सोनीपत: किसान आंदोलन खत्म होने के बाद शनिवार को कुंडली सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की पहली बैठक (samyukt kisan morcha meeting) हुई. किसानों की यह बैठक सरकार द्वारा किए गए वायदों की समीक्षा को लेकर हुई. इस बैठक में राकेश टिकैत, युद्धवीर सिंह समेत कई बड़े किसान नेता शामिल हुए. बैठक खत्म होने के बाद किसान नेताओं ने एक प्रेस कान्फ्रेंस की. इस दौरान किसान नेताओं ने बताया कि सरकार ने एमएसपी पर कोई कमेटी नहीं बनाई, रेलवे व दिल्ली के मुकदमें वापिसी की कार्रवाई नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि हरियाणा को छोड़कर किसी ने कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई.
संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि सरकार को एक फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया गया है. अगर सरकार तय समय सीमा से पहले अपने वायदे पूरे नहीं करती तो 31 जनवरी को सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए जाएंगे. दिल्ली में भी बड़ा प्रदर्शन होगा. इसके अलावा मिशन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जोरशोर से शुरू होगा. इसके साथ-साथ आगामी 23 और 24 फरवरी को मजदूर संगठनों के साथ मिलकर भारत बंद का समर्थन किया जाएगा. किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने किसानों पर 302 के मुकदमें लगाए हैं. किसानों को जेल में डाला जा रहा है. जबकि लखीमपुर खीरी में हुई घटना पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
इस मामले में पेश की गई एसआईटी की रिपोर्ट से साफ पता चल रहा है कि सरकार आरोपी को बचाने में जुटी हुई है. प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि राकेश टिकैत 21 जनवरी से लखीमपुर के दौरा करेंगे. अगर बात नहीं बनी तो वहां पक्का मोर्चा लगेगा. इसके अलावा उन्होंने इस बात की भी जानकारी दी कि पंजाब विधानसभा चुनाव-2022 लड़ने वाले 20 से अधिक किसान संगठनों को 4 महीने के लिए बाहर कर दिया गया है. अभी हमने किसी को सस्पेंड नहीं किया. अभी चुनाव लड़ने वालों से नाता तोड़ा है, और चार माह बाद फिर इस पर निर्णय लेंगे.
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किसान नेताओं ने केंद्र सरकार पर वायदाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि किसानों को मुआवजा मामले में अब तक सरकार कोई स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाई है. वहीं सरकार से बातचीत को लेकर पूछे गए सवाल पर किसान मोर्चा के नेताओं ने कहा कि अभी तक सरकार की तरफ से बातचीत का न्यौता नहीं मिला है. बैठक के बाद बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हम 21 जनवरी से 3-4 दिनों के लिए उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी का दौरा करेंगे और प्रभावित किसान परिवारों से मुलाकात करेंगे. हम अपने आंदोलन की आगे की कार्रवाई पर चर्चा करेंगे और रणनीति बनाएंगे. वहीं किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि अभी तक केंद्र ने एमएसपी पर न तो कोई समिति बनाई है और न ही इस पर हमसे संपर्क किया है. लखीमपुर खीरी कांड में शामिल राज्यमंत्री को सरकार ने नहीं हटाया है. अगर सरकार हमारी मांगों का जवाब नहीं देती है तो हम 31 जनवरी को 'विरोध दिवस' मनाएंगे.
बता दें कि, किसान 26 नवंबर 2020 से अपनी कई मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे. 19 नवंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में किसानों की मांग को स्वीकार करते हुए कहा था कि सरकार तीन कृषि कानूनों को वापस लेगी. इसके बाद भी किसानों ने अपने आंदोलन को जारी रखा था. कृषि वापस लिए जाने के बाद भी किसानों का कहना था कि जब तक सरकार संसद में इन कानूनों को रद्द नहीं कर देती और हमारी मांगें नहीं मान लेती तब तक धरना जारी रहेगा. इसके बाद सरकार ने संसद में तीन कृषि कानूनों को रद्द कर दिया था. इसके बाद किसानों ने सरकार से अपनी सारी मांगों को मानने के लिए लिखित में पत्र देने के लिए कहा था. सरकार ने फिर किसानों की सारी मांगों को मानते हुए उन्हें एक लिखित पत्र सौंपा जिसके बाद किसानों ने आंदोलन खत्म करने का एलान कर दिया था और 11 दिसंबर 2021 को जश्न जुलूस निकालते हुए किसान अपने घर वापस लौट गए थे.
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