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चीनी सामान का बहिष्कार तेज, सोनीपत की यूनिवर्सिटी ने लिया बड़ा फैसला

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Published : Jul 3, 2020, 12:47 PM IST

चीनी सामान के बहिष्कार की जंग में सोनीपत के दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के तहत विश्वविद्यालय में चीनी कंपनियों का कोई भी उत्पाद इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.

DCRUST university boycott made in china goods in sonipat
DCRUST university boycott made in china goods in sonipat

सोनीपत: चीनी सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत के बाद गुस्सा अभी भी थमा नहीं है. एक तरफ भारतीय सेना चीन को सबक सीखाने के लिए तैयार है तो दूसरी तरफ देश में चीनी सामान के बहिष्कार ने जोर पकड़ लिया है. इसी बीच चीन के खिलाफ कूटनीतिक जंग में अब सोनीपत का दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी कूद पड़ा है.

बहिष्कार को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए तय किया है कि विश्वविद्यालय में चीनी कंपनियों का कोई भी उत्पाद इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इस फैसले में विश्वविद्यालय के हॉस्टल से लेकर प्रयोगशालाएं में प्रयोग होने वाले सभी सामान प्रतिबंधित कर दिया गया है.

कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने एक संकल्प लिया है कि विश्वविद्यालय प्रांगण के अंदर चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे. विश्वविद्यालय परिवार इस संकल्प में कुलपति प्रो. अनायत के साथ खड़ा है. सभी ने कहा कि ये देश की आन-बान और शान का मामला है. उन्होंने कहा कि हम भले ही हम सीमा पर जाकर लड़ नहीं सकते, लेकिन आर्थिक तौर पर चीन को कमजोर कर उसके दांत खट्टे कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी प्रकार के चीन में बने उपकरण पर पूरी तरह से बैन रहेगा. विश्वविद्यालय स्वदेशी उपकरणों को इस्तेमाल करेगा, जिससे देश आर्थिक तौर पर मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि चीन के उपकरणों का बहिष्कार करने के लिए विश्वविद्यालय एक बड़ी मुहिम चलाएगा. इस मुहिम में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और विद्यार्थियों का सहयोग भी लिया जाएगा.

कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि विश्वविद्यालय के प्रांगण में करीब चार हजार से अधिक विद्यार्थियों के अतिरिक्त प्रोफेसर, अधिकारी और कर्मचारी हैं. जो चीनी उपकरणों के बहिष्कार की मुहिम में अहम योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में चीनी उत्पाद के बहिष्कार के प्रति आसपास के लोगों को जागरूक करने, स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के प्रति प्रेरित करने का कार्य भी करेगा.

ये भी पढ़ें- पानीपत: बुजुर्ग दंपति के हाथ-पैर बांधकर 7 लाख रुपये की लूट

गौरतलब है कि सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत के बाद चीनी सामान की बहिष्कार की मुहिम चलाई गई थी, जो अभी भी जारी है. भारतीय रेलवे ने भी चीनी कंपनी से अपना एक करार खत्म कर दिया था. इसकी सुरक्षा के मद्देनजर भारत सरकार ने 59 चीनी एप को बंद करने का फैसला लिया था, जिसमें टिक टॉक भी शामिल है.

सोनीपत: चीनी सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत के बाद गुस्सा अभी भी थमा नहीं है. एक तरफ भारतीय सेना चीन को सबक सीखाने के लिए तैयार है तो दूसरी तरफ देश में चीनी सामान के बहिष्कार ने जोर पकड़ लिया है. इसी बीच चीन के खिलाफ कूटनीतिक जंग में अब सोनीपत का दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भी कूद पड़ा है.

बहिष्कार को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने बड़ा फैसला लेते हुए तय किया है कि विश्वविद्यालय में चीनी कंपनियों का कोई भी उत्पाद इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इस फैसले में विश्वविद्यालय के हॉस्टल से लेकर प्रयोगशालाएं में प्रयोग होने वाले सभी सामान प्रतिबंधित कर दिया गया है.

कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने एक संकल्प लिया है कि विश्वविद्यालय प्रांगण के अंदर चीनी सामान का बहिष्कार करेंगे. विश्वविद्यालय परिवार इस संकल्प में कुलपति प्रो. अनायत के साथ खड़ा है. सभी ने कहा कि ये देश की आन-बान और शान का मामला है. उन्होंने कहा कि हम भले ही हम सीमा पर जाकर लड़ नहीं सकते, लेकिन आर्थिक तौर पर चीन को कमजोर कर उसके दांत खट्टे कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में सभी प्रकार के चीन में बने उपकरण पर पूरी तरह से बैन रहेगा. विश्वविद्यालय स्वदेशी उपकरणों को इस्तेमाल करेगा, जिससे देश आर्थिक तौर पर मजबूत होगा. उन्होंने कहा कि चीन के उपकरणों का बहिष्कार करने के लिए विश्वविद्यालय एक बड़ी मुहिम चलाएगा. इस मुहिम में विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और विद्यार्थियों का सहयोग भी लिया जाएगा.

कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि विश्वविद्यालय के प्रांगण में करीब चार हजार से अधिक विद्यार्थियों के अतिरिक्त प्रोफेसर, अधिकारी और कर्मचारी हैं. जो चीनी उपकरणों के बहिष्कार की मुहिम में अहम योगदान दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में चीनी उत्पाद के बहिष्कार के प्रति आसपास के लोगों को जागरूक करने, स्वदेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के प्रति प्रेरित करने का कार्य भी करेगा.

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गौरतलब है कि सीमा विवाद में 20 जवानों की शहादत के बाद चीनी सामान की बहिष्कार की मुहिम चलाई गई थी, जो अभी भी जारी है. भारतीय रेलवे ने भी चीनी कंपनी से अपना एक करार खत्म कर दिया था. इसकी सुरक्षा के मद्देनजर भारत सरकार ने 59 चीनी एप को बंद करने का फैसला लिया था, जिसमें टिक टॉक भी शामिल है.

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