सोनीपत: हरियाणा में हर साल हजारों टन अनाज मंडियों और वेयरहाउस में बारिश की वजह से सड़ जाता है. गेहूं के बाद 2 महीने में धान की खरीद शुरू हो जाएगी. धान की खरीद को लेकर प्रशासन की ओर से क्या तैयारियां की गई हैं? ये जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम प्रदेश के कुछ वेयरहाउस का जायजा लिया. सोनीपत के गोहाना में सरकारी अधिकारियों का दावा है कि फसल स्टॉक के लिए पर्याप्त जगह है.
गोहाना मार्केट सचिव परमजीत नांदल ने कहा कि अक्टूबर महीने से धान और बाजरे की खरीद होनी है. जिसको लेकर उनकी ओर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. किसान की सुविधा के लिए मंडी आने वाले सड़कें ठीक कराई जा रही हैं और मंडी में पीने के लिए आरओ, वाटर कूलर लगवाए गए हैं. किसान के रात्रि ठहराव के लिए किसान भवन बनाया गया है और अब किसान खाना खाने के लिए कैंटीन शुरू की जाएगी. जिसमें 10 रुपये में किसानों को खाना मिलेगा.
गोहाना में धान स्टॉक की तैयारी
अगर स्टॉक की बात करें तो हरियाणा में 108 वेयर हाउस हैं. जिनकी औसत क्षमता 19 लाख मीट्रिक टन है. साल 2019 में 74.92 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की आवक हुई. जिसमें से सरकारी खरीद एजेंसियों ने 64.34 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा, बाकी प्राईवेट ने. धान मिलरों में जाने के बाद करीब 70 प्रतिशत चावल और 30 प्रतिशत भूसा बनता है. जिसके बाद सरकार के पास करीब 43 लाख मीट्रिक टन चावल बचा. जिसमें से सरकार करीब 19 लाख टन स्टोर किया. जिसमें से गोहाना खाद्यान्न विभाग के वेयरहाउस में इस समय करीब 87 हजार क्विंटल चावल का स्टॉक है. बाकी का सेट्रल पूल के जरिए देश के अन्य राज्य और अरब कंट्री में एक्सपोर्ट कर दिया. हरियाणा से सबसे ज्यादा चावल का निर्यात सऊदी अरब, इरान, ईराक, कुवैत, ऑस्ट्रेलिया, दुबई, कनाडा आदि देशों में निर्यात होता है.
भारतीय खाद्य निगम के प्रबंधक डीके सिंह नंदियाल का कहना है कि 1 अक्टूबर से खरीफ की फसल की खरीद शुरू हो जाती है. इससे पहले वेयरहाउस के अंदर बने गोदामों में पहले ही खाली जगह कर ली जाती है. फिलहाल हमारे पास चावल का स्टॉक है. हमारे पास चावल रखने रखने की जगह काफी है. अगर फिर भी ज्यादा चावल एफसीआई के पास आता है, तो रखने के लिए दो गोदाम, डिपो और एफसीआई के पीजी हैं. साथ ही उनके पास किराए पर एफसीआई की जगह, जिसमें चावल रखने की जगह बनाई जा सकती है.
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वेयरहाउस में लगा है पुराना स्टॉक
जिस देश में हर साल सैकड़ों लोग भूख से मर जाएं और हर साल हजारों टन अनाज सड़ जाता हो. वहां अधिकारियों के दावों पर भरोसा करना आसान नहीं है. क्योंकि ये दावे कई बार पानी में बहते दिखाई दिए हैं. अब अधिकारी खरीफ की फसल खरीद को लेकर तमाम दावे तो कर रहे हैं, लेकिन किस प्रकार से और कितनी खरीद हो पाएगी ये कहना मुश्किल है. क्योंकि वेयरहाउस में अभी भी पुराना ही स्टॉक लगा हुआ है. साथ ही मंडियों में भी बने शेडों में अभी पुराने माल के ढेर लगे हुए हैं.