सोनीपत: खरखौदा गोदाम में शराब घोटाले के मामले में एसआईटी ने अपना दायरा बढ़ा दिया है. मंगलवार को जांच कमेटी के प्रमुख अतिरिक्त मुख्य सचिव टीसी गुप्ता सोनीपत पहुंचे. सोनीपत के डिप्टी एक्साइज कमिश्नर कार्यालय में एसआईटी ने कई घंटों तक रिकॉर्ड खंगाला.
जांच के दौरान पूरे कार्यालय में सन्नाटा छाया रहा. किसी भी बाहरी व्यक्ति को ना तो भीतर जाने दिया और ना ही किसी को बाहर आने दिया गया. कई घंटे तक रिकॉर्ड खंगालने के बाद टीम यहां से रवाना हुई.
आपको बता दें कि प्रदेश की राजनीति में शराब घोटाले को विपक्षी दलों ने मुद्दा बनाया है. साल 2019 से आबकारी और पुलिस विभाग द्वारा मिलीभगत से करोड़ों की शराब गायब की गई. जिसके बाद कई पुलिस अधिकारियों पर गाज गिर चुकी है. प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज मामले में खुद नजर बनाए हुए हैं. घोटाले के मुख्य आरोपी शराब तस्कर भूपेंद्र सिंह को न्यायिक हिरासत में भेजा जा चुका है.
फिलहाल इस मामले में जांच कमेटी को कई परतें खुलने का अंदेशा है. हालांकि इस गंभीर मामले में जांच कमेटी के सभी अधिकारी मीडिया के सामने चुप्पी ही साधे रहे. जांच कमेटी के प्रमुख टीसी गुप्ता के अलावा, सोनीपत के एसपी जश्नदीप रंधावा, रोहतक के एसपी राहुल शर्मा, आबकारी विभाग कब आला अधिकारी भी मौजूद रहे.
क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी. लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गईं. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. गोदाम भूपेंद्र ठेकेदार का है. ठेकेदार भूपेंद्र खरखौदा थाने में सरेंडर कर चुका है. जिसे कोर्ट में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया जा चुका है.
कैसे हुई तस्करी?
सोनीपत के एसपी जशनदीप सिंह रंधावा के मुताबिक, खरखौदा में बाईपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.
पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा. जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं.
'पूरी योजना बनाकर निकाली गई थी शराब'
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि शराब माफिया ने पुलिस से सांठ-गांठ कर पूरा गुणा-भाग लगा कर गोदाम से शराब निकाली है. लॉकडाउन के दौरान शराब की मांग बढ़ी तो शराब माफिया ने पुलिस कर्मचारियों को झांसे में लिया. शराब गिनती में पकड़े जाने की बात उठी, तो माफिया ने तर्क दिया कि अब 6 सौ की बोतल 22 सौ में बिक रही है. लॉकडाउन खुलने के बाद 6 सौ रुपये की बोतल खरीद कर वापस गोदाम में रखवा दी जाएगी. जिससे कभी भी यह खेल उजागर नहीं होगा.
कैसे हुआ खुलासा?
डीएसपी हरेंद्र कुमार, डॉ. रविंद्र कुमार और जितेंद्र सिंह की देखरेख में 4 दिन तक शराब की गिनती की गई. पुलिस को सील की गयी गई शराब में से 5500 पेटियां गायब मिली. इनको ताले तोड़कर, सील हटाकर और दीवार उखाड़ कर निकाला गया था. सील की गई शराब गायब होने पर खरखौदा थाने में एसएचओ रहे अरुण कुमार और जसबीर सिंह समेत 5 पर मुकदमा दर्ज हुआ.
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जांच के लिए एसआईटी गठित
सरकार ने शराब घोटाले मामले में एसआईटी का गठन किया है. ये एसआईटी सीनियर आईएएस अधिकारी टीसी गुप्ता की अध्यक्षता में जांच कर रही है. इसमें एडीजीपी सुभाष यादव और अतिरिक्त एक्साइज आयुक्त विजय सिंह को भी शामिल किया गया है. ये एसआईटी 31 मई तक अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट गृह विभाग को सौंपेगी.