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लॉकडाउन से किसान पर दोहरी मार, मंडी में भी नहीं मिल रहे उचित दाम - खरखौदा हिंदी न्यूज

खरखौदा ब्लॉक के किसानों को सब्जी बेचने को लेकर काफी परेशानी हो रही है. किसान सोनीपत के अलावा किसी दूसरे जिले में सब्जी नहीं बेच पा रहे हैं. जिसके चलते उनको काफी परेशानी हो रही है. किसान सब्जी पशुओं को खिलाने को मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर...

farmers of kharkhauda upset
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Published : Apr 29, 2020, 8:34 PM IST

सोनीपत: लॉकडाउन के कारण खरखौदा ब्लॉक के पिपली गांव के किसानों के सामने अपनी सब्जियों को बेचने की समस्या खड़ी हो गई है. पिपली गांव से लगभग 200 से ज्यादा किसान अपनी सब्जियों को गांव से खरखौदा के अलावा बहादुरगढ़, सांपला और दूसरे राज्य दिल्ली की मंडियों में बेचने के लिए लेकर जाते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से वो अपनी सब्जी नहीं बेच पा रहे हैं.

लॉकडाउन से किसान पर दोहरी मार, मंडी में भी नहीं मिल रहे उचित दाम

खरखौदा से दिल्ली जाने के सभी बॉर्डर्स और रास्ते सील कर दिए गए हैं. सब्जियां मंडियों में लेकर जाते है तो मंडियों में सब्जियां के उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहे हैं. 3 से 4 रुपये किलो के हिसाब से भिंडी खरीदी जा रही है जबकि फुटकर में यही भिड़ी 40 रुपये के हिसाब से बिक रही है. पिपली गांव के किसानों ने बताया कि...

किसान को एक एकड़ जमीन 50 हजार से 60 हजार रुपये दामों पर मिलती है. इसके अलावा खाद, बीज और अन्य खर्चे भी होते हैं. दो तीन दिन पहले वे अपनी सब्जियों को बहादुरगढ़ मंडी में लेकर गया था, तो वहां पुलिस ने रोक दिया और मेरा आधारकार्ड देख कर बोला कि आप तो जिला सोनीपत से हो, तो अपनी सब्जियों को खरखौदा या सोनीपत ले जा और हमारी गाड़ी का 500 रुपये का चालान कर वापिस भेज दिया.

ये भी पढ़ें:- पड़ताल: लॉकडाउन में चारे की कमी ने तोड़ी डेयरी उद्योग की कमर, आधा दूध दे रहे पशु

लॉकडाउन के कारण किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है. एक तो सही दाम न मिलना, ऊपर से लॉकडाउन में किसान की सब्जियां नहीं बिक पा रही है. किसान सब्जियों को पशुओं को खिलाने को मजबूर हो गए हैं. जो लागत सब्जिया उगाने में लगती है, वो लागत भी नहीं मिल रही है.किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि सरकार गंभीरता से किसानों की तरफ भी ध्यान दे और जल्द कोई रास्ता निकाले.

सोनीपत: लॉकडाउन के कारण खरखौदा ब्लॉक के पिपली गांव के किसानों के सामने अपनी सब्जियों को बेचने की समस्या खड़ी हो गई है. पिपली गांव से लगभग 200 से ज्यादा किसान अपनी सब्जियों को गांव से खरखौदा के अलावा बहादुरगढ़, सांपला और दूसरे राज्य दिल्ली की मंडियों में बेचने के लिए लेकर जाते थे, लेकिन लॉकडाउन की वजह से वो अपनी सब्जी नहीं बेच पा रहे हैं.

लॉकडाउन से किसान पर दोहरी मार, मंडी में भी नहीं मिल रहे उचित दाम

खरखौदा से दिल्ली जाने के सभी बॉर्डर्स और रास्ते सील कर दिए गए हैं. सब्जियां मंडियों में लेकर जाते है तो मंडियों में सब्जियां के उचित मूल्य भी नहीं मिल पा रहे हैं. 3 से 4 रुपये किलो के हिसाब से भिंडी खरीदी जा रही है जबकि फुटकर में यही भिड़ी 40 रुपये के हिसाब से बिक रही है. पिपली गांव के किसानों ने बताया कि...

किसान को एक एकड़ जमीन 50 हजार से 60 हजार रुपये दामों पर मिलती है. इसके अलावा खाद, बीज और अन्य खर्चे भी होते हैं. दो तीन दिन पहले वे अपनी सब्जियों को बहादुरगढ़ मंडी में लेकर गया था, तो वहां पुलिस ने रोक दिया और मेरा आधारकार्ड देख कर बोला कि आप तो जिला सोनीपत से हो, तो अपनी सब्जियों को खरखौदा या सोनीपत ले जा और हमारी गाड़ी का 500 रुपये का चालान कर वापिस भेज दिया.

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लॉकडाउन के कारण किसानों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है. एक तो सही दाम न मिलना, ऊपर से लॉकडाउन में किसान की सब्जियां नहीं बिक पा रही है. किसान सब्जियों को पशुओं को खिलाने को मजबूर हो गए हैं. जो लागत सब्जिया उगाने में लगती है, वो लागत भी नहीं मिल रही है.किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि सरकार गंभीरता से किसानों की तरफ भी ध्यान दे और जल्द कोई रास्ता निकाले.

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