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Tokyo Olympics 2021:हिजाब से बाहर नहीं निकली इस घर की कोई महिला, बेड़ियां तोड़कर ओलंपिक पहुंची हरियाणा की बेटी

हरियाणा की 9 बेटियों का टोक्यो ओलंपिक में खेलने वाली भारतीय महिला हॉकी टीम में चयन हुआ है. इनमें से एक बेटी ऐसी भी है जिसने लाख मुश्किलों को पार कर इस टीम में जगह बनाई है. खिलाड़ी निशा वारसी ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती हैं जहां बेटियों को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती थी लेकिन कड़ी मेहनत और संघर्ष के बाद निशा बेड़ियां तोड़कर ओलंपिक पहुंच चुकी हैं.

Nisha warsi hockey player tokyo Olympics
हिजाब से बाहर नहीं निकली इस घर की कोई महिला, बेड़ियां तोड़कर ओलंपिक पहुंची हरियाणा की बेटी
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Published : Jun 22, 2021, 9:41 PM IST

सोनीपत: कहते हैं जिस इंसान में कुछ कर गुजरने की चाह होती है, उसके साथ खुदा होता है. अगर हम कुछ करने की ठान लें तो चाहें लाख मुश्किल क्यों न आ जाए हम अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सोनीपत जिले के गांव कालूपुर गांव की रहने वाली निशा वारसी(Nisha Warsi) ने. जिनका चयन टोक्यो ओलंपिक(Tokyo Olympics) में जाने वाली भारतीय महिला हॉकी(Indian Women Hockey Team) टीम में हुआ है.

निशा का टोक्यो आलंपिक के लिए चयन होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है और अब वो मेडल की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन निशा वारसी का इंडिया हॉकी टीम तक का सफर इतना आसाना नहीं था. क्योंकि निशा ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती है जहां बेटियों को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती. यहां बेटियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए बंदिशों की बेड़ियों को तोड़ना पड़ता है. दरअसल निशा एक मुसलिम परिवार की बेटी है और प्रैक्टिस के शुरुआती दिनों में उन्हें हिजाब(Hijab) पहनकर मैदान पर भेजा जाता था लेकिन कोच प्रीतम के कहने पर परिवार ने उन्हें बाकी लड़कियों की तरह खेलने की इजाजत दी.

हिजाब से बाहर नहीं निकली इस घर की कोई महिला, बेड़ियां तोड़कर ओलंपिक पहुंची हरियाणा की बेटी

ये भी पढ़ें: वर्ल्ड नंबर-1 गोलकीपर का खिताब पा चुकी हरियाणा की बेटी हॉकी स्टिक से ओलंपिक में दिखाएंगी दम, गोल्ड पर टिकी निगाहें

टोक्यो ओलंपिक में जाने वाली हॉकी खिलाड़ी निशा के घर में आज खुशी का माहौल है. कालूपुर गांव में उनका परिवार महज 25 गज के मकान में रहता है. ईटीवी भारत ने निशा के पिता सोहराभ अहमद से बात की तो उन्होंने निशा के संघर्ष और ओलंपिक तक के सफर के बारे में विस्तार से बताया. 2016 में निशा के पिता को पैरालाइज अटैक आया था जिसके बाद निशा पर और भी जिम्मेदारियां बढ़ गई थी लेकिन निशा हार नहीं मानी और उन्होंने तब रेलवे में नौकरी करते हुए पिता का इलाज भी करवाया और परिवार का पेट भी पाला.

ये भी पढ़ें: हरियाणा की ये छोरियां टोक्यो आलंपिक में देश का नाम चमकाने को तैयार, भारत को गोल्ड की उम्मीद

आपको बता दें कि निशा रेलवे में बतौर कलर्क के पद पर तैनात हैं और रेलवे की तरफ से ही वो हॉकी खेलती हैं. वहीं 2017 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स(Commonwealth Games) जैसे बड़े टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रह चुकी हैं. निशा रेलवे की टीम में मिड फील्डर और कवर के रूप में खेलती है और उन्हें अग्रेसिव खेल के लिए जाना जाता है.

Nisha warsi hockey player tokyo Olympics
निशा के अग्रेसिव खेल के आगे विरोधी टीम के खिलाड़ी पस्त

निशा के घर में माता-पिता के अलावा दो बहनें और एक छोटा भाई है जो इस वक्त बेहद खुश हैं और निशा की मां का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है और अब वो देश के लिए गोल्ड मेडल जरूर लेकर आएगी. निशा की इस उपलब्धि पर सिर्फ उनके परिवार को ही नहीं बल्कि पूर देश को गर्व है क्योंकि जिस परिवार में बेटी को बाहर निकलने तक नहीं दिया जाता था आज वो बेटी विदेश में जाकर अपने देश के लिए ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलेगी.

सोनीपत: कहते हैं जिस इंसान में कुछ कर गुजरने की चाह होती है, उसके साथ खुदा होता है. अगर हम कुछ करने की ठान लें तो चाहें लाख मुश्किल क्यों न आ जाए हम अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सोनीपत जिले के गांव कालूपुर गांव की रहने वाली निशा वारसी(Nisha Warsi) ने. जिनका चयन टोक्यो ओलंपिक(Tokyo Olympics) में जाने वाली भारतीय महिला हॉकी(Indian Women Hockey Team) टीम में हुआ है.

निशा का टोक्यो आलंपिक के लिए चयन होने के बाद परिवार में खुशी का माहौल है और अब वो मेडल की उम्मीद कर रहे हैं. लेकिन निशा वारसी का इंडिया हॉकी टीम तक का सफर इतना आसाना नहीं था. क्योंकि निशा ऐसे परिवार से ताल्लुक रखती है जहां बेटियों को घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं होती. यहां बेटियों को अपने सपनों को पूरा करने के लिए बंदिशों की बेड़ियों को तोड़ना पड़ता है. दरअसल निशा एक मुसलिम परिवार की बेटी है और प्रैक्टिस के शुरुआती दिनों में उन्हें हिजाब(Hijab) पहनकर मैदान पर भेजा जाता था लेकिन कोच प्रीतम के कहने पर परिवार ने उन्हें बाकी लड़कियों की तरह खेलने की इजाजत दी.

हिजाब से बाहर नहीं निकली इस घर की कोई महिला, बेड़ियां तोड़कर ओलंपिक पहुंची हरियाणा की बेटी

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टोक्यो ओलंपिक में जाने वाली हॉकी खिलाड़ी निशा के घर में आज खुशी का माहौल है. कालूपुर गांव में उनका परिवार महज 25 गज के मकान में रहता है. ईटीवी भारत ने निशा के पिता सोहराभ अहमद से बात की तो उन्होंने निशा के संघर्ष और ओलंपिक तक के सफर के बारे में विस्तार से बताया. 2016 में निशा के पिता को पैरालाइज अटैक आया था जिसके बाद निशा पर और भी जिम्मेदारियां बढ़ गई थी लेकिन निशा हार नहीं मानी और उन्होंने तब रेलवे में नौकरी करते हुए पिता का इलाज भी करवाया और परिवार का पेट भी पाला.

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आपको बता दें कि निशा रेलवे में बतौर कलर्क के पद पर तैनात हैं और रेलवे की तरफ से ही वो हॉकी खेलती हैं. वहीं 2017 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स(Commonwealth Games) जैसे बड़े टूर्नामेंट में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रह चुकी हैं. निशा रेलवे की टीम में मिड फील्डर और कवर के रूप में खेलती है और उन्हें अग्रेसिव खेल के लिए जाना जाता है.

Nisha warsi hockey player tokyo Olympics
निशा के अग्रेसिव खेल के आगे विरोधी टीम के खिलाड़ी पस्त

निशा के घर में माता-पिता के अलावा दो बहनें और एक छोटा भाई है जो इस वक्त बेहद खुश हैं और निशा की मां का कहना है कि उन्हें अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है और अब वो देश के लिए गोल्ड मेडल जरूर लेकर आएगी. निशा की इस उपलब्धि पर सिर्फ उनके परिवार को ही नहीं बल्कि पूर देश को गर्व है क्योंकि जिस परिवार में बेटी को बाहर निकलने तक नहीं दिया जाता था आज वो बेटी विदेश में जाकर अपने देश के लिए ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेलेगी.

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