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थोड़ी सी बरसात के बाद 'तालाब' बन जाता है सोनीपत इंडस्ट्रियल एरिया - sonipat road condition

सोनीपत के औद्योगिक क्षेत्र का हाल काफी खराब है. बरसात के बाद यहां की सड़कें तालाब का रूप ले लेती हैं. जिससे मजदूरों और उद्योगपतियों का काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ता है.

water logging in sonipat industrial area after rain
water logging in sonipat industrial area after rain
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Published : Aug 17, 2020, 8:19 PM IST

सोनीपत: उद्योगों और उद्योगपतियों के हितों के लिए सरकार कितनी सजग है, इसका अंदाजा नाथुपुर के औद्योगिक क्षेत्र से लगाया जा सकता है. इस ओद्योगिक क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में कारखाने हैं, जो देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

थोड़ी सी बरसात के बाद 'तालाब' बन जाता है सोनीपत इंडस्ट्रियल एरिया, देखें वीडियो

राजस्व से लेकर रोजगार तक में इनका अच्छा-खासा योगदान है, लेकिन थोड़ी सी बरसात के बाद ये औद्योगिक क्षेत्र समुद्र सा रूप ले लेता है. सभी सड़कों पर कई फीट पानी भर जाता है, जिससे यहां के मजदूरों और उद्योगपतियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन लगा तो डेयरी मालिकों ने दूध से बनाया घी और मिल्क पाउडर अब बेचने की चुनौती

बता दें कि ओद्योगिक क्षेत्र में बीते दो सालों से नाले को बनाने का काम कछुआ चाल से चल रहा है, जिस कारण पानी सड़कों पर खड़ा हो जाता है. यहां के उद्योगपतियों का आरोप है कि सरकार ने कारखाने बनाने से पहले सड़कों-नालों जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए प्रति गज 500 रुपये जमा करवाए लिए हैं, बावजूद उसके किसी प्रकार की सुविधा नहीं उपलब्ध करवाई गई.

फिलहाल सरकार की तरफ से तो इन लोगों को राहत मिलने की उम्मीद कम ही है, लेकिन इन्हें इंद्र देवता से उम्मीद जरूर है कि जल्द ही बरसात के मौसम से छुटकारा मिल पाएगा.

सोनीपत: उद्योगों और उद्योगपतियों के हितों के लिए सरकार कितनी सजग है, इसका अंदाजा नाथुपुर के औद्योगिक क्षेत्र से लगाया जा सकता है. इस ओद्योगिक क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में कारखाने हैं, जो देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

थोड़ी सी बरसात के बाद 'तालाब' बन जाता है सोनीपत इंडस्ट्रियल एरिया, देखें वीडियो

राजस्व से लेकर रोजगार तक में इनका अच्छा-खासा योगदान है, लेकिन थोड़ी सी बरसात के बाद ये औद्योगिक क्षेत्र समुद्र सा रूप ले लेता है. सभी सड़कों पर कई फीट पानी भर जाता है, जिससे यहां के मजदूरों और उद्योगपतियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है.

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बता दें कि ओद्योगिक क्षेत्र में बीते दो सालों से नाले को बनाने का काम कछुआ चाल से चल रहा है, जिस कारण पानी सड़कों पर खड़ा हो जाता है. यहां के उद्योगपतियों का आरोप है कि सरकार ने कारखाने बनाने से पहले सड़कों-नालों जैसी सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए प्रति गज 500 रुपये जमा करवाए लिए हैं, बावजूद उसके किसी प्रकार की सुविधा नहीं उपलब्ध करवाई गई.

फिलहाल सरकार की तरफ से तो इन लोगों को राहत मिलने की उम्मीद कम ही है, लेकिन इन्हें इंद्र देवता से उम्मीद जरूर है कि जल्द ही बरसात के मौसम से छुटकारा मिल पाएगा.

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