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'सैनिटाइजेशन टनल से सांस के मरीजों की हो सकती है मौत'

एसएमओ डॉक्टर कर्मवीर ने बताया है कि सैनिटाइजेशन टनल में दवाई की मात्रा ज्यादा होने पर सांस के संबंधित मरीज की मौत भी हो सकती है.

doctor said Sanitization tunnel can lead to death
सैनिटाइजेशन टनल
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Published : Apr 20, 2020, 2:07 PM IST

सोनीपत: गोहाना मंडल में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दो जगह पर टनल लगाए गए हैं. इसके अलावा जगह-जगह जा कर वार्ड को सैनिटाइज किए जा रहा है. डॉक्टर के मुताबिक अगर सैनिटाइजेशन टनल दवाई की मात्रा हुई तो व्यक्ति की मौत तक हो सकती है.

सैनिटाइजेशन टनल से सांस के मरीजों की हो सकती है मौत-डॉक्टर

गोहाना नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर कर्मवीर ने बताया है कि केमिकल ज्यादा मात्रा होने पर सांस के संबंधित मरीज को इसमें परेशानी होती है और इलाज नहीं मिलने पर मौत भी हो सकती है. सैनिटाइजेशन टनल में तो इसकी मात्रा का भी ध्यान रखना पड़ता है जोकि केमिकल मात्रा 0.5 के हिसाब से टंकी में डाली जाती है अगर 7 से 8 पॉइंट के बीच में टंकी में दवाई डाली गई तो सांस के मरीज की मौत भी हो सकती है.

एसएमओ डॉक्टर कर्मवीर ने बताया कि जो टनल लगाए गए हैं उसमें हाइपोक्लोराइट सलूशन केमिकल टनल में प्रयोग किया जाता है. ये एक गैस होती है. इसको सही मात्रा के हिसाब से नहीं डाली गई तो सांस से संबंधित मरीज की इसमें मौत हो सकती है. क्योंकि टनल में दवाई डालते समय मात्रा का ध्यान रखना पड़ता है. इसकी मात्रा 0.5 परसेंट होती है अगर 7 से 8 परसेंट दवाई डाली गई तो इसमें सांस के मरीज की मौत होने की संभावना ज्यादा होती है.

ये भी पढ़ें- कैथलः गेहूं काटने के बाद भी किसान चिंतित, कहीं बारिश न बर्बाद कर दे मेहनत

सोनीपत: गोहाना मंडल में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए दो जगह पर टनल लगाए गए हैं. इसके अलावा जगह-जगह जा कर वार्ड को सैनिटाइज किए जा रहा है. डॉक्टर के मुताबिक अगर सैनिटाइजेशन टनल दवाई की मात्रा हुई तो व्यक्ति की मौत तक हो सकती है.

सैनिटाइजेशन टनल से सांस के मरीजों की हो सकती है मौत-डॉक्टर

गोहाना नागरिक अस्पताल के एसएमओ डॉक्टर कर्मवीर ने बताया है कि केमिकल ज्यादा मात्रा होने पर सांस के संबंधित मरीज को इसमें परेशानी होती है और इलाज नहीं मिलने पर मौत भी हो सकती है. सैनिटाइजेशन टनल में तो इसकी मात्रा का भी ध्यान रखना पड़ता है जोकि केमिकल मात्रा 0.5 के हिसाब से टंकी में डाली जाती है अगर 7 से 8 पॉइंट के बीच में टंकी में दवाई डाली गई तो सांस के मरीज की मौत भी हो सकती है.

एसएमओ डॉक्टर कर्मवीर ने बताया कि जो टनल लगाए गए हैं उसमें हाइपोक्लोराइट सलूशन केमिकल टनल में प्रयोग किया जाता है. ये एक गैस होती है. इसको सही मात्रा के हिसाब से नहीं डाली गई तो सांस से संबंधित मरीज की इसमें मौत हो सकती है. क्योंकि टनल में दवाई डालते समय मात्रा का ध्यान रखना पड़ता है. इसकी मात्रा 0.5 परसेंट होती है अगर 7 से 8 परसेंट दवाई डाली गई तो इसमें सांस के मरीज की मौत होने की संभावना ज्यादा होती है.

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