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हरियाणा और पाकिस्तान से जुड़ा है एटलस साइकिल का इतिहास, 1951 में ऐसे हुई थी शुरूआत

देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनियों में शुमार एटलस साइकिल का आखिरी प्लांट भी बंद हो गया. क्या है एटलस साइकिल का एतिहास जानें इस रिपोर्ट में.

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Published : Jun 7, 2020, 10:52 PM IST

Updated : Jun 8, 2020, 11:20 AM IST

All Atlas Cycle plants closed know the history of the company
एटलस साइकिल का इतिहास

सोनीपत: देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी में से एक एटलस के सभी प्लांट बंद हो गए हैं. विश्व साइकिल दिवस पर गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित एटलस का आखिरी कारखाना भी बंद कर दिया गया. जिससे कंपनी में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

एटलस साइकिल के सभी प्लांट बंद, जानें कंपनी का इतिहास

कैसे शुरू हुई थी एटलस कंपनी?

  • जानकी दास कपूर ने बंटवारे के वक्त कराची से सोनीपत आकर 1951 में एटलस साइकिल की नींव डाली थी
  • 1952 में एटलस ने पहली साइकिल का उत्पादन किया था
  • रोजाना 120 साइकिलें बनाकर मामूली शुरुआत की थी
  • बाद में 1 दिन में 12000 साइकिल तक बननी शुरू हो गई
  • 25 एकड़ में फैला है सोनीपत प्लांट
  • 24 प्रकार की साइकिल यहां बनाई जाती थी
  • जिसमें 20 रेंजर साइकिल अलग-अलग डिजाइन में तैयार होती थी
  • 4 सिंपल साइकिल अलग-अलग डिजाइन में तैयार की जाती थी
  • सोनीपत, गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद और गुजरात के मालनपुर में कंपनी के प्लांट थे
  • एटलस कंपनी साइकिलों का निर्यात म्यामांर और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में किया करती थी

जानकी दास कपूर थे संस्थापक

एटलस कंपनी के संस्थापक जानकी दास कपूर थे. उन्होंने 1951 में सोनीपत में एटलस साइकिल हरियाणा कंपनी की नींव डाली थी. एक दिन में 120 साइकिल बनाने से शुरू हुआ काम बाद में एक दिन में 12000 साइकिल बनने तक जा पहुंचा. यहां तीन शिफ्टों में काम होता था और करीब 7000 कर्मचारी काम करते थे.

1967 में जानकी दास नहीं रहे, बेटों ने संभाला काम

जनवरी 1967 में जानकी दास कपूर के देहांत के बाद उनके तीनों बेटों ने साइकिल कंपनी को आगे बढ़ाने का काम किया.

  • सोनीपत का प्लांट सबसे बड़े बेटे बिशंबर दास कपूर ने संभाल लिया.
  • साहिबाबाद का प्लांट बेटे जयदेव ने संभाल लिया.
  • मालनपुर गुजरात वाला प्लांट छोटे बेटे जगदीश कपूर ने संभाला.
  • बाद में तीनों बेटों की अलग-अलग संतानों ने सभी प्लांटों को संभालना शुरू कर दिया

बेटों में हुआ विवाद!

बताया जाता है कि साल 2000 के बाद में अचल प्रॉपर्टी को लेकर तीनों भाइयों और उनके बेटों में विवाद शुरू हो गया. जिसके बाद एटलस साइकिल कंपनी में नुकसान होना शुरू हो गया. सोनीपत प्लांट में फरवरी 2020 में बचे 300 कर्मचारियों की भी छंटनी कर दी गई. जिसके बाद ये प्लांट हो गया. वहीं विश्व साइकिल दिवस पर एटलस साइकिल ने गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित अपने आखिरी कारखाने को भी बंद करने का ऐलान कर दिया.

क्या बोले कर्मचारी?

एटलस के पूर्व कर्मचारी सुरेश ने बताया कि 1988 को मैं एटलस कंपनी में काम करने के लिए आया था. यहां पर 20 प्रकार की रेंजर साइकिल बनती थी. लगभग 7000 कर्मचारी काम करते थे. कंपनी ने नुकसान होने के कारण कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया. जनवरी 2020 तक 300 कर्मचारी रह गए थे वो भी निकाल दिए गए.

एटलस के पूर्व कर्मचारी बाबूलाल ने बताया कि मालिकों के आपसी विवाद के कारण फैक्ट्री में काम करने वाले 7000 कर्मचारियों की छुट्टी करनी पड़ी. पिछले साल तक यहां पर साइकिल के फ्रेम और साइकिल बनाई जाती थी लेकिन मालिक ने सभी कर्मचारियों की छुट्टी कर दी.

ये भी पढें- भिवानी में 7 नए मरीज मिले कोरोना पॉजिटिव, 57 हुई एक्टिव केसों की संख्या

सोनीपत: देश की सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी में से एक एटलस के सभी प्लांट बंद हो गए हैं. विश्व साइकिल दिवस पर गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित एटलस का आखिरी कारखाना भी बंद कर दिया गया. जिससे कंपनी में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

एटलस साइकिल के सभी प्लांट बंद, जानें कंपनी का इतिहास

कैसे शुरू हुई थी एटलस कंपनी?

  • जानकी दास कपूर ने बंटवारे के वक्त कराची से सोनीपत आकर 1951 में एटलस साइकिल की नींव डाली थी
  • 1952 में एटलस ने पहली साइकिल का उत्पादन किया था
  • रोजाना 120 साइकिलें बनाकर मामूली शुरुआत की थी
  • बाद में 1 दिन में 12000 साइकिल तक बननी शुरू हो गई
  • 25 एकड़ में फैला है सोनीपत प्लांट
  • 24 प्रकार की साइकिल यहां बनाई जाती थी
  • जिसमें 20 रेंजर साइकिल अलग-अलग डिजाइन में तैयार होती थी
  • 4 सिंपल साइकिल अलग-अलग डिजाइन में तैयार की जाती थी
  • सोनीपत, गुरुग्राम, उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद और गुजरात के मालनपुर में कंपनी के प्लांट थे
  • एटलस कंपनी साइकिलों का निर्यात म्यामांर और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में किया करती थी

जानकी दास कपूर थे संस्थापक

एटलस कंपनी के संस्थापक जानकी दास कपूर थे. उन्होंने 1951 में सोनीपत में एटलस साइकिल हरियाणा कंपनी की नींव डाली थी. एक दिन में 120 साइकिल बनाने से शुरू हुआ काम बाद में एक दिन में 12000 साइकिल बनने तक जा पहुंचा. यहां तीन शिफ्टों में काम होता था और करीब 7000 कर्मचारी काम करते थे.

1967 में जानकी दास नहीं रहे, बेटों ने संभाला काम

जनवरी 1967 में जानकी दास कपूर के देहांत के बाद उनके तीनों बेटों ने साइकिल कंपनी को आगे बढ़ाने का काम किया.

  • सोनीपत का प्लांट सबसे बड़े बेटे बिशंबर दास कपूर ने संभाल लिया.
  • साहिबाबाद का प्लांट बेटे जयदेव ने संभाल लिया.
  • मालनपुर गुजरात वाला प्लांट छोटे बेटे जगदीश कपूर ने संभाला.
  • बाद में तीनों बेटों की अलग-अलग संतानों ने सभी प्लांटों को संभालना शुरू कर दिया

बेटों में हुआ विवाद!

बताया जाता है कि साल 2000 के बाद में अचल प्रॉपर्टी को लेकर तीनों भाइयों और उनके बेटों में विवाद शुरू हो गया. जिसके बाद एटलस साइकिल कंपनी में नुकसान होना शुरू हो गया. सोनीपत प्लांट में फरवरी 2020 में बचे 300 कर्मचारियों की भी छंटनी कर दी गई. जिसके बाद ये प्लांट हो गया. वहीं विश्व साइकिल दिवस पर एटलस साइकिल ने गाजियाबाद के साहिबाबाद स्थित अपने आखिरी कारखाने को भी बंद करने का ऐलान कर दिया.

क्या बोले कर्मचारी?

एटलस के पूर्व कर्मचारी सुरेश ने बताया कि 1988 को मैं एटलस कंपनी में काम करने के लिए आया था. यहां पर 20 प्रकार की रेंजर साइकिल बनती थी. लगभग 7000 कर्मचारी काम करते थे. कंपनी ने नुकसान होने के कारण कर्मचारियों को हटाना शुरू कर दिया. जनवरी 2020 तक 300 कर्मचारी रह गए थे वो भी निकाल दिए गए.

एटलस के पूर्व कर्मचारी बाबूलाल ने बताया कि मालिकों के आपसी विवाद के कारण फैक्ट्री में काम करने वाले 7000 कर्मचारियों की छुट्टी करनी पड़ी. पिछले साल तक यहां पर साइकिल के फ्रेम और साइकिल बनाई जाती थी लेकिन मालिक ने सभी कर्मचारियों की छुट्टी कर दी.

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Last Updated : Jun 8, 2020, 11:20 AM IST
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