यमुनानगर: किसानों पर लाठीचार्ज होते ही अब पूरे हरियाणा में किसान आंदोलन की आग पहुंच गई. मनोहर सरकार ने किसान नेताओं से बातचीत के लिए तीन सांसदों की कमेटी बनाकर इस मुद्दे को सामान्य करने की कोशिश की, लेकिन सरकार में सहयोगी जेजेपी ने भी सरकार की कार्रवाई को निंदनीय बताया. विपक्ष भी सरकार को घेरने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही. निर्दलीय विधायक बलराज कुंडु ने तो सीएम से गृह मंत्री अनिल विज पर कार्रवाई की मांग कर दी. तीन अध्यादेश का तो पहले से ही किसान विरोध कर रहे थे, लेकिन पुलिसिया कार्रवाई ने किसानों के आंदोलन को और मजबूत कर दिया है और ये मुद्दा अब सरकार के लिए गले की फांस बनता जा रहा है.
और बड़ा होगा आंदोलन
यमुनानगर में मंगलवार को किसानों ने जिला सचिवालय का घेराव किया और राज्य सरकार के साथ ही मोदी सरकार के खिलाफ भी जमकर नारेबाजी की. किसानों का कहना है कि केंद्र सरकार की ओर से जो 3 नए अध्यादेश लागू किए गए हैं, वो बिल्कुल किसान विरोधी हैं इन्हें केंद्र सरकार जल्द वापस ले नहीं तो किसान एक बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे. जिसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
सरकार से तीन मांग
किसान यूनियन के जिला युवा प्रधान का कहना है कि वे 15 से 20 सितंबर तक सांकेतिक धरना देंगे, यदि सरकार ने फिर भी उनकी मांगे नहीं मानी तो उनका प्रदर्शन लगातार जारी रहेगा. उनका कहना है कि उनकी सरकार से तीन मांगें हैं. पहली मांग है कि सरकार एमएसपी गारंटी कानून बनाएं, उनकी दूसरी मांग है कि मंडी के बाहर और मंडी के अंदर टैक्स माफ किया जाए. तीसरी मांग है कि भंडारण की व्यवस्था पहले की तरह ही की जाए ताकि व्यापारी लूट कसोट ना कर सकें.
कोरोना काल में भी डटे रहे किसान
इतिहास गवाह रहा है कि चुनाव में राजनीतिक पार्टियां किसानों से बड़े-बड़े वादे कर देती है, लेकिन सत्ता मिलते ही सरकारों के लिस्ट में सबसे अंतिम स्थान किसानों का ही होता है, फिर भी देश की गिरती अर्थ व्यव्यस्था को किसान ने ही संभाला है. कोरोना के चलते जहां पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसद की नेगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई है वहीं इस स्थिति में भी कृषि क्षेत्र में 3.4 प्रतिशत की उत्पादन वृद्धि दर्ज हुई है, फिर भी किसानों की बात सुनने की बजाय सरकारें लाठीचार्ज करती हैं.
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