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गन्नौर: पराली जलाकर प्रशासन के आदेशों को हवा में उड़ा रहे किसान - गन्नौर पराली समस्या

गन्नौर के गढ़ी झंझारा में किसान सरेआम धान की पराली में आग लगा रहे हैं और प्रशासन कुंभकर्णी नींद सो रहा है. स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन आंखे मूंदे बैठा है. जिससे साबित हो रहा है कि पराली नहीं जलाने के आदेश सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित है.

farmers  burning stubble in hisar
पराली जलाकर प्रशासन के आदेशों को हवा में उड़ा रहे हिसार के किसान
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Published : Sep 30, 2020, 12:24 PM IST

Updated : Sep 30, 2020, 1:24 PM IST

सोनीपत: भले ही सरकार और प्रशासन की ओर से किसानों को पराली न जलाने के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. किसान पराली सरेआम दिन में ही जला रहे हैं.

गन्नौर के गढ़ी झंझारा में किसान सरेआम धान की पराली में आग लगा रहे हैं और प्रशासन आंख बंद करके बैठा है. स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन आंखे मूंदे बैठा है. जिससे साबित हो रहा है कि पराली नहीं जलाने के आदेश सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं.

किसानों की ओर से खेतों में धान की फसल काट जाने के बाद बची पराली को नष्ट करने के लिए आग लगा दी जाती है. ये जहरीला धुआं न सिर्फ वातावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. कई बार खेतों में लगी आग का धुआं सड़क हादसों का भी कारण बन जाता है. वहीं पराली जलाने से धरती की उपजाऊ क्षमता भी कम होती है.

ये भी पढ़िए: अंबाला: निजी स्कूलों ने सरकार पर लगाए आर्थिक बोझ डालने के आरोप

डॉ. संजय जैन ने बताया कि धुएं के कारण लोगों को एलर्जी, सिर दर्द और आंखों में जलन जैसी बीमारियां हो जाती हैं. कई बार ये धुआं सांस के रोगियों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि सांस में ज्यादा दिक्कत होने पर तुरंत अस्पताल में जाकर उचित इलाज करवाना चाहिए.

सोनीपत: भले ही सरकार और प्रशासन की ओर से किसानों को पराली न जलाने के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं. किसान पराली सरेआम दिन में ही जला रहे हैं.

गन्नौर के गढ़ी झंझारा में किसान सरेआम धान की पराली में आग लगा रहे हैं और प्रशासन आंख बंद करके बैठा है. स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन आंखे मूंदे बैठा है. जिससे साबित हो रहा है कि पराली नहीं जलाने के आदेश सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित हैं.

किसानों की ओर से खेतों में धान की फसल काट जाने के बाद बची पराली को नष्ट करने के लिए आग लगा दी जाती है. ये जहरीला धुआं न सिर्फ वातावरण को नुकसान पहुंचता है बल्कि लोगों की सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है. कई बार खेतों में लगी आग का धुआं सड़क हादसों का भी कारण बन जाता है. वहीं पराली जलाने से धरती की उपजाऊ क्षमता भी कम होती है.

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डॉ. संजय जैन ने बताया कि धुएं के कारण लोगों को एलर्जी, सिर दर्द और आंखों में जलन जैसी बीमारियां हो जाती हैं. कई बार ये धुआं सांस के रोगियों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि सांस में ज्यादा दिक्कत होने पर तुरंत अस्पताल में जाकर उचित इलाज करवाना चाहिए.

Last Updated : Sep 30, 2020, 1:24 PM IST
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