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जानिए बीजेपी उम्मीदवार योगेश्वर दत्त के बारे में

बरोदा उपचुनाव के लिए बीजेपी-जेजेपी गठबंधन की ओर से पहलवान योगेश्वर दत्त को मैदान में उतारा गया है. योगेश्वर इससे पहले 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी के टिकट पर बरोदा से चुनाव लड़ चुके हैं. यहां हम आपको बता रहे हैं कि कड़े संघर्ष के बाद पहलवान बनकर, भारत के लिए ओलंपिक पदक जीतने से लेकर चुनावी मैदान में हाथ आजमाने तक पहलवान योगेश्वर दत्त का ये सफर कैसा रहा है.

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Published : Oct 16, 2020, 9:28 AM IST

सोनीपत: बीजेपी ने एक बार फिर योगेश्वर दत्त पर भरोसा जताया है. इस बार स्थिति थोड़ी अलग है, क्योंकि इस बार योगेश्वर दत्त बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. अखाड़े में अपनों दाव से बड़े-बड़े पहलवानों को चित करने वाले योगेश्वर दत्त दूसरी बार चुनावी मैदान में किस्मत अजमाने जा रहे हैं. योगेश्वर दत्त ओलंपिक पदक विजेता हैं ये तो बहुत से लोग जानते हैं, लेकिन मात्र 8 साल की उम्र से ही उन्होंने कुश्ती शुरू कर दी थी, ये बात शायद सबको नहीं पता. यहां हम आपको योगेश्वर दत्त के बार में कुछ ऐसी ही बातें बता रहे हैं.

छोटी उम्र में रख दिया था अखाड़े में कदम

2 नवंबर 1982 को जन्में, सोनीपत के गांव भैंसवाल के रहने वाले योगेश्वर दत्त बचपन से ही बहुत लग्रशील और मेहनती रहे हैं. मात्र 8 वर्ष की आयु में ही उन पर कुश्ती का जुनून सवार हो गया था. योगेश्वर ने गांव में स्थित बलराज अखाड़े में पहली बार कदम रखते हुए कुश्ती लड़ना शुरू कर दिया था. योगेश्वर को उनके फैंस और करीबी लोग योगी के नाम से भी बुलाते हैं.

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पहलवान सुशील कुमार के साथ योगेश्वर दत्त.

कुश्ती के अभ्यास के कारण स्कूल में ही कर लेते थे होमवर्क

ओलंपियन पहलवान दत्त ने गांव के ही राजकीय विद्यालय से कक्षा 10वीं व 12वीं की परीक्षाएं पास की थी. शिक्षकों द्वारा दिए गए काम को वे स्कूल में ही खत्म करके घर आने पर अभ्यास के लिए कुश्ती अखाड़े में चले जाते थे. दोस्तों का कहना है कि योगेश्वर के सिर पर कुश्ती का खुमार सवार रहता था, और अब उनकी मेहनत रंग ला रही है. इसके बाद उन्होंने महर्षि दयानंद विवि से स्नातक की डिग्री हासिल की.

योगेश्वर के भाई मुकेश ने बताया कि योगेश्वर की इच्छा खेलों के साथ आगे पढ़ाई करने की भी थी. उन्होंने पहली बार 1999 में पौलेंड में आयोजित वर्ल्ड केडेट चैम्पियनशिप में 14 से 17 वर्ष की आयु में स्वर्ण पदक जीत कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया था.

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फाइल फोटो.

पिता के देहांत के बाद भी हौसले रहे बुलंद

2006 में योगेश्वर के पिता राममेहर सिंह का देहांत हो गया था, वे अध्यापक थे. पड़ौसी गांव बिलबिलान में ड्यूटी के दौरान किसी कारणवश उनका देहावास हो गया था. बावजूद इसके योगेश्वर ने हिम्मत नहीं हारी और अपने अंदर जज्बा बनाए रखा. पिता के स्वर्गवास के बाद मां की तनख्वाह से पूरे घर का खर्च निकला. उसके बाद भी जीवन के इतने क्षीण क्षणों से बहन कविता, सीमा, रेणु व छोटे भाई मुकेश आदि कई बहन भाइयों के बीच से निकलकर योगेश्वर कड़ी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे हैं. साल 2017 में योगेश्वर की शादी कांग्रेस नेता जयभगवान शर्मा की बेटी शीतल से हुई थी.

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शिष्य बजरंग पूनिया के साथ योगेश्वर दत्त.

योगेश्वर को अपना आदर्श मानते हैं युवा

गांव भैंसवाल स्थित बडल अखाड़े में इस समय सैकड़ों पहलवान कुश्ती का अभ्यास करते हैं. जिनमें से कई खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं. जो सभी योगेश्वर दत को अपना आदर्श मानते हैं और अपनी मंजिल की ओर बढ़ने में प्रयासरत हैं. स्टार भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया योगेश्वर दत्त के ही शिष्य हैं.

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अपनी माता के साथ योगेश्वर.

योगेश्वर की मां पोते को बनाएंगी बेटे जैसा पहलवान

योगी की माता सुशीला देवी का कहना है कि उनकी इच्छा योगेश्वर के छोटे भाई मुकेश के बेटे दीपांशु को भी एक अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनाने की है. अभी इस बच्चे की उम्र कम है. उनका कहना है कि अब उनके बेटे ने देश का नाम रोशन किया है, आगे चल कर उनका पौता अपने ताऊ योगी के पद्चिह्नों पर चल कर एक नंबर का पहलवान बनेगा.

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2019 में बीजेपी में हुए थे शामिल.

2019 में आए राजनीति में

योगेश्वर दत्त वर्ष 2019 में डीएसपी पद से त्यागपत्र देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव में उन्होंने बरोदा हलके से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़कर राजनीति में कदम ही रखा था. ये चुनाव योगेश्वर हार गए थे. हालांकि उन्होंने इस सीट से जीतने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा को कड़ी टक्कर दी थी. योगी को करीब 37,726 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा को 42,566 वोट मिले थे. चुनाव के बाद भी योगेश्वर दत्त निरंतर हलके में सक्रिय रहे हैं.

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साल 2017 में योगेश्वर की शादी कांग्रेस नेता जयभगवान शर्मा की बेटी शीतल से हुई थी.

खेल के मैदान में योगेश्वर की उपलब्धियां

  • योगेश्वर दत्त ने 2002 में इरान में आयोजित नूरी कप व जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक.
  • वर्ष 2003 में केनेडा में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक व केनेडा कप में सिल्वर पदक जीता. उसी वर्ष दिल्ली में आयोजित जन नायक चौ. देवीलाल कप में कांस्य पदक झटका.
  • वर्ष 2004 में बुल्गारिया में दूसरे ओलंपिक क्वालीफाई टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक.
  • 2005 में अमेरिका में आयोजित अमेरिका कप में कांस्य पदक जीता.
  • उसके बाद साउथ अफ्रिका में कॉमनवेल्थ चैम्पियशिप में स्वर्ण पदक, साउथ अफ्रीका में ही आयोजित कॉमनवेल्थ जीआर में सिल्वर, शताब्दी कप में स्वर्ण व शताब्दी जीआर में सिल्वर पदक झटका.
  • 2006 में कतर में दोहा एशियन खेलों में कांस्य पदक.
  • 2007 में केनेडा में आयोजित कॉमनवेल्थ ईआर व जीआर चैम्पियनशिप में स्वर्ण व कांस्य पदक जीता.
  • 2008 में सीनियर एशियन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद चीन के बीजिंग में आयोजित ओलंपिक प्रतिस्पर्धा में सराहनीय प्रदर्शन किया.
  • 2009 में भी विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक झटके. 2009 में अर्जुन अवार्ड से किया गया सम्मानित.
  • 2010 में एशियाड चैम्पियनिशिप व दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता.
  • पहलवान योगेश्वर दत्त ने अगस्त 2012 में लंदन में आयोजित ओलम्पिक खेलों में कांस्य पदक जीत कर पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया था.
  • 2012 में राजीव गांधी खेल रतन पुरस्कार दिया गया.
  • 2013 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया.
  • योगी ने 2014 में ग्लासगो के राष्ट्रमंडल खेलों में 65 किलोग्राम भारवर्ग में फ्री स्टाइल कुश्ती में गोल्ड मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया. 2014 में ही एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीता.

ये भी पढ़ें- योगेश्वर दत्त होंगे बरोदा उपचुनाव में BJP-JJP गठबंधन उम्मीदवार, आज दाखिल करेंगे नामांकन

सोनीपत: बीजेपी ने एक बार फिर योगेश्वर दत्त पर भरोसा जताया है. इस बार स्थिति थोड़ी अलग है, क्योंकि इस बार योगेश्वर दत्त बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं. अखाड़े में अपनों दाव से बड़े-बड़े पहलवानों को चित करने वाले योगेश्वर दत्त दूसरी बार चुनावी मैदान में किस्मत अजमाने जा रहे हैं. योगेश्वर दत्त ओलंपिक पदक विजेता हैं ये तो बहुत से लोग जानते हैं, लेकिन मात्र 8 साल की उम्र से ही उन्होंने कुश्ती शुरू कर दी थी, ये बात शायद सबको नहीं पता. यहां हम आपको योगेश्वर दत्त के बार में कुछ ऐसी ही बातें बता रहे हैं.

छोटी उम्र में रख दिया था अखाड़े में कदम

2 नवंबर 1982 को जन्में, सोनीपत के गांव भैंसवाल के रहने वाले योगेश्वर दत्त बचपन से ही बहुत लग्रशील और मेहनती रहे हैं. मात्र 8 वर्ष की आयु में ही उन पर कुश्ती का जुनून सवार हो गया था. योगेश्वर ने गांव में स्थित बलराज अखाड़े में पहली बार कदम रखते हुए कुश्ती लड़ना शुरू कर दिया था. योगेश्वर को उनके फैंस और करीबी लोग योगी के नाम से भी बुलाते हैं.

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पहलवान सुशील कुमार के साथ योगेश्वर दत्त.

कुश्ती के अभ्यास के कारण स्कूल में ही कर लेते थे होमवर्क

ओलंपियन पहलवान दत्त ने गांव के ही राजकीय विद्यालय से कक्षा 10वीं व 12वीं की परीक्षाएं पास की थी. शिक्षकों द्वारा दिए गए काम को वे स्कूल में ही खत्म करके घर आने पर अभ्यास के लिए कुश्ती अखाड़े में चले जाते थे. दोस्तों का कहना है कि योगेश्वर के सिर पर कुश्ती का खुमार सवार रहता था, और अब उनकी मेहनत रंग ला रही है. इसके बाद उन्होंने महर्षि दयानंद विवि से स्नातक की डिग्री हासिल की.

योगेश्वर के भाई मुकेश ने बताया कि योगेश्वर की इच्छा खेलों के साथ आगे पढ़ाई करने की भी थी. उन्होंने पहली बार 1999 में पौलेंड में आयोजित वर्ल्ड केडेट चैम्पियनशिप में 14 से 17 वर्ष की आयु में स्वर्ण पदक जीत कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन किया था.

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फाइल फोटो.

पिता के देहांत के बाद भी हौसले रहे बुलंद

2006 में योगेश्वर के पिता राममेहर सिंह का देहांत हो गया था, वे अध्यापक थे. पड़ौसी गांव बिलबिलान में ड्यूटी के दौरान किसी कारणवश उनका देहावास हो गया था. बावजूद इसके योगेश्वर ने हिम्मत नहीं हारी और अपने अंदर जज्बा बनाए रखा. पिता के स्वर्गवास के बाद मां की तनख्वाह से पूरे घर का खर्च निकला. उसके बाद भी जीवन के इतने क्षीण क्षणों से बहन कविता, सीमा, रेणु व छोटे भाई मुकेश आदि कई बहन भाइयों के बीच से निकलकर योगेश्वर कड़ी मेहनत से इस मुकाम तक पहुंचे हैं. साल 2017 में योगेश्वर की शादी कांग्रेस नेता जयभगवान शर्मा की बेटी शीतल से हुई थी.

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शिष्य बजरंग पूनिया के साथ योगेश्वर दत्त.

योगेश्वर को अपना आदर्श मानते हैं युवा

गांव भैंसवाल स्थित बडल अखाड़े में इस समय सैकड़ों पहलवान कुश्ती का अभ्यास करते हैं. जिनमें से कई खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं. जो सभी योगेश्वर दत को अपना आदर्श मानते हैं और अपनी मंजिल की ओर बढ़ने में प्रयासरत हैं. स्टार भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया योगेश्वर दत्त के ही शिष्य हैं.

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अपनी माता के साथ योगेश्वर.

योगेश्वर की मां पोते को बनाएंगी बेटे जैसा पहलवान

योगी की माता सुशीला देवी का कहना है कि उनकी इच्छा योगेश्वर के छोटे भाई मुकेश के बेटे दीपांशु को भी एक अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनाने की है. अभी इस बच्चे की उम्र कम है. उनका कहना है कि अब उनके बेटे ने देश का नाम रोशन किया है, आगे चल कर उनका पौता अपने ताऊ योगी के पद्चिह्नों पर चल कर एक नंबर का पहलवान बनेगा.

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2019 में बीजेपी में हुए थे शामिल.

2019 में आए राजनीति में

योगेश्वर दत्त वर्ष 2019 में डीएसपी पद से त्यागपत्र देकर बीजेपी में शामिल हो गए थे. 2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव में उन्होंने बरोदा हलके से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़कर राजनीति में कदम ही रखा था. ये चुनाव योगेश्वर हार गए थे. हालांकि उन्होंने इस सीट से जीतने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा को कड़ी टक्कर दी थी. योगी को करीब 37,726 वोट मिले थे. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी श्रीकृष्ण हुड्डा को 42,566 वोट मिले थे. चुनाव के बाद भी योगेश्वर दत्त निरंतर हलके में सक्रिय रहे हैं.

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साल 2017 में योगेश्वर की शादी कांग्रेस नेता जयभगवान शर्मा की बेटी शीतल से हुई थी.

खेल के मैदान में योगेश्वर की उपलब्धियां

  • योगेश्वर दत्त ने 2002 में इरान में आयोजित नूरी कप व जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक.
  • वर्ष 2003 में केनेडा में कॉमनवेल्थ कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक व केनेडा कप में सिल्वर पदक जीता. उसी वर्ष दिल्ली में आयोजित जन नायक चौ. देवीलाल कप में कांस्य पदक झटका.
  • वर्ष 2004 में बुल्गारिया में दूसरे ओलंपिक क्वालीफाई टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक.
  • 2005 में अमेरिका में आयोजित अमेरिका कप में कांस्य पदक जीता.
  • उसके बाद साउथ अफ्रिका में कॉमनवेल्थ चैम्पियशिप में स्वर्ण पदक, साउथ अफ्रीका में ही आयोजित कॉमनवेल्थ जीआर में सिल्वर, शताब्दी कप में स्वर्ण व शताब्दी जीआर में सिल्वर पदक झटका.
  • 2006 में कतर में दोहा एशियन खेलों में कांस्य पदक.
  • 2007 में केनेडा में आयोजित कॉमनवेल्थ ईआर व जीआर चैम्पियनशिप में स्वर्ण व कांस्य पदक जीता.
  • 2008 में सीनियर एशियन चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने के बाद चीन के बीजिंग में आयोजित ओलंपिक प्रतिस्पर्धा में सराहनीय प्रदर्शन किया.
  • 2009 में भी विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक झटके. 2009 में अर्जुन अवार्ड से किया गया सम्मानित.
  • 2010 में एशियाड चैम्पियनिशिप व दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता.
  • पहलवान योगेश्वर दत्त ने अगस्त 2012 में लंदन में आयोजित ओलम्पिक खेलों में कांस्य पदक जीत कर पूरी दुनिया में अपनी प्रतिभा का परचम लहराया था.
  • 2012 में राजीव गांधी खेल रतन पुरस्कार दिया गया.
  • 2013 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया.
  • योगी ने 2014 में ग्लासगो के राष्ट्रमंडल खेलों में 65 किलोग्राम भारवर्ग में फ्री स्टाइल कुश्ती में गोल्ड मेडल जीत कर देश का नाम रोशन किया. 2014 में ही एशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीता.

ये भी पढ़ें- योगेश्वर दत्त होंगे बरोदा उपचुनाव में BJP-JJP गठबंधन उम्मीदवार, आज दाखिल करेंगे नामांकन

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