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बरोदा में सत्ताधारी गठबंधन की 'अग्निपरीक्षा', जेजेपी के वोट बैंक पर दारोमदार!

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Published : Oct 12, 2020, 10:03 AM IST

Updated : Oct 12, 2020, 1:44 PM IST

प्रदेश का मौसम बदलते मौसम और ठंड की दस्तक से पहले बरोदा उपचुनाव ने सियासी गर्मी बढ़ा दी है. सभी पार्टियों ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी है.

Electoral equation for BJP-JJP alliance in Baroda
Electoral equation for BJP-JJP alliance in Baroda

गोहानाः बरोदा उपचुनाव कांग्रेस और इनेलो के लिए जितना महत्वपूर्ण उतना ही बीजेपी के लिए भी है. और जब बात गठबंधन की आ जाती है तो फिर ये साख का सवाल बन जाता है. क्योंकि अकेले बीजेपी या जेजेपी अगर चुनाव हारती तो बात अलग होती लेकिन अगर दोनों पार्टियां गटबंधन में रहकर भी चुनाव हारीं तो जीतने वाली पार्टी को अगले चुनाव के लिए एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल होगी.

बीजेपी-जेजेपी की अग्निपरीक्षा

बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के लिए ये चुनाव अग्निपरीक्षा है. क्योंकि इस चुनाव में जीत से जेजेपी उन लोगों को जवाब देना चाहेगी जो गठबंधन पर नैतिकता के सवाल उठाते हैं. इसके अलावा सरकार के लिए तीन नए कृषि कानूनों के मद्देनजर भी बरोदा उपचुनाव बेहद अहम है. क्योंकि अगर उनका गठबंधन जीतता है तो सरकार इसे कृषि कानूनों पर किसानों की मुहर के रूप में पेश करेगी. और कहेगी कि प्रदेश में हो रहा विरोध राजनीति से प्रेरित है.

बरोदा उपचुनाव में गठबंधन को जीत की उम्मीद क्यों?

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेजेपी दोनों के उम्मीदवारों को हार जरूर मिली थी लेकिन बीजेपी के योगेश्वर दत्त कांग्रेस उम्मीदवार से लगभग 5 हजार वोटों से हारे थे. और जेजेपी उम्मीदवार को भी अच्छे खासे वोट मिले थे. अगर वोटों का आंकड़ा देखें तो कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा को 42556 वोट मिले थे, दूसरे नंबर पर रहने वाले बीजेपी के योगेश्वर दत्त को 37226 वोट मिले थे, जबकि जेजेपी के भूपेंद्र मलिक को 32480 वोट मिले थे. मतलब अगर गठबंधन प्रत्याशियों के वोट मिला दिए जाएं तो 69706 होते हैं, जो 2019 में कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशी से कहीं ज्यादा हैं.

ऐसे जीत की आस लगाए बैठा है सत्ताधारी गठबंधन
ऐसे जीत की आस लगाए बैठा है सत्ताधारी गठबंधन

ये भी पढ़ेंः क्या बरोदा उपचुनाव में बीएसपी भी ठोकेगी ताल ?

जेजेपी के वोट बैंक के सहारे बीजेपी!

बरोदा विधानसभा भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है. यही वजह है कि बीजेपी इस सीट को किसी भी हाल में जीतना चाहती है लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रत्याशी को यहां हराने के लिए बीजेपी को जेजेपी के कोर वोटर की सख्त आवश्यकता है क्योंकि बरोदा जाट बहुल सीट है. और राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बीजेपी ने गैर जाट राजनीति के इर्द गिर्द ही सत्ता का तानाबाना बुना है. इसलिए अगर जेजेपी का वोट बैंक कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हुआ तो गठबंधन की राह आसान नहीं होगी. लेकिन अगर जेजेपी को मिले वोट में से 50 से 70 फीसदी भी गठबंधन वापस पाने में कामयाब हो गया तो बरोदा में हमेशा हार का मुंह देखने वाली बीजेपी पहली बार यहां जीत का मजा चख सकती है.

बरोदा उपचुनाव का पूरा कार्यक्रम
बरोदा उपचुनाव का पूरा कार्यक्रम

गोहानाः बरोदा उपचुनाव कांग्रेस और इनेलो के लिए जितना महत्वपूर्ण उतना ही बीजेपी के लिए भी है. और जब बात गठबंधन की आ जाती है तो फिर ये साख का सवाल बन जाता है. क्योंकि अकेले बीजेपी या जेजेपी अगर चुनाव हारती तो बात अलग होती लेकिन अगर दोनों पार्टियां गटबंधन में रहकर भी चुनाव हारीं तो जीतने वाली पार्टी को अगले चुनाव के लिए एक प्रकार की मनोवैज्ञानिक बढ़त हासिल होगी.

बीजेपी-जेजेपी की अग्निपरीक्षा

बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के लिए ये चुनाव अग्निपरीक्षा है. क्योंकि इस चुनाव में जीत से जेजेपी उन लोगों को जवाब देना चाहेगी जो गठबंधन पर नैतिकता के सवाल उठाते हैं. इसके अलावा सरकार के लिए तीन नए कृषि कानूनों के मद्देनजर भी बरोदा उपचुनाव बेहद अहम है. क्योंकि अगर उनका गठबंधन जीतता है तो सरकार इसे कृषि कानूनों पर किसानों की मुहर के रूप में पेश करेगी. और कहेगी कि प्रदेश में हो रहा विरोध राजनीति से प्रेरित है.

बरोदा उपचुनाव में गठबंधन को जीत की उम्मीद क्यों?

2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेजेपी दोनों के उम्मीदवारों को हार जरूर मिली थी लेकिन बीजेपी के योगेश्वर दत्त कांग्रेस उम्मीदवार से लगभग 5 हजार वोटों से हारे थे. और जेजेपी उम्मीदवार को भी अच्छे खासे वोट मिले थे. अगर वोटों का आंकड़ा देखें तो कांग्रेस के श्रीकृष्ण हुड्डा को 42556 वोट मिले थे, दूसरे नंबर पर रहने वाले बीजेपी के योगेश्वर दत्त को 37226 वोट मिले थे, जबकि जेजेपी के भूपेंद्र मलिक को 32480 वोट मिले थे. मतलब अगर गठबंधन प्रत्याशियों के वोट मिला दिए जाएं तो 69706 होते हैं, जो 2019 में कांग्रेस के जीते हुए प्रत्याशी से कहीं ज्यादा हैं.

ऐसे जीत की आस लगाए बैठा है सत्ताधारी गठबंधन
ऐसे जीत की आस लगाए बैठा है सत्ताधारी गठबंधन

ये भी पढ़ेंः क्या बरोदा उपचुनाव में बीएसपी भी ठोकेगी ताल ?

जेजेपी के वोट बैंक के सहारे बीजेपी!

बरोदा विधानसभा भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गढ़ मानी जाती है. यही वजह है कि बीजेपी इस सीट को किसी भी हाल में जीतना चाहती है लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के प्रत्याशी को यहां हराने के लिए बीजेपी को जेजेपी के कोर वोटर की सख्त आवश्यकता है क्योंकि बरोदा जाट बहुल सीट है. और राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बीजेपी ने गैर जाट राजनीति के इर्द गिर्द ही सत्ता का तानाबाना बुना है. इसलिए अगर जेजेपी का वोट बैंक कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हुआ तो गठबंधन की राह आसान नहीं होगी. लेकिन अगर जेजेपी को मिले वोट में से 50 से 70 फीसदी भी गठबंधन वापस पाने में कामयाब हो गया तो बरोदा में हमेशा हार का मुंह देखने वाली बीजेपी पहली बार यहां जीत का मजा चख सकती है.

बरोदा उपचुनाव का पूरा कार्यक्रम
बरोदा उपचुनाव का पूरा कार्यक्रम
Last Updated : Oct 12, 2020, 1:44 PM IST
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