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एक दिन सेना के जवान के हाथ में भी होंगे काले झंडे- अभय चौटाला

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Published : Aug 17, 2020, 7:12 PM IST

इनेलो नेता अभय चौटाला ने कहा कि बीजेपी के नेताओं की जिस तरह की सोच है आने वाले समय में सेना का जवान भी तिरंगे की जगह काला झंडा उठाकर इनका विरोध करेगा.

inld leader abhay chautala reaction on three  Ordinance
inld leader abhay chautala reaction on three Ordinance

सोनीपत: इनेलो नेता और ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने केंद्र सरकार की कृषि के जुड़े तीन अध्यादेशों की आलोचना की है.

अभय सिंह ने कहा कि तीन अध्यादेशों को सरकार ने किसानों पर थोपने का काम किया है उसके विरोध में किसान काले झंडे उठा कर इनका विरोध कर रहे हैं. बीजेपी के नेताओं की जिस तरह की सोच है आने वाले समय में सेना का जवान भी तिरंगे की जगह काला झंडा उठाकर इनका विरोध करेगा.

अभय चौटाला बोले-एक दिन सेना का जवान के हाथ में भी होंगे काले झंडे, देखें वीडियो

अभय ने कहा कि, 'जिस किसान ने और जिस जवान ने इस देश को आजादी दिलाई आज वो इसलिए मजबूर हो गया कि किसान की अनदेखी हो रही है इसलिए उसको काले झंडे दिखाने पड़े.' उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि कभी एक दिन ऐसा भी न आ जाए इस बीजेपी की सरकार की वजह से, इन बीजेपी के नेताओं की जो सोच है उनकी वजह से कि हमारे देश के जवान भी कहीं तिरंगा की जगह काला झंड़ा उठा ले. आपको बता दें कि तीन अध्यादेशों के विरोध में किसानों ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर काले झंडे लहराए थे.

क्या है कृषि अध्यादेश 2020?

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश पारित किए हैं.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

ये भी पढ़ें- सिरसा: 110 घंटे बाद भी सीवर में गिरे व्यक्ति का सुराग नहीं, NDRF के हाथ खाली

सोनीपत: इनेलो नेता और ऐलनाबाद से विधायक अभय सिंह चौटाला ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने केंद्र सरकार की कृषि के जुड़े तीन अध्यादेशों की आलोचना की है.

अभय सिंह ने कहा कि तीन अध्यादेशों को सरकार ने किसानों पर थोपने का काम किया है उसके विरोध में किसान काले झंडे उठा कर इनका विरोध कर रहे हैं. बीजेपी के नेताओं की जिस तरह की सोच है आने वाले समय में सेना का जवान भी तिरंगे की जगह काला झंडा उठाकर इनका विरोध करेगा.

अभय चौटाला बोले-एक दिन सेना का जवान के हाथ में भी होंगे काले झंडे, देखें वीडियो

अभय ने कहा कि, 'जिस किसान ने और जिस जवान ने इस देश को आजादी दिलाई आज वो इसलिए मजबूर हो गया कि किसान की अनदेखी हो रही है इसलिए उसको काले झंडे दिखाने पड़े.' उन्होंने आगे कहा कि मुझे लगता है कि कभी एक दिन ऐसा भी न आ जाए इस बीजेपी की सरकार की वजह से, इन बीजेपी के नेताओं की जो सोच है उनकी वजह से कि हमारे देश के जवान भी कहीं तिरंगा की जगह काला झंड़ा उठा ले. आपको बता दें कि तीन अध्यादेशों के विरोध में किसानों ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर काले झंडे लहराए थे.

क्या है कृषि अध्यादेश 2020?

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कृषि से जुड़े तीन अध्यादेश व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश और आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश पारित किए हैं.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश: इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है. इस अध्यादेश की सबसे बड़ी बात तो ये है कि अगर किसान और व्यापारी में कोई विवाद होगा तो उसका निपटारा जिला स्तरीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा तीस दिनों के भीतर किया जाएगा. इस विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात ना कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मुल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश: इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है. कॉन्ट्रैक्ट खेती में खेती बड़ी-बड़ी कंपनियां करेंगी. जिससे किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन )अध्यादेश: देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.अब केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए अध्यादेश में आलू, प्याज और तिलहन जैसे दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर लगाई गई रोक को हटा लिया गया है. इस अध्यादेश के माध्यम से लोग इन सामानों की जितनी चाहें स्टॉक जमा कर सकते हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं.

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