सोनीपत: भारत में हर साल लाखों लोग सड़क हादसों में अपनी जान गवां देते हैं. प्रशासन चाहे कितने भी अभियान क्यों न चला ले या फिर लोगों को कितना भी जागरुक कर ले बावजूद इसके सड़के हादसों में कमी नहीं आई है.
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वहीं बात अगर सोनीपत की करें तो ये दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख जिलों में से एक है जहां से देश का सबसे पुराना नेशनल हाईवे 44 गुजरता है. हजारों वाहन इस हाईवे से होकर गुजरते हैं और ऐसे में सड़क हादसे होने के चांस भी बढ़ जाते हैं.
ट्रैफिक पुलिस द्वारा चलाया गया 'सड़क सुरक्षा महीना' अभियान
सड़क हादसों को रोकने के लिए सोनीपत ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि लोगों को जागरुक करने के लिए सड़क सुरक्षा सप्ताह की शुरूआत की गई थी लेकिन अब सड़क सुरक्षा महीने की शुरूआत की गई है ताकि वाहन चालकों को जागरुक किया जाए सके.
हर वर्ष सोनीपत में होते हैं 600 के करीब सड़क हादसे
आपको बता दें कि सिर्फ सोनीपत जिले में ही हर साल करीब 600 के करीब सड़क हादसे होते हैं और इनमें से ज्यादातर लोग अपनी जान गवां देते हैं. इन हादसों का सबसे बड़ा कारण एक तो ये की सोनीपत से नेशनल हाईवे गुजरता है और दूसरा इस हाईवे पर मुरथल के पास ढाबों का होना, जहां देर रात युवाओं की टोली खाने के लिए आती है. इनमें से ज्यादातर युवा शराब के नशे में होते हैं जिस वजह से सड़क हादसे होते हैं.
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फिलहाल ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि जो लोग ट्रैफिक नियमों का पालन नहीं करते उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है लेकिन इन दिनों नेशनल हाईवे 44 पर निर्माण कार्य चल रहा है तो वाहनों की स्पीड ज्यादा नहीं होती, लेकिन समय-समय पर वाहन चालकों को ट्रैफिक नियमों का पालन करने की हिदायत जरूर दी जाती है.
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हालांकि ट्रैफिक पुलिस द्वारा वाहन चालकों को जगरुक जरूर किया जाता है लेकिन फिर भी हादसों में कमी नहीं आती है. इसकी वजह ये भी है की लोग सड़क पर चलते समय सर्तक नहीं रहेत हैं और वो ट्रैफिक नियमों का पालन भी नहीं करते हैं.