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पंचायत चुनाव लड़ने का जज्बा, 70 साल की उम्र में पास की दसवीं

सोनीपत में पंचायत चुनाव लड़ने के सपने को पूरा करने के लिए बरोदा गांव निवासी आजाद सिंह मोर (Azad Singh mor Sonipat) ने 70 साल की उम्र में दसवीं कक्षा पास की है. जिसमें आजाद को 76 फीसदी अंक प्राप्त हुए हैं.

Azad Singh mor Sonipat
Azad Singh mor Sonipat
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Published : Jan 16, 2022, 10:05 PM IST

सोनीपत: वो कहते हैं ना कि जब जीवन में कुछ करने का जज्बा हो या किसी चीज को पाने की चाहत हो तो उम्र कोई मायने नहीं रखती है. ऐसा ही एक मामला सोनीपत के गोहाना में देखने को मिला है. जहां पंचायत चुनाव लड़ने के सपने को पूरा करने के लिए आजाद सिंह मोर (Azad Singh mor Sonipat) ने 70 साल की उम्र में दसवीं कक्षा पास की है. जिसके बाद अब वो आने वाले पंचायत चुनाव में ताल ठोक सकेंगे. आजाद को 76 फीसदी अंक प्राप्त हुए हैं.

दरअसल हरियाणा सरकार ने सात साल पहले व्यवस्था सुधार की दिशा में पंचायत चुनाव (panchayat elections in Sonipat) में उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की थी. जिसके तहत सामान्य वर्ग के सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए दसवीं पास की योग्यता होना अनिवार्य कर दिया गया. पंचायत व्यवस्था में इस सुधार के चलते पंचायत चुनाव लड़ने वाले कई लोगों के सपने लगभग चकनाचूर हो गए थे. जिसमें आजाद सिंह मोर भी एक थे. हालांकि कुछ लोगों ने अपने बेटे, पत्नी, बेटी और पुत्रवधू को चुनावी मैदान में उतार दिया. लेकिन गांव बरोदा निवासी आजाद सिंह मोर का खुद पंचायत चुनाव लड़ने का सपना था.

ये भी पढ़ें- किसान मानधन योजना के लिए 18 जनवरी तक करा लें पंजीकरण, हर महीने मिलेंगे 3 हजार रू, सरकार भरेगी प्रीमियम

1 जनवरी 1952 में जन्में आजाद सिंह मोर उस समय केवल तीसरी कक्षा पास थे. कम पढ़े लिखे होने के चलते उनका चुनाव लड़ने का सपना पूरा नहीं हो पाया. जिसके बाद अपने सपने को पूरा करने के लिए आजाद सिंह ने बुढ़ापे में पढ़ना शुरू किया. 2021 में राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान से दसवीं कक्षा के लिए आवेदन किया. कोरोना महामारी के चलते परीक्षा नहीं हो पाई और बोर्ड ने असेसमेंट के आधार पर सभी विद्यार्थियों को पास किया. जिसके बाद अब आजाद सिंह मोर के पास मार्कशीट पहुंची है. जिसमें आजाद सिंह मोर ने 70 साल की उम्र में करीब 76 प्रतिशत अंक हासिल किए हैं.

आजाद सिंह के बेटे ने बताया कि उन्होंने परीक्षा के लिए पूरी तैयारी की थी लेकिन कोरोना महामारी के चले परीक्षा नहीं हो पाई. वहीं विजय खुद स्नातकोत्तर हैं और उनके भाई अजय स्नातक हैं और सेना में कार्यरत हैं. अपना सपना पूरा करने के साथ-साथ आजाद सिंह मोर ने उन लोगों के लिए भी मिसाल खड़ी कर दी जो उम्र का हवाला देकर अपने सपनों का गला घोंट देते हैं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में शत प्रतिशत आबादी को दोनों डोज लगाने वाला तीसरा जिला बना पंचकूला

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दरअसल हरियाणा सरकार ने सात साल पहले व्यवस्था सुधार की दिशा में पंचायत चुनाव (panchayat elections in Sonipat) में उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता निर्धारित की थी. जिसके तहत सामान्य वर्ग के सरपंच पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए दसवीं पास की योग्यता होना अनिवार्य कर दिया गया. पंचायत व्यवस्था में इस सुधार के चलते पंचायत चुनाव लड़ने वाले कई लोगों के सपने लगभग चकनाचूर हो गए थे. जिसमें आजाद सिंह मोर भी एक थे. हालांकि कुछ लोगों ने अपने बेटे, पत्नी, बेटी और पुत्रवधू को चुनावी मैदान में उतार दिया. लेकिन गांव बरोदा निवासी आजाद सिंह मोर का खुद पंचायत चुनाव लड़ने का सपना था.

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आजाद सिंह के बेटे ने बताया कि उन्होंने परीक्षा के लिए पूरी तैयारी की थी लेकिन कोरोना महामारी के चले परीक्षा नहीं हो पाई. वहीं विजय खुद स्नातकोत्तर हैं और उनके भाई अजय स्नातक हैं और सेना में कार्यरत हैं. अपना सपना पूरा करने के साथ-साथ आजाद सिंह मोर ने उन लोगों के लिए भी मिसाल खड़ी कर दी जो उम्र का हवाला देकर अपने सपनों का गला घोंट देते हैं.

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