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11 घंटे थाने में रखा रहा BSF जवान का शव, समझाने पर परिजनों ने किया अंतिम संस्कार - बीएसएफ जवान अंतिम संस्कार आहुलाना गांव

आहुलाना गांव के बीएसएफ जवान की मौत के मामले में गांव के बुजुर्गों और अधिकारियों के समझाने के बाद आखिरकार जवान सुरेश कुमार के परिजन उनके अंतिम संस्कार के लिए मान गए. रविवार को बीएसएफ के हेड कांस्टेबल सुरेश कुमार की छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में हुई मौत के बाद उनका पार्थिव शरीर लेकर बीएसएफ के जवान गांव में पहुंचे थे, लेकिन परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था.

sonipat BSF soldier suicide
sonipat BSF soldier suicide
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Published : Jun 8, 2020, 8:03 PM IST

सोनीपत: जिले के गांव आहुलाना के रहने वाले बीएसएफ में हेड कांस्टेबल सुरेश कुमार की छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में हुई मौत के बाद रविवार को बीएसएफ के जवान उनका पार्थिव शरीर लेकर गांव पहुंचे. परिजनों को बताया गया कि जवान ने आत्महत्या की है, जिसके बाद परिजनों ने जवान का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था. इसके बाद 11 घंटों तक जवान का शव थाने में रखा रहा. गांव के बुजुर्गों और अधिकारियों के समझाने के बाद आखिरकार परिजनों ने सोमवार को जवान का अंतिम संस्कार किया.

बता दें कि, सुरेश कुमार 157 बटालियन में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में बतौर हेड कांस्टेबल तैनात थे. 157वीं बटालियन के जवानों को बीते शुक्रवार को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था. सर्च अभियान के बाद दल के जवान जब शनिवार सुबह वापस लौट रहे थे तब अपने शिविर से लगभग दो सौ मीटर पहले सुरेश कुमार ने खुद को गोली मार ली. गोली की आवाज सुनने के बाद जब बाकी साथी उस स्थान पर पहुंचे तो उन्हें सुरेश लहूलुहान हालात में मिले और उनकी मौत हो चुकी थी. वे 1993 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे.

परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से किया था इंकार

वहीं जब रविवार को उनका शव गांव में पहुंचा था, तो जवान के परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था. परिजन सुरेश कुमार को शहीद का दर्ज देने की मांग पर अडिग रहे. जिस वजह से प्रशासन व बीएसएफ के अधिकारी सुरेश कुमार के शव को देर रात करीब साढे 10 बजे गन्नौर थाना लेकर पहुंच गए. गन्नौर थाना में सुरेश कुमार का शव 11 घंटे तक बीएसएफ जवानों की निगरानी में रहा. अगली सुबह जब गांव के बुजुर्गों और अधिकारियों ने परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए मनाया तो परिजन उनकी बात से सहमत हो गए.

sonipat BSF soldier suicide
गांव के बुजुर्गों और अधिकारियों के समझाने के बाद आखिरकार परिजनों ने सोमवार को जवान का अंतिम संस्कार किया.

बुजुर्गों के समझाने पर दी गई जवान को अंतिम विदाई

बुजुर्गों ने कहा कि गांव के सपूत के शव का अपमान करना ठीक नहीं है. उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए. वहीं अधिकारियों ने भी परिजनों को आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जा रही है. निष्पक्ष जांच के बाद जो भी न्यायचित होगा वह कार्रवाई की जाएगी. इस पर परिजन सुरेश कुमार के शव का अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए. परिजनों से सहमती मिलने के बाद बीएसएफ के जवान सुबह करीब 9 बजे शव को लेकर आहुलाना गांव के लिए रवाना हुए. शव के गांव में पहुंचते ही परिजनों व ग्रामीणों ने सम्मान के साथ शव को गाड़ी से उतरवाया.

ये भी पढ़ें- कोरोना के साथ बढ़ा मौसमी बीमारियों का खतरा, देखिए कितना तैयार है हिसार ?

सुरेश कुमार के शव को देखते ही परिजन विलाप करने लगे. इसके बाद सुरेश कुमार के शव को गांव के शमशान घाट पर ले जाया गया जहां बीएसएफ के जवानों ने इंस्पेक्टर मनोज कुमार के नेतृत्व में राजकीय सम्मान के साथ सुरेश कुमार को श्रद्धांजलि दी. जिसमें क्षेत्र के कई लोग उपस्थित रहे और बाहर से भी आने जाने वाले लोगों का तांता लगा रहा. इस दौरान एसडीएम गन्नौर स्वप्निल रविंद्र पाटिल, नायब तहसीलदार राजबीर दहिया ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए.

वहीं जवान सुरेश कुमार की पत्नी सुदेश देवी ने कहा कि उनके पति बहादुर थे. वे कभी आत्महत्या नहीं कर सकते. प्रशासन की तरफ से भी आश्वासन मिला है और वो भी अपने पति को शहीद दर्जा दिलवाने के लिए लड़ाई जारी रखेंगी. जवान के सुरेश के दो बेटे हैं, बड़ा बेटा रोहित 12वीं व छोटा बेटा सचिव 10वीं कक्षा का छात्र है. रोहित व सचिन दोनों अपनी मां के साथ अपने ननिहाल रोहतक गए हुए थे. शनिवार को जब उन्हें हादसे की सूचना मिली तब वे गांव लौटे.

ये भी पढ़ें- सोनीपत के जवान ने राइफल से की खुदकुशी, छत्तीसगढ़ के कांकेर में था तैनात

सोनीपत: जिले के गांव आहुलाना के रहने वाले बीएसएफ में हेड कांस्टेबल सुरेश कुमार की छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में हुई मौत के बाद रविवार को बीएसएफ के जवान उनका पार्थिव शरीर लेकर गांव पहुंचे. परिजनों को बताया गया कि जवान ने आत्महत्या की है, जिसके बाद परिजनों ने जवान का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था. इसके बाद 11 घंटों तक जवान का शव थाने में रखा रहा. गांव के बुजुर्गों और अधिकारियों के समझाने के बाद आखिरकार परिजनों ने सोमवार को जवान का अंतिम संस्कार किया.

बता दें कि, सुरेश कुमार 157 बटालियन में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में बतौर हेड कांस्टेबल तैनात थे. 157वीं बटालियन के जवानों को बीते शुक्रवार को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था. सर्च अभियान के बाद दल के जवान जब शनिवार सुबह वापस लौट रहे थे तब अपने शिविर से लगभग दो सौ मीटर पहले सुरेश कुमार ने खुद को गोली मार ली. गोली की आवाज सुनने के बाद जब बाकी साथी उस स्थान पर पहुंचे तो उन्हें सुरेश लहूलुहान हालात में मिले और उनकी मौत हो चुकी थी. वे 1993 में बीएसएफ में भर्ती हुए थे.

परिजनों ने अंतिम संस्कार करने से किया था इंकार

वहीं जब रविवार को उनका शव गांव में पहुंचा था, तो जवान के परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने से इंकार कर दिया था. परिजन सुरेश कुमार को शहीद का दर्ज देने की मांग पर अडिग रहे. जिस वजह से प्रशासन व बीएसएफ के अधिकारी सुरेश कुमार के शव को देर रात करीब साढे 10 बजे गन्नौर थाना लेकर पहुंच गए. गन्नौर थाना में सुरेश कुमार का शव 11 घंटे तक बीएसएफ जवानों की निगरानी में रहा. अगली सुबह जब गांव के बुजुर्गों और अधिकारियों ने परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए मनाया तो परिजन उनकी बात से सहमत हो गए.

sonipat BSF soldier suicide
गांव के बुजुर्गों और अधिकारियों के समझाने के बाद आखिरकार परिजनों ने सोमवार को जवान का अंतिम संस्कार किया.

बुजुर्गों के समझाने पर दी गई जवान को अंतिम विदाई

बुजुर्गों ने कहा कि गांव के सपूत के शव का अपमान करना ठीक नहीं है. उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए. वहीं अधिकारियों ने भी परिजनों को आश्वासन दिया कि मामले की जांच की जा रही है. निष्पक्ष जांच के बाद जो भी न्यायचित होगा वह कार्रवाई की जाएगी. इस पर परिजन सुरेश कुमार के शव का अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए. परिजनों से सहमती मिलने के बाद बीएसएफ के जवान सुबह करीब 9 बजे शव को लेकर आहुलाना गांव के लिए रवाना हुए. शव के गांव में पहुंचते ही परिजनों व ग्रामीणों ने सम्मान के साथ शव को गाड़ी से उतरवाया.

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सुरेश कुमार के शव को देखते ही परिजन विलाप करने लगे. इसके बाद सुरेश कुमार के शव को गांव के शमशान घाट पर ले जाया गया जहां बीएसएफ के जवानों ने इंस्पेक्टर मनोज कुमार के नेतृत्व में राजकीय सम्मान के साथ सुरेश कुमार को श्रद्धांजलि दी. जिसमें क्षेत्र के कई लोग उपस्थित रहे और बाहर से भी आने जाने वाले लोगों का तांता लगा रहा. इस दौरान एसडीएम गन्नौर स्वप्निल रविंद्र पाटिल, नायब तहसीलदार राजबीर दहिया ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए.

वहीं जवान सुरेश कुमार की पत्नी सुदेश देवी ने कहा कि उनके पति बहादुर थे. वे कभी आत्महत्या नहीं कर सकते. प्रशासन की तरफ से भी आश्वासन मिला है और वो भी अपने पति को शहीद दर्जा दिलवाने के लिए लड़ाई जारी रखेंगी. जवान के सुरेश के दो बेटे हैं, बड़ा बेटा रोहित 12वीं व छोटा बेटा सचिव 10वीं कक्षा का छात्र है. रोहित व सचिन दोनों अपनी मां के साथ अपने ननिहाल रोहतक गए हुए थे. शनिवार को जब उन्हें हादसे की सूचना मिली तब वे गांव लौटे.

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