सोनीपत: बरोदा के उपचुनाव का 10 नवंबर को जब परिणाम घोषित होगा तब प्रत्याशियों के भाग्य का तो फैसला होगा ही साथ में कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा के राजनीतिक कद का भी फैसला होगा. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बरोदा उपचुनाव की कमान अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को सौंपी है. उपचुनाव में दीपेंद्र हुड्डा अपने पिता के गढ़ को बचाने और बीजेपी सहित अन्य दलों को घेरने को रणनीति से काम कर रहे हैं.
दीपेंद्र हुड्डा 17 अक्टूबर को पार्टी के विधायकों, पूर्व विधायकों और पूर्व सांसदों की गोहाना में बैठक लेकर बरोदा चुनाव के लिए ड्यूटी लगा चुके हैं. बैठक में नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रत्येक मतदाता के घर तक भेजने की रणनीति भी तैयार की गई है. दीपेंद्र बरोदा के साथ गोहाना में रहकर बरोदा को जीतने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
बरोदा हलका पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीतिक गढ़ माना जाता है. हुड्डा के आशीर्वाद से ही यहां से श्रीकृष्ण हुड्डा लगातार तीन बार विधायक बने थे. हुड्डा धीरे-धीरे अपनी राजनीतिक विरासत को अपने बेटे राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा को सौंप रहे हैं. बरोदा उपचुनाव को लेकर कांग्रेस अपने 30 स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर चुकी है. लेकिन हुड्डा संकेत दे चुके हैं कि बरोदा का उपचुनाव दीपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.
दीपेंद्र बरोदा के चुनावी रण में कूद चुके हैं. दीपेंद्र ही रणनीति के तहत डॉ. कपूर नरवाल को कांग्रेस में शामिल करवाने में कामयाब रहे. टिकट कटने के बाद नाराज चल रहे पूर्व विधायक स्व. श्रीकृष्ण हुड्डा के बेटे जीता हुड्डा को भी मनाया जा चुका है. सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ उनके बेटे दीपेंद्र और कांग्रेस नेता पहले डॉ. नरवाल को उनके घर पहुंचे थे और उसके बाद जीता हुड्डा के कार्यालय पर बैठक ली थी. पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने दीपेंद्र को बरोदा के उपचुनाव में आगे किया है और कांग्रेस प्रत्याशी की हार-जीत से उनके राजनीतिक कद का भी फैसला होगा.
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