सोनीपत: पीएम मोदी के ऐलान के बाद संसद से भी तीन कृषि कानूनों को वापस (Three Farm Laws Repeal) लिया जा चुका है, लेकिन इसके बावजूद किसानों का आंदोलन जारी है. किसान सिंघु बॉर्डर समेत दिल्ली के चारो और बॉर्डर पर तंबू लगाकर डटे हुए हैं. आज सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा बैठक (Samyukt Kisan Morcha Meeting) जारी है. ये बैठक काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इस बैठक में देश के सभी बड़े किसान संगठन मिलकर किसान आंदोलन की आगे की रणनीति बनाने के लिए जुटे हैं.
जानकारी के मुताबिक आज हो रही सिंघु बॉर्डर पर किसानों की बैठक में किसानों पर दर्ज मुकदमे वापसी और एमएसपी पर कानून (Farmers Demand Law on msp) समेत अपनी सभी लंबित मांगों पर चर्चा करेंगे. इस बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस की जाएगी. हालांकि सरकार की ओर से कृषि कानून रद्द करने के बाद से ही किसान संगठनों में मुद्दों को लेकर टकराव की स्थिति नजर आई है.
बता दें कि पंजाब की 32 किसान जत्थेबंदियों (Punjab Farmers on kisan andolan) के नेताओं की ओर से पहले भी कई बार आंदोलन खत्म कर घरों की ओर लौटने के बयान आ चुके हैं. पंजाब किसान जत्थेबंदियों के नेताओं के बयानों से वो अब सरकार के उठाए कदमों से संतुष्ठ नजर आते हैं, लेकिन हरियाणा के कुछ किसान संगठन आंदोलन खत्म नहीं करना चाहते हैं. हरियाणा के किसान संगठन किसानों पर दर्ज मुकदमों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनने तक आंदोलन खत्म नहीं करना चाहते हैं.
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हरियाणा के सीएम के साथ बैठक रही बेनतीजा: शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा (samyukt kisan morcha) के किसान नेताओं की हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर (farmers meeting with Manohar lal khattar) के साथ कई घंटों तक बैठक चली. ये बैठक बेनतीजा रही. बैठक के बाद किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि बैठक में किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई. सरकार की ओर से हमें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला. ये बैठक काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई और दोनों ओर से किसी भी तरह का कोई तनाव नहीं था, लेकिन किसी भी मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाई. कल संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में आगे का फैसला लिया जाएगा.
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चढूनी और टिकैत खींच सकते हैं आंदोलन: तीन कृषि कानून के विरोध आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले किसान संयुक्त मोर्चा के सदस्य गुरनाम सिंह चढ़ूनी कई बार सक्रिय राजनीति में उतरने का संकेत दे चुके हैं. गुरनाम सिंह हरियाणा के अलग-अलग हिस्सों में जाकर बैठक कर चुके हैं. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इसके अलावा राकेश टिकैत भी पश्चिम उत्तरप्रदेश की राजनीति में अपना भविष्य तलाश रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि आंदोलन चलता रहे.
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