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हाईवे का रास्ता खुलवाने को लेकर सोनीपत प्रशासन और किसान नेताओं की हुई बैठक, सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं ऑर्डर

सोनीपत में हाईवे पर एक तरफ का रास्ता खुलवाने (sonipat highway farmer protest) को लेकर मंगलवार को जिला प्रशासन और किसान नेताओं की अहम बैठक हुई. ये बेनतीजा रही, लेकिन प्रशासन ने किसानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की एक कॉपी सौंपी जिसमें एक तरफ का रास्ता खुलवाने के आदेश दिए गए हैं.

sonipat farmer protest
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Published : Sep 14, 2021, 4:54 PM IST

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (sonipat farmer protest) लगातार जारी है. आंदोलन के चलते सोनीपत कुंडली सिंधु बॉर्डर पर कई रास्ते भी बंद हैं. इसी को लेकर मंगलवार को किसान नेताओं और जिला प्रशासन की बैठक हुई. बैठक में एक तरफ का रास्ता खोलने को लेकर बातचीत हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला. हालांकि बैठक में सोनीपत जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने किसानों को सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश भी थमाया. जिसमें याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल की याचिका का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक रास्ता खुलवाने के लिए जिला प्रशासन को दिया है.

अब किसान इस पूरे मसले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करने वाले हैं. बता दें कि, ये बैठक सोनीपत लघु सचिवालय पर हुई. बैठक में जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए किसान नेताओं से हाईवे पर एक तरफ का रास्ता खुलवाने की बात कही, लेकिन किसान नेताओं ने मीटिंग में कहा कि हमने एक तरफ का रास्ता खोल रखा है, लेकिन बरसात के चलते वहां से रोड बिल्कुल टूट चुका है.

हाईवे का रास्ता खुलवाने को लेकर सोनीपत प्रशासन और किसान नेताओं की हुई बैठक

ये भी पढ़ें- अब हिसार में किसानों ने किया बवाल, बीजेपी विधायक की कार के आगे लेटे

किसान नेता मनजीत राय ने किसानों की कुछ समस्याएं भी जिला प्रशासन के सामने रखी और उनको जल्द से जल्द समझाने का सुझाव भी मांगा. वहीं उन्होंने जिला प्रशासन से कहा कि उन्होंने एक तरफ का रास्ता खोल रखा है. बहरहाल बैठक में सोनीपत डीसी ललित सिवाच ने किसानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की एक कॉपी सौंपी और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया कि हाईवे का एक तरफ का रास्ता खोलें ताकि इमरजेंसी सेवाओं के साथ-साथ आसपास के रहने वाले लोगों को कोई दिक्कत ना हो.

गौरतलब है कि बीते साल 26 नवंबर से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन चल रहा है. सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने मोर्चे लगाए हुए हैं. किसानों का साफ कहना है कि कानूनों के रद्द होने तक वो वापस नहीं लौटेंगे. वहीं सरकार अभी भी अपने फैसले पर बनी हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ये कह चुके हैं कि कानून रद्द नहीं होंगे, अगर किसान चाहें तो सरकार बातचीत दोबारा शुरू कर सकती है.

ये भी पढ़ें- करनाल के बाद जींद में हुआ बवाल, बीजेपी विधायक की गाड़ी पर किसानों ने चलाए डंडे

सोनीपत: तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन (sonipat farmer protest) लगातार जारी है. आंदोलन के चलते सोनीपत कुंडली सिंधु बॉर्डर पर कई रास्ते भी बंद हैं. इसी को लेकर मंगलवार को किसान नेताओं और जिला प्रशासन की बैठक हुई. बैठक में एक तरफ का रास्ता खोलने को लेकर बातचीत हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकला. हालांकि बैठक में सोनीपत जिला प्रशासन के आला अधिकारियों ने किसानों को सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश भी थमाया. जिसमें याचिकाकर्ता मोनिका अग्रवाल की याचिका का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एक रास्ता खुलवाने के लिए जिला प्रशासन को दिया है.

अब किसान इस पूरे मसले को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा करने वाले हैं. बता दें कि, ये बैठक सोनीपत लघु सचिवालय पर हुई. बैठक में जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए किसान नेताओं से हाईवे पर एक तरफ का रास्ता खुलवाने की बात कही, लेकिन किसान नेताओं ने मीटिंग में कहा कि हमने एक तरफ का रास्ता खोल रखा है, लेकिन बरसात के चलते वहां से रोड बिल्कुल टूट चुका है.

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किसान नेता मनजीत राय ने किसानों की कुछ समस्याएं भी जिला प्रशासन के सामने रखी और उनको जल्द से जल्द समझाने का सुझाव भी मांगा. वहीं उन्होंने जिला प्रशासन से कहा कि उन्होंने एक तरफ का रास्ता खोल रखा है. बहरहाल बैठक में सोनीपत डीसी ललित सिवाच ने किसानों को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की एक कॉपी सौंपी और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश दिया कि हाईवे का एक तरफ का रास्ता खोलें ताकि इमरजेंसी सेवाओं के साथ-साथ आसपास के रहने वाले लोगों को कोई दिक्कत ना हो.

गौरतलब है कि बीते साल 26 नवंबर से तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन चल रहा है. सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों ने अपने मोर्चे लगाए हुए हैं. किसानों का साफ कहना है कि कानूनों के रद्द होने तक वो वापस नहीं लौटेंगे. वहीं सरकार अभी भी अपने फैसले पर बनी हुई है. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ये कह चुके हैं कि कानून रद्द नहीं होंगे, अगर किसान चाहें तो सरकार बातचीत दोबारा शुरू कर सकती है.

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