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तीसरी लहर के डर से पहली कक्षा में एडमिशन नहीं करवा रहे लोग, बोले- जान है तो जहान है

कोरोना की तीसरी लहर का खौफ लोगों में दिखने लगा है. अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजना नहीं चाहते जिसकी वजह से इस बार पहली कक्षा में एडमिशन लेने वाले बच्चों की संख्या में काफी कमी आई है. बच्चों के माता-पिता का कहना है कि फिलहाल पढ़ाई से ज्यादा हमारे बच्चों का स्वास्थ्य जरूरी है.

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यहां तीसरी लहर के डर से पहली कक्षा में एडमिशन नहीं करवा रहे लोग, बोले- जान है तो जहान है
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Published : Jun 29, 2021, 10:17 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 10:32 PM IST

सोनीपत: कोरोना वायरस (Corona Virus) ने व्यापार जगत के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा पर भी काफी बुरा असर डाला है. अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी डरे हुए हैं. जिसकी वजह से वो स्कूल में उनका एडमिशन नहीं कराना चाहते. अभिभावकों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर (Corona third wave) में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है और ऐसे में वो कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.

वहीं एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल सतीश कुमार ने बताया कि कोरोना के डर से इस बार छोटे बच्चों के एडमिशन में करीब 50 प्रतिशत तक की कमी आई है. उन्होंने बताया कि अभिभावकों को डर है कि कही कोरोना की तीसरी लहर उनके बच्चों के लिए मुसीबत न बन जाए. इसलिए इसका असर स्कूल में होने वाले एडमिशन पर दिख रहा है. उन्होंने कहा कि अभिभावक चाहते हैं कि उनको बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जाए ताकि वो कोरोना की चपेट में आने से बचे रहें.

यहां तीसरी लहर के डर से पहली कक्षा में एडमिशन नहीं करवा रहे लोग, बोले- जान है तो जहान है

ये भी पढ़ें: कोरोना ने छीना रोजगार, अभिभावक प्राइवेट छोड़ सरकारी स्कूलों में करवा रहे बच्चों के दाखिले

निजी स्कूलों के अलावा जिले के सरकारी स्कूलों की बात करें तो वहां भी ऐसे ही हालात है. सोनीपत जिला शिक्षा अधिकारी विजेंद्र अग्रवाल ने फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि पिछली बार से अबकी बार पहली कक्षा में एडमिशन बहुत कम हुए हैं. जिले में अबकी बार ब्लॉक के स्कूलों को पहली कक्षा में एडिमिशन के लिए 9,078 छात्रों का टारगेट दिया था, लेकिन अभी तक महज 3,976 बच्चों के एडमिशन हुए हैं. वहीं पहली कक्षा में एडमिशन के लिए अध्यापकों की ड्यूटी लगाई हुई है. जो घर-घर जाकर एडमिशन कराने के लिए अभिभावकों को जागरूक कर रहें हैं. लेकिन फिर भी अभिभावक डर की वजह से अपने बच्चों का एडमिशन नहीं करा रहें हैं.

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ब्लॉक स्तर के आंकड़े

ये भी पढ़ें: अनलॉक के बाद भी स्कूल नहीं जाना चाहते छात्र, बोले- स्कूल गए तो सरकार के लिए बन जाएंगे आंकड़ा

अभिभावकों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द बच्चों का टीकाकरण भी शुरू किया जाए ताकि वो भी कोरोनी की तीसरी लहर का मुकाबला कर सकें. वहीं ज्यादातर अभिभावक बच्चों को स्कूल में भेजने के बजाए ऑनलाइन पढ़ाई को ज्यादा तवव्जों दे रहें हैं. लेकिन जिस तरह से निजी या सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों के एडमिशन में कमी आई है उससे ये साबित जरूर हो रहा है कि इन बच्चों की शिक्षा पर कोरोना का काफी बुरा असर पड़ रहा है.

सोनीपत: कोरोना वायरस (Corona Virus) ने व्यापार जगत के साथ-साथ बच्चों की शिक्षा पर भी काफी बुरा असर डाला है. अभिभावक अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर काफी डरे हुए हैं. जिसकी वजह से वो स्कूल में उनका एडमिशन नहीं कराना चाहते. अभिभावकों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर (Corona third wave) में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा है और ऐसे में वो कोई भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.

वहीं एक निजी स्कूल के प्रिंसिपल सतीश कुमार ने बताया कि कोरोना के डर से इस बार छोटे बच्चों के एडमिशन में करीब 50 प्रतिशत तक की कमी आई है. उन्होंने बताया कि अभिभावकों को डर है कि कही कोरोना की तीसरी लहर उनके बच्चों के लिए मुसीबत न बन जाए. इसलिए इसका असर स्कूल में होने वाले एडमिशन पर दिख रहा है. उन्होंने कहा कि अभिभावक चाहते हैं कि उनको बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जाए ताकि वो कोरोना की चपेट में आने से बचे रहें.

यहां तीसरी लहर के डर से पहली कक्षा में एडमिशन नहीं करवा रहे लोग, बोले- जान है तो जहान है

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निजी स्कूलों के अलावा जिले के सरकारी स्कूलों की बात करें तो वहां भी ऐसे ही हालात है. सोनीपत जिला शिक्षा अधिकारी विजेंद्र अग्रवाल ने फोन पर जानकारी देते हुए बताया कि पिछली बार से अबकी बार पहली कक्षा में एडमिशन बहुत कम हुए हैं. जिले में अबकी बार ब्लॉक के स्कूलों को पहली कक्षा में एडिमिशन के लिए 9,078 छात्रों का टारगेट दिया था, लेकिन अभी तक महज 3,976 बच्चों के एडमिशन हुए हैं. वहीं पहली कक्षा में एडमिशन के लिए अध्यापकों की ड्यूटी लगाई हुई है. जो घर-घर जाकर एडमिशन कराने के लिए अभिभावकों को जागरूक कर रहें हैं. लेकिन फिर भी अभिभावक डर की वजह से अपने बच्चों का एडमिशन नहीं करा रहें हैं.

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ब्लॉक स्तर के आंकड़े

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अभिभावकों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द बच्चों का टीकाकरण भी शुरू किया जाए ताकि वो भी कोरोनी की तीसरी लहर का मुकाबला कर सकें. वहीं ज्यादातर अभिभावक बच्चों को स्कूल में भेजने के बजाए ऑनलाइन पढ़ाई को ज्यादा तवव्जों दे रहें हैं. लेकिन जिस तरह से निजी या सरकारी स्कूलों में छोटे बच्चों के एडमिशन में कमी आई है उससे ये साबित जरूर हो रहा है कि इन बच्चों की शिक्षा पर कोरोना का काफी बुरा असर पड़ रहा है.

Last Updated : Jun 29, 2021, 10:32 PM IST
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