सोनीपत: पाटिल अस्पताल में जिंदा प्री-मैच्योर नवजात बच्ची को बास्केट में डालने के मामले में केस दर्ज कर लिया गया है. पुलिस ने शिकायतकर्ता के नाम से केस दर्ज जरूर किया, लेकिन उसमें जांच रिपोर्ट के आधार पर आरोपी को अज्ञात रखा गया है. पुलिस ने ये मुकदमा भी डीसी के सख्त होने के बाद दर्ज किया है.
बता दें कि डीसी ने इस मामले को दबाए जाने पर सख्ती दिखाते हुए कार्रवाई के निर्देश दिए थे. एक तरफ जहां इस मामले की जांच पुलिस करेगी तो वहीं दूसरी तरफ एसडीएम भी इस केस की जांच अलग से करेंगे, जिसमें बयान के लिए एसडीएम ने शिकायतकर्ता को बुलाया है.
ये था पूरा मामला-
दरअसल, पाटिल अस्पताल में एक महिला ने दो बच्चों को जन्म दिया था. इनमें से एक बच्चा मृत था, जबकि दूसरी बच्ची प्री-मैच्योर थी. जिसे मरने के लिए बास्केट में डाल दिया गया. नवजात को बास्केट में देखने के बाद रवि दहिया नाम के युवक ने इसकी सूचना पुलिस को दी. जिसके बाद डॉक्टरों ने पुलिस को ये तर्क किया कि बच्ची प्री-मैच्योर है और उसका वजन भी काफी कम है. ऐसे में बच्ची का बचना मुश्किल नहीं असंभव है.
डॉक्टरों ने शिकायतकर्ता पर उठाए सवाल
हालांकि बाद में पुलिस ने नवजात बच्ची को नागरिक अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां उसकी मौत हो गई. इस शर्मसार करने वाली घटना के सामने आने के बाद डीसी श्यामलाल पूनिया के निर्देश पर एसडीएम आशुतोष राजन ने सीएमओ को जांच के लिए पत्र लिखा था. इसकी जांच रिपोर्ट रविवार को एसडीएम को भेजी गई. उस जांच रिपोर्ट में डाक्टरों की टीम ने शिकायतकर्ता पर ही सवाल उठाए हैं.
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रिपोर्ट में कहा गया है कि अस्पताल प्रशासन ने बच्ची को वार्मर में रखा था, लेकिन बाहर से आए कुछ लोगों ने बच्ची को वार्मर से उठाकर बास्केट में डाल दिया. इस पर डीसी श्यामलाल पूनिया ने अस्पताल प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अगर ऐसा मामला था तो अस्पताल प्रशासन ने उसी दिन मुकदमा दर्ज क्यों नहीं करवाया? रिपोर्ट सामने आने के बाद डीसी ने मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए. जिसके बाद सिविल लाइन थाना पुलिस ने शिकायतकर्ता रवि दहिया के नाम से मुकदमा जरूर दर्ज कर लिया, लेकिन उसमें पुलिस ने किसी का भी नाम नहीं लिखा.