सोनीपत: दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का अपनी मांगों को लेकर आंदोलन अभी भी जारी है. हालांकि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. बुधवार को हरियाणा के 26 किसान संगठनों की कुंडली बॉर्डर पर बैठक (Haryana Farmers Meeting Sonipat) हुई. इसकी अध्यक्षता किसान नेता मनदीप सिंह ने की. मीटिंग खत्म होने के बाद किसान नेता मंदीप सिंह नथवान ने आंदोलन को लेकर कहा कि बैठक के दौरान हरियाणा के किसानों ने आंदोलन की रूपरेखा के बारे में चर्चा की है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए मंदीप सिंह ने साफ कर दिया कि जब तक किसानों की सभी मांगें पूरी नहीं हो जाएगी तब तक आंदोलन जारी रहेगा. इसके अलावा सरकार जब तक एमएससी की गारंटी पर कानून नहीं बना देती और किसानों पर आंदोलन के दौरान दर्ज हुए मुकदमे वापस नहीं लिए जाते हैं. तब तक आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने आज की मीटिंग में किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के न पहुंचने पर कहा कि उन्हें नहीं पता आज वह क्यों पहुंचे.
इसी बैठक में शामिल रहे किसान नेता सुरेश कौथ का कहना है कि संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) में कोई फूट नहीं है. सोशल मीडिया पर भ्रामक प्रचार किया जा रहा है. हरियाणा और पंजाब के नेताओं में कोई मतभेद नहीं, हम आगे भी मिलकर आंदोलन जारी रखेंगे. हरियाणा सरकार का अभी तक कोई आधिकारिक न्यौता बातचीत के लिए नहीं मिला, मिलेगा तो हम बैठक के लिए जाएंगे.
गौरतलब है कि संयुक्त किसान मोर्चा ने सिंघु बॉर्डर पर आज 40 किसान संगठनों की इमरजेंसी बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में इस बैठक को रद्द कर दिया गया. वहीं हरियाणा के किसान संगठनों और पंजाब के किसान संगठनों ने बुधवार को अलग-अलग बैठकें की हैं. पंजाब की 32 जत्थेबंदियों ने मंगलवार को भी सिंघु बॉर्डर पर बैठक की थी. जिसके बाद किसान नेता सतनाम सिंह ने बताया था कि केंद्र सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा से एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की कमेटी के लिए पांच नाम मांगे हैं. साथ ही गृह मंत्रालय ने सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने का प्रस्ताव भेजा है.
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सतनाम सिंह ने कहा था कि 1 व 4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठके होंगी. जिसमें आंदोलन को खत्म करने को लेकर फैसला लिया जा सकता है. फिलहाल सरकार ने हमारी सभी मांगें मान ली हैं. किसी भी आंदोलन में सभी मांगें नहीं मानी जाती, लेकिन किसानों के मामलों इससे अलग हुआ है. हमारी 100 प्रतिशत मांगें सरकार ने मांग ली हैं. एमएसपी पर बात करने के लिए भी हम जल्द ही 5 नाम भी बता देंगे.
सतनाम सिंह के इस बयान के बाद आंदोलन के जल्द खत्म होने के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन देर रात संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया था कि आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कि सरकार लिखित में किसानों की मांगें नहीं मान लेती. बहरहाल संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 दिसंबर यानी की आज की आपातकालीन बैठक को तो रद्द कर दिया. ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा की 4 दिसंबर को होने वाली बैठक में ही तमाम फैसले लिए जाएंगे. इसी बैठक में किसान आंदोलन की रणनीति तय होगी और 5 प्रतिनिधि तय किए जाएंगे जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुद्दे पर सरकार के साथ बातचात करेंगे.
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