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संयुक्त किसान मोर्चा की महापंचायत, बोले- मांगें नहीं मानी तो और बड़ा होगा आंदोलन - राजीव गांधी एजुकेशन सिटी सोनीपत

आज किसानों ने राजीव गांधी एजुकेशन सिटी सोनीपत में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले एक महापंचायत की जिसमें उन्होंने अपनी मांगों का मांग पर राष्ट्रपति को सौंपा है. किसानों ने सरकार को चेताया है कि किसानों से किए वादे जल्द पूरे नहीं किए तो इस बार पहले से भी बड़ा किसान आंदोलन किया जाएगा.

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Published : Dec 11, 2022, 6:26 PM IST

सोनीपत: पिछले साल 11 नवंबर 2021 को किसान दिल्ली की सीमाओं को खाली कर फतेह मार्च करते हुए घर निकल गए थे क्योंकि सरकार ने तीन कृषि कानून को रद्द कर दिया था. किसानों की सभी मांगों पर सहमति जता दी थी और आज किसानों ने राजीव गांधी एजुकेशन सिटी सोनीपत (Sonipat Rajiv Gandhi Education City) में संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के बैनर तले एक महापंचायत की.

किसान महापंचायत में सरकार को चेताया कि अगर सरकार ने उनकी जो मांगें मानी थी उन्हें जल्द से जल्द पूरा नहीं किया तो एक बार फिर से किसान आंदोलन का उसी तरह का आगाज़ दिया जाएगा. किसान नेताओं ने कहा कि इस बार किसान आंदोलन से भी ज्यादा मजबूत होगा. किसानों ने इस महापंचायत की शुरुआत किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए की और समाप्ति उनके परिवारों को सम्मानित करते हुए की गई. हरियाणा-पंजाब के किसान बड़ी संख्या में सोनीपत में एकत्र हुए थे.

किसानों ने जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को अपनी मांगों का एक मांग पत्र भी सौंपा. किसानों ने मांग रखी कि लखीमपुर खीरी में किसानों को न्याय दिया जाए. जेल में बंद किसानों को रिहा किया जाए. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए. स्वामीनाथन आयोग के सी2+50% के फार्मूले पर एमएसपी गारंटी कानून (MSP Guarantee Act) बनाया जाए. किसानों को पूरी तरह से कर्ज मुक्त किया जाए. किसानों की जमीन का भूमि अधिग्रहण 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किया जाए.

वहीं किसानों ने मुक्त व्यापार समझौते पर रोक लगाए जाने पर भी सरकार को चेतायाा कि अगर किसानों की इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया गया तो एक बार फिर से किसान आंदोलन वह शुरू कर देंगे और अब की बार किसान आंदोलन से भी ज्यादा समय अगर उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर रुकना पड़े तो वो पीछे नहीं हटने वाले. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मंच से बोलते हुए कहा कि सरकारों ने SYL के पानी को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसानों में फूट डालने का काम किया.

हरियाणा और पंजाब के समझदार किसानों ने सरकार की उन बातों को एक सिरे से नकार दिया. यह सब राजनीतिक खेल है ताकि हरियाणा और पंजाब के किसानों को एक दूसरे का दुश्मन बना दिया जाए ताकि वह अपनी मांगों को सरकार के सामने मिलकर उठा ना सके. आज पूरे देश में इस तरह की अलग-अलग राज्यों में पंचायतें की गई है.

ये भी पढ़ें- किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को हरियाणा और पंजाब के किसानों ने दी श्रद्धांजलि

सभी पंचायतों के किसान नेता मुलाकात करेंगे और जल्द से जल्द एक बैठक कर आंदोलन की आगामी रणनीति तय करेंगे. वहीं किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि हम इस पंचायत से सरकार को चेता रहे है कि जल्द से जल्द किसानों की मांगें नहीं मानी तो हम दोबारा से गांव-गांव जाकर किसानों को इकट्ठा करेंगे ताकि एक बार फिर किसान आंदोलन को शुरू कर सकें और इस बार आंदोलन पिछली बार से भी बड़ा होगा.

ये भी पढ़ें- चंडीगढ़ में गुलदाउदी शो का क्रेज, 10 से ज्यादा किस्मों के खास फूलों की लगी प्रदर्शनी

सोनीपत: पिछले साल 11 नवंबर 2021 को किसान दिल्ली की सीमाओं को खाली कर फतेह मार्च करते हुए घर निकल गए थे क्योंकि सरकार ने तीन कृषि कानून को रद्द कर दिया था. किसानों की सभी मांगों पर सहमति जता दी थी और आज किसानों ने राजीव गांधी एजुकेशन सिटी सोनीपत (Sonipat Rajiv Gandhi Education City) में संयुक्त किसान मोर्चा (Samyukt Kisan Morcha) के बैनर तले एक महापंचायत की.

किसान महापंचायत में सरकार को चेताया कि अगर सरकार ने उनकी जो मांगें मानी थी उन्हें जल्द से जल्द पूरा नहीं किया तो एक बार फिर से किसान आंदोलन का उसी तरह का आगाज़ दिया जाएगा. किसान नेताओं ने कहा कि इस बार किसान आंदोलन से भी ज्यादा मजबूत होगा. किसानों ने इस महापंचायत की शुरुआत किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देते हुए की और समाप्ति उनके परिवारों को सम्मानित करते हुए की गई. हरियाणा-पंजाब के किसान बड़ी संख्या में सोनीपत में एकत्र हुए थे.

किसानों ने जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को अपनी मांगों का एक मांग पत्र भी सौंपा. किसानों ने मांग रखी कि लखीमपुर खीरी में किसानों को न्याय दिया जाए. जेल में बंद किसानों को रिहा किया जाए. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त किया जाए. स्वामीनाथन आयोग के सी2+50% के फार्मूले पर एमएसपी गारंटी कानून (MSP Guarantee Act) बनाया जाए. किसानों को पूरी तरह से कर्ज मुक्त किया जाए. किसानों की जमीन का भूमि अधिग्रहण 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किया जाए.

वहीं किसानों ने मुक्त व्यापार समझौते पर रोक लगाए जाने पर भी सरकार को चेतायाा कि अगर किसानों की इन मांगों को जल्द से जल्द पूरा नहीं किया गया तो एक बार फिर से किसान आंदोलन वह शुरू कर देंगे और अब की बार किसान आंदोलन से भी ज्यादा समय अगर उन्हें दिल्ली की सीमाओं पर रुकना पड़े तो वो पीछे नहीं हटने वाले. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने मंच से बोलते हुए कहा कि सरकारों ने SYL के पानी को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसानों में फूट डालने का काम किया.

हरियाणा और पंजाब के समझदार किसानों ने सरकार की उन बातों को एक सिरे से नकार दिया. यह सब राजनीतिक खेल है ताकि हरियाणा और पंजाब के किसानों को एक दूसरे का दुश्मन बना दिया जाए ताकि वह अपनी मांगों को सरकार के सामने मिलकर उठा ना सके. आज पूरे देश में इस तरह की अलग-अलग राज्यों में पंचायतें की गई है.

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सभी पंचायतों के किसान नेता मुलाकात करेंगे और जल्द से जल्द एक बैठक कर आंदोलन की आगामी रणनीति तय करेंगे. वहीं किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि हम इस पंचायत से सरकार को चेता रहे है कि जल्द से जल्द किसानों की मांगें नहीं मानी तो हम दोबारा से गांव-गांव जाकर किसानों को इकट्ठा करेंगे ताकि एक बार फिर किसान आंदोलन को शुरू कर सकें और इस बार आंदोलन पिछली बार से भी बड़ा होगा.

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