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सोनीपत: 'तत्कालीन एसएचओ अरुण कुमार ने की शराब घोटाले की शुरुआत' - एसएचओ अरुण कुमार सोनीपत शराब घोटाला

लॉकडाउन में सोनीपत पुलिस ने दिन-रात मेहनत करके जिस इमानदारी से सेवा की थी, खरखौदा शराब घोटाले से उसकी चमक फीकी पड़ गई. खरखौदा थाने में गड़बड़ी की शुरुआत 2019 में तत्कालीन एसएचओ अरुण कुमार ने की थी.

sonipat liquor scam case
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Published : Jun 25, 2020, 11:24 AM IST

Updated : Jun 25, 2020, 11:57 AM IST

सोनीपत: शराब घोटाले मामले में अभी तक दो एसएचओ को सस्पेंड किया गया है. वहीं एक पुलिसकर्मी को को बर्खास्त किया गया है. इसके साथ ही 13 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज किया गया और थाने के पूरे स्टाफ को बदला गया है. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि शराब घोटाले का असर पूरे प्रदेश की पुलिस की छवी पर पड़ा है.

लॉकडाउन में सोनीपत पुलिस ने दिनरात मेहनत करके जिस इमानदारी से सेवा की थी, खरखौदा शराब घोटाले से उसकी चमक फीकी पड़ गई. एसआईटी के मुताबिक खरखौदा थाने में गड़बड़ी की शुरुआत 2019 में तत्कालीन एसएचओ अरुण कुमार ने की थी. एसआइटी के अनुसार उसने केस प्रॉपर्टी की शराब को सभी मानकों को ताक पर रखकर उसी शराब तस्कर के गोदाम में रखवा दिया, जिससे वो पकड़ी गई थी.

केस प्रॉपर्टी होने के चलते इस शराब की जगह बदलने के लिए न्यायालय से अनुमति लेनी चाहिए थी. अरुण कुमार ने ना तो न्यायालय से इसकी अनुमति ली और ना ही पुलिस अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भेजी. माना जा रहा है कि ये शराब तस्कर भूपेंद्र से मिलीभगत कर किया गया. अरुण कुमार के खिलाफ शराब घोटाले की रिपोर्ट दर्ज है. अरुण कुमार को 31 दिसंबर की रात को अचानक हटा दिया गया था.

एसआईटी के मुताबिक एसएचओ बनाए गए जसबीर ने गोदाम से निकलवाकर शराब की बिक्री करा दी. इस मामले उसको भी थाने से हटाया गया. उसके बाद संदीप धनखड़ को खरखौदा का एसएचओ बनाया गया. उस पर मात्र दस दिन की तैनाती में शराब घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगे, जिसके चलते उसे बाद में सस्पेंड कर दिया गया. खरखौदा थाने के दो एसएचओ अरुण कुमार पर एक अन्य मामले में पहले 31 दिसंबर को सस्पेंड कर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. उसके बाद शराब घोटाले में रिपोर्ट दर्ज कर दोबारा सस्पेंड किया गया.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. भूपेंद्र इस गोदाम का ठेकेदार है. ठेकेदार भूपेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.

कैसे हुई तस्करी?

खरखौदा में बाइपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

ये भी पढ़िए: शराब घोटाला: शिकायत मिलने के बाद भी भूपेंद्र पर कार्रवाई नहीं करता था इंस्पेक्टर धीरेंद्र

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम ये रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा, जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं. इस शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.

सोनीपत: शराब घोटाले मामले में अभी तक दो एसएचओ को सस्पेंड किया गया है. वहीं एक पुलिसकर्मी को को बर्खास्त किया गया है. इसके साथ ही 13 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज किया गया और थाने के पूरे स्टाफ को बदला गया है. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि शराब घोटाले का असर पूरे प्रदेश की पुलिस की छवी पर पड़ा है.

लॉकडाउन में सोनीपत पुलिस ने दिनरात मेहनत करके जिस इमानदारी से सेवा की थी, खरखौदा शराब घोटाले से उसकी चमक फीकी पड़ गई. एसआईटी के मुताबिक खरखौदा थाने में गड़बड़ी की शुरुआत 2019 में तत्कालीन एसएचओ अरुण कुमार ने की थी. एसआइटी के अनुसार उसने केस प्रॉपर्टी की शराब को सभी मानकों को ताक पर रखकर उसी शराब तस्कर के गोदाम में रखवा दिया, जिससे वो पकड़ी गई थी.

केस प्रॉपर्टी होने के चलते इस शराब की जगह बदलने के लिए न्यायालय से अनुमति लेनी चाहिए थी. अरुण कुमार ने ना तो न्यायालय से इसकी अनुमति ली और ना ही पुलिस अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भेजी. माना जा रहा है कि ये शराब तस्कर भूपेंद्र से मिलीभगत कर किया गया. अरुण कुमार के खिलाफ शराब घोटाले की रिपोर्ट दर्ज है. अरुण कुमार को 31 दिसंबर की रात को अचानक हटा दिया गया था.

एसआईटी के मुताबिक एसएचओ बनाए गए जसबीर ने गोदाम से निकलवाकर शराब की बिक्री करा दी. इस मामले उसको भी थाने से हटाया गया. उसके बाद संदीप धनखड़ को खरखौदा का एसएचओ बनाया गया. उस पर मात्र दस दिन की तैनाती में शराब घोटाले को लेकर गंभीर आरोप लगे, जिसके चलते उसे बाद में सस्पेंड कर दिया गया. खरखौदा थाने के दो एसएचओ अरुण कुमार पर एक अन्य मामले में पहले 31 दिसंबर को सस्पेंड कर रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी. उसके बाद शराब घोटाले में रिपोर्ट दर्ज कर दोबारा सस्पेंड किया गया.

क्या है शराब घोटाला?

सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. भूपेंद्र इस गोदाम का ठेकेदार है. ठेकेदार भूपेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.

कैसे हुई तस्करी?

खरखौदा में बाइपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.

ये भी पढ़िए: शराब घोटाला: शिकायत मिलने के बाद भी भूपेंद्र पर कार्रवाई नहीं करता था इंस्पेक्टर धीरेंद्र

पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम ये रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा, जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं. इस शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.

Last Updated : Jun 25, 2020, 11:57 AM IST
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