सोनीपत: जिन हाथों ने कभी बल्ले के दम से पाकिस्तान को धूल चटाने का काम किया था. आज वही हाथ लोगों के घरों में पुताई करने को मजबूर हैं. ये कहानी है सोनीपत के दोदवा गांव के रहने वाले एक दिव्यांग अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर विनोद सिंह (haryana disabled cricketer vinod singh) की, जो कभी भारतीय दिव्यांग क्रिकेट की तरफ से कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं लेकिन आज आर्थिक तंगी, सरकार और क्रिकेट बोर्ड की अनदेखी की वजह से पुताई (whitewashing house) कर अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं.
दिव्यांग क्रिकेटर विनोद (disabled cricketer vinod singh) ने बताया कि वो पाकिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ भारत की तरफ से दिव्यांग क्रिकेट टीम में हिस्सा ले चुके हैं. इसके साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि साल 2014 में वो उस टीम का भी हिस्सा थे, जिसने 3 मैचों की सीरिज में पाकिस्तान को क्लीन स्वीप कर दिया था, लेकिन इसके बाद भी वो सरकार और क्रिकेट बोर्ड की अनदेखा का शिकार हो रहे हैं.
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विनोद सिंह ने बताया कि वो 9 अंतरराष्ट्रीय मैचों में 640 रन और 14 विकेट हासिल कर चुके हैं, लेकिन पूरे घर की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है. घर में बूढ़े मां-बाप, पत्नी और दो छोटे बच्चे हैं. जिनका पेट पालने के लिए वो घरों में जाकर पुताई कर रहे हैं. उनका मन अब भी क्रिकेट खेलना का करता है, लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से वो ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.
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हरियाण सरकार और क्रिकेट बोर्ड से अपील करते हुए दिव्यांग क्रिकेटर विनोद सिंह ने कहा कि वो आज भी देश के लिए खेलना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते अब ये संभव नहीं हो पा रहा है. अगर सरकार या क्रिकेट बोर्ड उनकी मदद कर देता है तो वो एक बार फिर से क्रिकेट के जरिए देश का नाम रौशन करना चाहते हैं.