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यमुनानगर में जलाई जा रही पराली, किसान बोले- 'क्या करें, हम मजबूर हैं' - यमुनानगर किसान परेशान

प्रदेश में फसल की कटाई होने के बाद अब खरीद भी शुरू हो गई है. इन सबके बीच हर साल की तरह फिर से पराली की समस्या पैदा हो गई है. सरकार जहां बढ़िया पराली प्रबंधन की बात कर रही है तो वहीं किसानों का कहना है कि कोई सुविधा ना मिलने के कारण वे पराली जलाने के लिए मजबूर हैं.

stubble burning in yamunanagar
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Published : Oct 14, 2020, 6:42 PM IST

यमुनानगर: हर साल की तरह इस साल भी इन दिनों धान की फसल की कटाई पूरे जोरों शोरों पर चल रही है और किसान हर साल की तरह इस साल भी पराली में आग लगा रहे हैं. सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया था, लेकिन उसके बावजूद भी किसान पराली जला रहे हैं.

किसानों का कहना है कि उनकी मजबूरी है कि वे पराली जलाएं क्योंकि वे पराली को इकट्ठा करने वाले उपकरण नहीं खरीद सकते और सरकार जो सब्सिडी की बात कह रही है वो भी किसानों को नहीं मिल पा रही है इसलिए वे पराली जलाने को मजबूर हैं.

यमुनानगर में जलाई जा रही पराली, किसानों का कहना है कि वो मजबूर हैं, देखिए ये रिपोर्ट

किसानों का ये भी कहना है कि किसान दो साल में सिर्फ 15 दिन पराली जलाते हैं और सरकार कहती है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण हो रहा है तो सरकार उन फैक्ट्रियों पर क्यों नहीं रोक लगा रही जो साल में 365 दिन वायु प्रदूषण करती हैं. किसानों का कहना है कि कोई प्रबंधन ना होने के कारण, वे पराली जलाने के लिए मजबूर हैं.

ये भी पढ़ें- बरोदा उपचुनाव: किसानों की नाराजगी बीजेपी को पड़ सकती है भारी, देखिए ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट

वहीं जब पराली जलाने को लेकर कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर से बातचीत की गई तो उन्होंने 2018-19 का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले सालों की भांति इस साल पराली की घटनाएं बहुत कम हैं और किसान जागरूक हो रहे हैं. बता दें कि, सीएम मनोहर लाल भी कह चुके हैं कि इस साल कम पराली जलाई जा रही है, क्योंकि सरकार ने बढ़िया प्रबंधन किया है, लेकिन यमुनानगर में जिस तरह से पराली जलाई जा रही है और किसान पराली जलाने को मजबूर हैं, ये सच्चाई तो सीएम के दावों से काफी दूर है.

यमुनानगर: हर साल की तरह इस साल भी इन दिनों धान की फसल की कटाई पूरे जोरों शोरों पर चल रही है और किसान हर साल की तरह इस साल भी पराली में आग लगा रहे हैं. सरकार ने पराली जलाने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया था, लेकिन उसके बावजूद भी किसान पराली जला रहे हैं.

किसानों का कहना है कि उनकी मजबूरी है कि वे पराली जलाएं क्योंकि वे पराली को इकट्ठा करने वाले उपकरण नहीं खरीद सकते और सरकार जो सब्सिडी की बात कह रही है वो भी किसानों को नहीं मिल पा रही है इसलिए वे पराली जलाने को मजबूर हैं.

यमुनानगर में जलाई जा रही पराली, किसानों का कहना है कि वो मजबूर हैं, देखिए ये रिपोर्ट

किसानों का ये भी कहना है कि किसान दो साल में सिर्फ 15 दिन पराली जलाते हैं और सरकार कहती है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण हो रहा है तो सरकार उन फैक्ट्रियों पर क्यों नहीं रोक लगा रही जो साल में 365 दिन वायु प्रदूषण करती हैं. किसानों का कहना है कि कोई प्रबंधन ना होने के कारण, वे पराली जलाने के लिए मजबूर हैं.

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वहीं जब पराली जलाने को लेकर कैबिनेट मंत्री कंवरपाल गुर्जर से बातचीत की गई तो उन्होंने 2018-19 का उदाहरण देते हुए कहा कि पिछले सालों की भांति इस साल पराली की घटनाएं बहुत कम हैं और किसान जागरूक हो रहे हैं. बता दें कि, सीएम मनोहर लाल भी कह चुके हैं कि इस साल कम पराली जलाई जा रही है, क्योंकि सरकार ने बढ़िया प्रबंधन किया है, लेकिन यमुनानगर में जिस तरह से पराली जलाई जा रही है और किसान पराली जलाने को मजबूर हैं, ये सच्चाई तो सीएम के दावों से काफी दूर है.

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