सोनीपत: खरखौदा शराब घोटाले मामले में गिरफ्तारियों का दौर जारी है. अब एसआईटी ने हरियाणा पुलिस के बर्खास्त इंस्पेक्टर जसबीर को गिरफ्तार किया. इंस्पेक्टर जसबीर इस शराब घोटाले का मुख्य सरगना है. सोनीपत पुलिस ने जसबीर को कोर्ट में पेशकर चार दिन के रिमांड पर लिया है.
बता दें कि, हरियाणा के इस बहुचर्चित शराब घोटाले में पुलिस आबकारी विभाग के इंस्पेक्टर धीरेंद्र, शराब तस्कर भूपेंद्र व उसके एक साथी सतीश को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. वहीं इस शराब घोटाले का मुख्य सरगना तत्कालीन खरखौदा थाना एसएचओ जसबीर फरार चल रहा था जिसे आखिर एसआईटी ने पकड़ लिया है. हालांकि घोटाले के आरोपी कई अन्य पुलिसकर्मी अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं.
क्या है शराब घोटाला?
सोनीपत के खरखौदा में एक गोदाम से लॉकडाउन के दौरान लाखों रुपये की शराब गायब हुई थी. इस गोदाम में करीब 14 मामलों में पुलिस द्वारा जब्त की गई शराब रखी गई थी, लेकिन मुकदमों के तहत सील करके रखी गई शराब में से 5500 पेटियां लॉकडाउन के दौरान ही गायब हो गई. इस गोदाम में पुलिस ने सीज की हुई शराब भी रखी थी. भूपेंद्र इस गोदाम का ठेकेदार है. ठेकेदार भूपेंद्र को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है.
कैसे हुई तस्करी?
खरखौदा में बाइपास पर शराब तस्करी के करीब 15 मामलों में नामजद भूपेंद्र का शराब गोदाम है. यह गोदाम भूपेंद्र ने अपनी मां कमला देवी के नाम पर काफी वक्त से किराए पर ले रखा है. आबकारी विभाग और पुलिस ने साल 2019 के फरवरी और मार्च में छापामारी की कार्रवाई करते हुए गोदाम में बड़े स्तर पर अवैध शराब पकड़ी थी. इसके साथ ही सात ट्रकों में पकड़ी गई शराब भी इस गोदाम में रखी गई थी.
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पुलिस अधिकारियों ने पहले कथित शराब माफिया भूपेंद्र से मिलीभगत कर उसके गोदाम को सील कर दिया. उसके बाद जब्त की गई शराब को इसी गोदाम में रखवा दिया गया. इसी के बाद गोदाम से तस्करी का खेल शुरू हो गया. लापरवाही का आलम यह रहा कि ताले तोड़कर और दीवार उखाड़कर सील की गई शराब निकाली गई और बेच दी गयी. ये खेल चलता रहा, जबकि ऑन रिकॉर्ड गोदाम पर सुरक्षा के लिए पुलिस टीम तैनात हैं. इस शराब घोटाले में खरखौदा थाने के दो एसएचओ समेत 13 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज है.
घोटाले की जांच कर रही एसआईटी में लगातार हो रहे बदलाव
बता दें कि, खरखौदा शराब तस्करी मामला सामने आने के बाद लगातार सुर्खियों में रहा है. इस मामले की जांच के लिए चार टीम लगाई गई थी. प्रदेश स्तर पर जहां एसईटी का गठन किया गया था, वहीं मंडल स्तर पर एसआईटी बनाई गई थी. इसकी कमान रोहतक के पुलिस अधीक्षक राहुल शर्मा को सौंपी गई थी. उनके साथ ही रोहतक के सांपला क्षेत्र के डीएसपी, सोनीपत के डीएसपी मुख्यालय जितेंद्र सिंह, सीआईए-1 के इंस्पेक्टर नरेंद्रपाल और सीआईए-2 के इंस्पेक्टर विवेक मलिक को जांच में लगाया गया था.
इसके साथ ही जिला स्तर पर गठित एसआईटी की कमान डीएसपी मुख्यालय जितेंद्र सिंह को सौंपी गई थी. डीएसपी खरखौदा हरेंद्र कुमार के नेतृत्व में खरखौदा पुलिस इन सबसे अलग जांच कर रही थी. डीएसपी मुख्यालय जितेंद्र सिंह का तबादला हो गया और स्थानीय स्तर पर सीआईए-1 के प्रभारी नरेंद्रपाल को सीआईए गोहाना और सीआईए-2 के इंस्पेक्टर विवेक कुमार मलिक को थाना राई का एसएचओ बना दिया गया. उसके चलते शराब घोटाले की जांच पर असर पड़ रहा था.
इसके बाद बीते शुक्रवार को आईजी ने मामले में नए सदस्यों को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी. अब डीएसपी मुख्यालय जितेंद्र सिंह का रुटीन तबादला किया गया है और उनकी जगह डीएसपी गन्नौर जोगेंद्र राठी को एसआईटी में शामिल किया गया है. नरेंद्र पाल अब सीआईए गोहाना इंचार्ज होने के नाते शामिल रहेंगे. सीआईए- 1 के प्रभारी रवींद्र कुमार को एसआईटी में शामिल किया गया है. उन्हें आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए अभियान तेज चलाने का निर्देश दिया गया है.
वहीं दूसरी तरफ मामले के मुख्य आरोपी भूपेंद्र ठेकेदार की ओर से भी अग्रिम जमानत की याचिका कोर्ट में लगाई गई है. जिस पर अब कोर्ट 26 जून को फैसला सुनाएगी. गौरतलब है कि एसआईटी बने डेढ़ महीने से ज्यादा का समय हो जाने के बावजूद ज्यादातर आरोपी अभी फरार हैं. आईजी ने अब अफसरों को आरोपियों की गिरफ्तारी की प्राथमिकता बताई हैं. इसके आधार पर ही अब एसआईटी दोबारा से इस मामले पर काम करेगी.
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