सोनीपत: शराब घोटाले में आरोपी सस्पेंड इंस्पेक्टर अरुण कुमार ने प्रशासनिक जांच में शामिल होकर लिखित जवाब दे दिया है. इंस्पेक्टर अरुण ने खुद को बेकसूर बताया है. सड़क हादसे में घायल होने के चलते वो पहले अपना जवाब नहीं दे सके थे. इंस्पेक्टर अरुण के मुताबिक उनके कार्यकाल में शराब अपने रिकॉर्ड में पूरी थी. आरोपी सस्पेंड इंस्पेक्टर अरुण कुमार ने शराब घोटाला उनके पीछे हुआ है. इसमें उनका कोई योगदान नहीं हैं. मामले की जांच कर एसईटी के मुताबिक हर कोई एक दूसरे पर आरोप लगा रहा है. अभी तक मामले में आरोपी अरुण ने ही लिखित में जवाब दिया उसने अपने आपको बेकसूर बताया है.
डीएसपी सिटी डॉक्टर रविंद्र कुमार भी मामले में प्रशासनिक जांच कर रहे हैं. वो शराब तस्करी में नामजद पुलिसकर्मियों को नोटिस जारी कर जांच में शामिल होने को कह चुके हैं. अभी तक केवल सस्पेंड पुलिस इंस्पेक्टर अरुण कुमार ने ही जांच अधिकारी के सामने अपना पक्ष रखा है.
आरोपी अरुण कुमार 6 मार्च, 2019 से 9 जनवरी 2020 तक खरखौदा थाने में बतौर एसएचओ कार्यरत था. अरुण कुमार के मुताबिक जबतक उसकी पुलिस स्टेशन में तैनाती थी तब तक गोदाम से शराब चोरी नहीं हुई. उस वक्त शराब भरपूर मात्रा में गोदाम में रखी थी. अरुण कुमार ने कहा कि बता दें कि रिमांड के दौरान बर्खास्त इंस्पेक्टर जसबीर ने बताया था कि अरुण कुमार ने तस्करी की शराब को भूपेंद्र के गोदाम में रखवा दिया था. वहां से लगातार शराब चोरी करके बेची जा रही थी.
क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. भूपेंद्र इस गोदाम का ठेकेदार है. ठेकेदार भूपेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.
कैसे हुई तस्करी?
खरखौदा में बाइपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.
पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम ये रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा, जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं. इस शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.