ETV Bharat / state

तेज होने जा रहा है आंदोलन! किसान अब इस एक्सप्रेसवे को कर सकते हैं बंद - संयुक्त किसान मोर्चा बैठक

तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन (Farmers protest) एक साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी है. ऐसे में सरकार पर दबाव बनाने के लिए अब संयुक्त किसान मोर्चा (samyukt kisan morcha) 9 नवंबर को अहम बैठक करने जा रहा है. जिसमें आंदोलन को तेज करने के लिए रूप रेखा तैयार की जाएगी.

Farmers protest
Farmers protest
author img

By

Published : Nov 5, 2021, 10:36 PM IST

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है. अब किसान नेताओं पर किसान आंदोलन को तेज करने का दबाव बन रहा है ताकि सरकार पर इन कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाया जाए और सरकार किसानों के सामने झुके.

अब 7 नवंबर को पहले तो हरियाणा के संगठन रोहतक के मकड़ौली टोल पर बैठक करने जा रहे हैं. वहीं 8 नवंबर को पंजाब में 32 जत्थेबंदिया बैठक करेंगी, और अपनी-अपनी बैठकों का लेखा-जोखा और बैठकों में हुई चर्चा को 9 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक (samyukt kisan morcha meeting) में रखा जाएगा. गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: किसानों ने किया बीजेपी सांसद की गाड़ी पर हमला, पुलिस ने भांजी लाठियां, कई हिरासत में

इसके बाद देखते ही देखते नेशनल हाईवे-44 को किसानों ने कई किलोमीटर तक जाम कर दिया और यहीं पर अपने डेरे बसा लिए. किसानों ने सरकार को घेरने के लिए और बातचीत के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया और सरकार के साथ करीब 12 दौर की बातचीत भी किसान नेताओं की हुई, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. अब हालात ये है कि ना तो सरकार किसानों को बातचीत का न्योता दे रही है और ना ही किसान आगे बढ़कर सरकार के साथ बातचीत को राजी हैं.

पंजाब की एक बड़ी किसान जत्थेबंदी के नेता मंजीत राय ने स्पष्ट कर दिया कि अगर हमें सरकार पर दबाव बनाना है तो हमें केएमपी, केजीपी को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ेगा ताकि सरकार को अपनी जिद्द से हटना पड़े और यह तीनों कृषि कानून वापस हों. उन्होंने कहा कि हम पंजाब प्रांत की होने वाली मीटिंग में ये मुद्दा रखेंगे कि अगर सरकार हमारी मांगें 26 नवंबर से पहले नहीं मानती तो उन्हें कोई बड़ा फैसला लेना होगा ताकि सरकार किसानों के सामने झुके और ये तीनों कृषि कानून वापस हों. हम अपनी होने वाली मीटिंग में के केएमपी और केजीपी को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने पर चर्चा करेंगे.

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को किसानों ने किया रिहा, हाथ जोड़कर छूटने पर दी ये सफाई

किसान नेता मंजीत राय के इस बयान के कई मायने निकल कर सामने आ रहे हैं. जिस तरह से उन्होंने कहा है कि केएमपी और केजीपी को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने के फैसले पर हम चर्चा करेंगे, तो कहीं ना कहीं ये तय है कि संयुक्त किसान मोर्चा की 9 नवंबर को होने वाली बैठक में कोई बड़ा फैसला किसान ले सकते हैं. हालांकि किसान नेता मंजीत राय के बयान से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और हरियाणा भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के मुखिया गुरनाम सिंह चढूनी पहले ही किसान आंदोलन को तेज करने के लिए दिल्ली कूच करने की बात कह चुके हैं.

बता दें कि इससे पहले भी किसान नेता किसान आंदोलन को तेज करने के लिए कई बड़े फैसले ले चुके हैं. जैसे कि बीती 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली और कई बार भारत बंद करना. वहीं अब किसान दिल्ली की लाइफ लाइन कहे जाने वाले ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को जाम करने की योजना बना रहे हैं ताकि सरकार पर दवाब बना सके. ऐसे में अब देखना होगा कि किसानों की इस रणनीति का सरकार पर क्या असर पड़ेगा.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat App

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (Farmers protest) लगातार जारी है. 26 नवंबर को किसान आंदोलन को 1 साल पूरा होने जा रहा है, लेकिन सरकार और किसान नेताओं के बीच में बातचीत पर डेड लॉक लगा हुआ है. अब किसान नेताओं पर किसान आंदोलन को तेज करने का दबाव बन रहा है ताकि सरकार पर इन कृषि कानूनों को वापस लेने का दबाव बनाया जाए और सरकार किसानों के सामने झुके.

अब 7 नवंबर को पहले तो हरियाणा के संगठन रोहतक के मकड़ौली टोल पर बैठक करने जा रहे हैं. वहीं 8 नवंबर को पंजाब में 32 जत्थेबंदिया बैठक करेंगी, और अपनी-अपनी बैठकों का लेखा-जोखा और बैठकों में हुई चर्चा को 9 नवंबर को सिंघु बॉर्डर पर होने वाली संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक (samyukt kisan morcha meeting) में रखा जाएगा. गौरतलब है कि 26 नवंबर 2020 को हरियाणा और पंजाब के हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचे और उनको दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में केंद्र सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों के विरोध में विरोध करने जाना था, लेकिन दिल्ली पुलिस ने सोनीपत में कुंडली सिंघु बॉर्डर, झज्जर जिले के टिकरी बॉर्डर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों को रोक दिया. इसके बाद किसान संगठनों ने फैसला लिया कि दिल्ली की सीमाओं पर ही किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे.

ये भी पढ़ें- हरियाणा: किसानों ने किया बीजेपी सांसद की गाड़ी पर हमला, पुलिस ने भांजी लाठियां, कई हिरासत में

इसके बाद देखते ही देखते नेशनल हाईवे-44 को किसानों ने कई किलोमीटर तक जाम कर दिया और यहीं पर अपने डेरे बसा लिए. किसानों ने सरकार को घेरने के लिए और बातचीत के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया और सरकार के साथ करीब 12 दौर की बातचीत भी किसान नेताओं की हुई, लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. अब हालात ये है कि ना तो सरकार किसानों को बातचीत का न्योता दे रही है और ना ही किसान आगे बढ़कर सरकार के साथ बातचीत को राजी हैं.

पंजाब की एक बड़ी किसान जत्थेबंदी के नेता मंजीत राय ने स्पष्ट कर दिया कि अगर हमें सरकार पर दबाव बनाना है तो हमें केएमपी, केजीपी को भी अनिश्चितकाल के लिए बंद करना पड़ेगा ताकि सरकार को अपनी जिद्द से हटना पड़े और यह तीनों कृषि कानून वापस हों. उन्होंने कहा कि हम पंजाब प्रांत की होने वाली मीटिंग में ये मुद्दा रखेंगे कि अगर सरकार हमारी मांगें 26 नवंबर से पहले नहीं मानती तो उन्हें कोई बड़ा फैसला लेना होगा ताकि सरकार किसानों के सामने झुके और ये तीनों कृषि कानून वापस हों. हम अपनी होने वाली मीटिंग में के केएमपी और केजीपी को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने पर चर्चा करेंगे.

ये भी पढ़ें- पूर्व मंत्री मनीष ग्रोवर को किसानों ने किया रिहा, हाथ जोड़कर छूटने पर दी ये सफाई

किसान नेता मंजीत राय के इस बयान के कई मायने निकल कर सामने आ रहे हैं. जिस तरह से उन्होंने कहा है कि केएमपी और केजीपी को अनिश्चितकाल के लिए बंद करने के फैसले पर हम चर्चा करेंगे, तो कहीं ना कहीं ये तय है कि संयुक्त किसान मोर्चा की 9 नवंबर को होने वाली बैठक में कोई बड़ा फैसला किसान ले सकते हैं. हालांकि किसान नेता मंजीत राय के बयान से पहले भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत और हरियाणा भारतीय किसान यूनियन चढूनी ग्रुप के मुखिया गुरनाम सिंह चढूनी पहले ही किसान आंदोलन को तेज करने के लिए दिल्ली कूच करने की बात कह चुके हैं.

बता दें कि इससे पहले भी किसान नेता किसान आंदोलन को तेज करने के लिए कई बड़े फैसले ले चुके हैं. जैसे कि बीती 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली और कई बार भारत बंद करना. वहीं अब किसान दिल्ली की लाइफ लाइन कहे जाने वाले ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को जाम करने की योजना बना रहे हैं ताकि सरकार पर दवाब बना सके. ऐसे में अब देखना होगा कि किसानों की इस रणनीति का सरकार पर क्या असर पड़ेगा.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat App

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.