यमुनानगर: हरियाणा के यमुनानगर जिले में बड़े स्तर पर माइनिंग का काम चलता है. अलग-अलग जोन में अलग-अलग फर्मों को माइनिंग की मंजूरी मिली हुई है लेकिन वैध मंजूरी की आड़ में अक्सर फर्मों के मालिकों की अवैध खनन की शिकायतें आती रहती हैं. ऐसा ही मामले की एक शिकायत 8 जून को माइनिंग विभाग के पास पहुंची थी. जिसमें बताया गया था कि धनोरा गांव में 2 एकड़ भूमि पर जेपीवाई कन्सोट्रीयम प्राइवेट लिमिटेड फर्म द्वारा अवध खनन किया गया (illegal mining in yamunanagar) है.
सरकारी राजस्व को हो रहा नुकसान: मामले में पूरी भूमि को झील में तब्दील कर दिया गया है. जिससे बारिश का पानी वहां भर गया है और गांव को जमीनों के साथ-साथ बीमारियां फैलने का खतरा भी बढ़ गया है. वहीं इसके अलावा शिकायत में यह भी कहा गया था कि इसी फर्म के मालिक ने फॉरेस्ट एरिया के सेक्शन 4 और 5 के अंतर्गत पड़ने वाली जमीन पर भी अवैध माइनिंग की हुई (illegal mining in Ranjitpur) है, जिससे सरकारी राजस्व को भी हानि हो रही है. शिकायत के आधार पर निदेशक कार्यालय से अधिकारी राजीव धीमान के नेतृत्व में माइनिंग विभाग की टीम वीरवार को मौके पर पहुंची.
कैमरे से बचते नजर आए अधिकारी: इस दौरान जब मीडिया कर्मी माइनिंग विभाग के अधिकारी से सवाल कर रहे थे तो फर्म के मालिक संदीप डबास कैमरा रोकते भी नजर (Rajeev Dhiman inspected mining firms) आए. कार्रवाई के बारे में बताने की बजाय अधिकारी ने हंसते हुए कहा कि हम तो सिर्फ स्टॉक की चेकिंग के लिए आए हैं. उन्होंने कहा कि विभाग के पास कोई शिकायत नहीं आई है. बता दें कि अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए स्पेशल टीम में भी सभी माइनिंग साइट पर लगाई हुई हैं. इसके बावजूद भी धड़ल्ले से अवैध खनन किया जा रहा है.
पहले भी होते रहे हैं अवैध खनन के मामले: ऐसे में सवाल आता है स्थानीय प्रशासन पर और माइनिंग विभाग पर, क्योंकि जहां अवैध खनन का खेल कर चंद लोग अपनी जेबें भर रहे हैं तो वहीं सरकारी राजस्व का भी नुकसान हो रहा है. जिस तरह विभाग के अधिकारी का जवाब था उससे कहीं ना कहीं लगता है कि उनका अवैध खनन के खेल करने वालों के साथ जरूर मिलीभगत है. आपको बता दें कि अकेले यमुनानगर जिले से खनन से रोजाना करोड़ों रुपए का राजस्व सरकार को पहुंचता है. लेकिन अवैध खनन का खेल भी बदस्तूर जारी है.