबारा से लिया जाए. तो हमने सभी विधायकों को उसकी जानकारी दी की सरकार ने गलती से आपका इनकम टैक्स भर दिया, वह आपसे दोबारा लिया जाएगा और उसकी एक राशि निश्चित कर दी 20 हजार रुपए प्रति महीने … जो भी विधायक हैं. उनको जो भत्ते या सैलेरी मिलती है उसमें से हम यह पैसा काट लेते हैं और जिन विधायकों की पेंशन है. हम उसमें से भी पैसे काट लेते हैं लगभग 70% पैसा हमने रिकर्व कर लिया है.


BITE_चौधरी कँवरपाल गुर्जर, अध्यक्ष हरियाणा विधानसभा


VO(4)_ वेतन से इनकम टैक्स न देने वाले पूर्व और मौजूदा विधायकों की दिक्कत बढ़ गई है. कोर्ट ने जनहित याचिका मंजूर करते हुए सुनवाई शुरू कर दी है. सरकार ने पूर्व और मौजूदा विधायकों का इनकम टैक्स खुद भरा है. इससे करीब 2.87 करोड़ रुपए सरकारी खजाने से दिए हैं.


1_ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से दो लाख 75 हजार 876 रुपए

2_ सीएलपी लीडर किरण चौधरी से 1 लाख 95 हजार 393 रुपए

3_ कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला से 1 लाख 90 हजार 858 रुपए

4_ हरियाणा विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष कुलदीप शर्मा से दो लाख 14 हजार 866 रुपए.

5_ विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला से एक लाख 25 हजार 485 रुपए

6_ बीजेपी अध्यक्ष हरियाणा सुभाष बराला से दो लाख एक हजार 89 रुपए.

7_ शहरी स्थानीय निकाय मंत्री कविता जैन से 1 लाख 42 हजार 7 रुपए.

8_ उद्योग मंत्री हरियाणा सरकार विपुल गोयल से 40 हजार 255 रुपए.

9_ चीफ वीप ज्ञान चंद गुप्ता से दो लाख 996 रुपए.
10_ स्वास्थ्य मंत्री हरियाणा सरकार अनिल विज से 1 लाख 41 हजार 209 रुपए.

11_ परिवहन मंत्री हरियाणा सरकार कृष्ण पवार से 1 लाख 73 हजार 127 रुपए.

12_ कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता व विधायक कुलदीप बिश्‍नोई से 1 लाख 96 हजार 493 रुपए.

13_ बीजेपी विधायक असीम गोयल से दो लाख 272 रुपए.

14_ पूर्व मुख्य संसदीय सचिव बख्शीश सिंह विर्क से दो लाख 41 हजार 303 रुपए.


15_ बीजेपी विधायक घनश्याम दास अरोड़ा से 1 लाख 92 हजार 293 रुपए.

16_ पूर्व मुख्य संसदीय सचिव श्याम सिंह राणा से दो लाख 35 हजार 500 रुपए.

LVO_ पहले कोर्ट से डिसमिस हो चुकी है याचिका, सरकार ने जवाब दिया था, हम रिकवरी कर रहे: इस मामले को लेकर पहले सिविल जज तरूण चौधरी की कोर्ट में याचिका लगाई गई थी। इस मामले में कोर्ट में सरकार की तरफ से जवाब दिया गया था कि पूर्व और मौजूदा विधायकों से इनकम टैक्स की रिकवरी शुरू कर दी है। उनसे 20 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से रिकवरी की जा रही है। इस पर कोर्ट ने याचिका डिसमिस कर दी थी। इसके बाद याचिकाकर्ता एडवोकेट जीडी गुप्ता ने एडीजे डॉ. आब्दुल माजिद की कोर्ट में याचिका लगाई थी। इस पर वीरवार को पहली सुनवाई हुई। सरकार खुद भरती रही इनका इनकम टैक्स, अब 20 हजार बहुत कम लिए जा रहे: याचिकाकर्ता एडवोकेट जीडी गुप्ता ने बताया कि उनकी नॉलेज में यह मामला साल 2017 में आया। तब उन्होंने आरटीआई से जानकारी मांगी और दस्तावेज जुटाने शुरू किए। विधानसभा से साल 2018 में उन्हें जवाब मिला। उसमें कहा गया कि साल 2011 से 2018 तक पूर्व और मौजूदा विधायकों के वेतन से वसूले जाने वाला इनकम टैक्स सरकारी खजाने से दिया गया। जबकि यह इनकम टैक्स पूर्व विधायको को अपनी पेंशन और मौजूदा विधायकों को अपने वेतन से देना था। इसको लेकर उन्होंने कोर्ट में जनहित याचिका डाली थी। बाद में कोर्ट ने 20 हजार रुपए प्रति माह के हिसाब से इनकम टैक्स की वसूली शुरू कर दी। जबकि इनकम टैक्स ज्यादा बनता है। इसलिए अब उन्होंने अपील की है। उनका कहना है कि वे चाहते हैं कि जो इनकम टैक्स बनता है ब्याज समेत वसूला जाए। वहीं जो इसके लिए जिम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई हो।

Conclusion:
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