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सोनीपत में खनन कंपनियों के खिलाफ ग्रामीणों का प्रदर्शन, गावों में ट्रकों की एंट्री बैन करने की मांग

खनन कंपनियों के भारी वाहनों से परेशान ग्रामीणों ने लघु सचिवालय पर धरना (people protest in sonipat) दिया और ट्रकों के गांवों में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की. ग्रामीणों का आरोप है कि खनन कंपनियों के भारी वाहनों (mining companies trucks) के निकलने से वे परेशान हैं. इनसे उड़ने वाली धूल से ग्रामीण अस्थमा व अन्य श्वसन रोगों के शिकार बन रहे हैं.

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खनन कंपनियों के ट्रकों के गांवों में प्रवेश पर रोक की मांग, सोनीपत जिले के परेशान ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन
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Published : Nov 29, 2022, 4:36 PM IST

सोनीपत: खनन कंपनियों के भारी वाहनों से परेशान मुरथल थाना क्षेत्र के 3 गांवों के ग्रामीणों ने लघु सचिवालय पर धरना (people protest in sonipat) दिया. उन्होंने अधिकारियों को एक ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें इनके गांवों से निकलने वाले भारी वाहनों पर रोक (mining companies trucks entry ban into villages) लगाने की मांग की गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि खनन कंपनियों के ट्रक गांवों के रास्तों से निकल रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि तेज रफ्तार से निकलने वाले ट्रकों के कारण गांवों में धूल उड़ती है, जिसके चलते बुजुर्गों को अस्थमा और अन्य बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने ट्रकों के गांवों में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है. ग्रामीणों ने मांगें नहीं मानने पर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है. सोनीपत जिले के यमुना क्षेत्र से लगते गांवों के ग्रामीण रेत भरकर निकलने वाले भारी वाहनों (mining companies trucks) से परेशान हो रहे हैं.

हरियाणा सरकार ने खनन कंपनियों को यमुना क्षेत्र में खनन करने का ठेका दे रखा है. इन कंपनियों के ट्रक नंदनौर, असदपुर व गढ़ी गांवों के रास्तों से निकल रहे हैं. जिसके कारण ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें खनन कंपनियों से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इन कंपनियों के भारी वाहन गांवों से निकलते हैं, जिनसे ग्रामीण परेशान हैं. इन वाहनों के निकलने से उड़ने वाली धूल से ग्रामीण अस्थमा व अन्य श्वसन रोगों के शिकार बन रहे हैं.

पढ़ें: पूर्व मंत्री अवतार सिंह भड़ाना के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज, कोर्ट के आदेश पर हुआ एक्शन

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से ट्रक गांव के रास्ते से निकल रहे हैं. ग्रामीण राकेश और इकबाल ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस संबंध में कई बार शिकायत देने के बावजूद हमारी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. कई बार ग्रामीणों ने ट्रकों को रोका भी लेकिन इस पर पुलिस ने ग्रामीणों पर केस दर्ज कर लिया. ग्रामीणों ने खनन कंपनियों के ट्रकों को गांव की बजाय अन्य वैकल्पिक मार्गों से लेकर जाने की मांग की है.

पढ़ें: ओवरलोड वाहनों पर RTA यमुनानगर ने कसा शिकंजा, नवंबर महीने में वसूले 1 करोड़ 72 लाख

सोनीपत: खनन कंपनियों के भारी वाहनों से परेशान मुरथल थाना क्षेत्र के 3 गांवों के ग्रामीणों ने लघु सचिवालय पर धरना (people protest in sonipat) दिया. उन्होंने अधिकारियों को एक ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें इनके गांवों से निकलने वाले भारी वाहनों पर रोक (mining companies trucks entry ban into villages) लगाने की मांग की गई है. ग्रामीणों का आरोप है कि खनन कंपनियों के ट्रक गांवों के रास्तों से निकल रहे हैं.

ग्रामीणों का कहना है कि तेज रफ्तार से निकलने वाले ट्रकों के कारण गांवों में धूल उड़ती है, जिसके चलते बुजुर्गों को अस्थमा और अन्य बीमारियों का शिकार होना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने ट्रकों के गांवों में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की है. ग्रामीणों ने मांगें नहीं मानने पर बड़ा आंदोलन करने की चेतावनी दी है. सोनीपत जिले के यमुना क्षेत्र से लगते गांवों के ग्रामीण रेत भरकर निकलने वाले भारी वाहनों (mining companies trucks) से परेशान हो रहे हैं.

हरियाणा सरकार ने खनन कंपनियों को यमुना क्षेत्र में खनन करने का ठेका दे रखा है. इन कंपनियों के ट्रक नंदनौर, असदपुर व गढ़ी गांवों के रास्तों से निकल रहे हैं. जिसके कारण ग्रामीण परेशान हैं. ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें खनन कंपनियों से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन इन कंपनियों के भारी वाहन गांवों से निकलते हैं, जिनसे ग्रामीण परेशान हैं. इन वाहनों के निकलने से उड़ने वाली धूल से ग्रामीण अस्थमा व अन्य श्वसन रोगों के शिकार बन रहे हैं.

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ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अधिकारियों और पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से ट्रक गांव के रास्ते से निकल रहे हैं. ग्रामीण राकेश और इकबाल ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस संबंध में कई बार शिकायत देने के बावजूद हमारी समस्या का समाधान नहीं हो रहा है. कई बार ग्रामीणों ने ट्रकों को रोका भी लेकिन इस पर पुलिस ने ग्रामीणों पर केस दर्ज कर लिया. ग्रामीणों ने खनन कंपनियों के ट्रकों को गांव की बजाय अन्य वैकल्पिक मार्गों से लेकर जाने की मांग की है.

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