सोनीपतः बरोदा उपचुनाव में सत्ताधारी गठबंधन को बुरी हार झेलनी पड़ी है. यहां अंतरराष्ट्रीय पहलवान योगेश्वर दत्त कांग्रेस के एक कार्यकर्ता इंदुराज नरवाल उर्फ भालू से 10 हजार से भी ज्यादा वोटों से हार गए. इस हार में सबसे बड़ी बात ये रही कि जिन गांनों में मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने जनसभाएं की उनमें से भी ज्यादातर गांवों में योगेश्वर दत्त को हार का सामना करना पड़ा. और भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने साबित किया कि बरोदा विधानसभा में उनके किले को भेदना आसान नहीं है. क्योंकि यहां की जनता ने उस सरकार के खिलाफ जाकर विपक्षी प्रत्याशी को वोट दिया है जिसे अभी लगभग 4 साल और सरकार चलानी है.
जहां सीएम और डिप्टी सीएम ने की जनसभाएं वहां भी मिली हार!
मुख्यमंत्री मनोहर लाल और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने दो दिन में बरोदा के कई गांवों में जनसभाएं की. सीएम मनोहर लाल ने कथूरा, धनाना, बरोदा, बुटाना और जागसी गांव में अकेले जाकर जनसभाएं की. जबकि डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने गंगाना, भावड़, मदीना रूखी और रभड़ा में अकेले जनसभाएं की. जबकि दोनों ने मिलकर मुंडलाना, शामड़ी, भैंसवाल कलां और जसराना गांव में संयुक्त जनसभाएं की. यानि कुल मिलाकर सीएम और डिप्टी सीएम ने 14 गांवों में योगेश्वर दत्त के लिए प्रचार किया लेकिन इनमें से तीन तीन गांवों में ही बीजेपी प्रत्याशी की जीत हुई बाकी सबमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. भैंसवाल कलां, धनाना और रभड़ा ये वो तीन गांव हैं जहां सीएम और डिप्टी सीएम ने प्रचार किया और बीजेपी ने कांग्रेस उम्मीदवार पर बढ़त हासिल की.
कांग्रेस स्टार प्रचारकों का स्ट्राइक रेट बेहतर
कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा, प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 6 गांवों में जनसभाएं की थी जिनमें से 3 गांवों में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की.
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280 में कांग्रेस ने जीते 162 बूथ
बरोदा में कुल 280 बूथ थे जिनमें से 162 पर कांग्रेस उम्मीदवार इंदुराज नरवाल ने जीत दर्ज की और 114 बूथ पर बीजेपी उम्मीदवार योगेश्वर दत्त जीते. जबकि 4 बूथ ऐसे थे जिन इनेलो उम्मीदवार ने जीत दर्ज की.
ओपी चौटाला भी इनेलो के प्रत्याशी के लिए कुछ नहीं कर पाए
इनेलो सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री ओपी चौटाला ने बरोदा उपचुनाव में ताकत झोंकी थी लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हो सका. ओपी चौटाला ने लगभग पूरे विधानसभा क्षेत्र का दौरा किया और जोगेंद्र मलिक के लिए वोट मांगे लेकिन इनेलो उम्मीदवार सिर्फ अपने गांव में ही जीत दर्ज कर पाए बाकी उन्हें अपनी जमानत भी गंवानी पड़ी.
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