सिरसा: पिछले दिनों सिरसा के चैपटा क्षेत्र में नहरों की टेल तक पानी पहुंचाने के लिए किसानों ने धरना दिया था. इस धरने में महिलाओं ने भी अच्छी खासी भूमिका निभाई थी. धरने की समयावधि बढ़ती देख सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया और उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दे उनका धरना समाप्त करवा दिया. लेकिन क्या सरकार सच में सभी नहरों की टेल पर पूरा पानी देने का वायदा पूरा करने वाली है.
इस बारे में जानने के लिए हम सबसे पहले पहुंचे मम्मड नथोर माइनर पर. यहां देखा तो माइनर में पानी लेवल से बहुत नीचे चल रहा था. मीटर के अनुसार माइनर में पानी 45 गेज होना चाहिए था लेकिन पानी महज 5 से 8 गेज तक ही चल रहा था. किसानों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह इतना पानी भी पहली बार आया है इससे पहले कभी इतना पानी भी नहीं आता था.
सिरसा में टेल तक नहीं पहुंच रहा नहर का पानी, ऐसे में कैसे सिचाईं करे किसान?
सिरसा में नहरों का पानी टेल तक ना पहुंचने के कारण किसान सरकार से खफा हैं. भले ही सरकार टेल तक पानी पहुंचाने के लाख दावे कर रही हो मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
सिरसा: पिछले दिनों सिरसा के चैपटा क्षेत्र में नहरों की टेल तक पानी पहुंचाने के लिए किसानों ने धरना दिया था. इस धरने में महिलाओं ने भी अच्छी खासी भूमिका निभाई थी. धरने की समयावधि बढ़ती देख सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया और उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दे उनका धरना समाप्त करवा दिया. लेकिन क्या सरकार सच में सभी नहरों की टेल पर पूरा पानी देने का वायदा पूरा करने वाली है.
इस बारे में जानने के लिए हम सबसे पहले पहुंचे मम्मड नथोर माइनर पर. यहां देखा तो माइनर में पानी लेवल से बहुत नीचे चल रहा था. मीटर के अनुसार माइनर में पानी 45 गेज होना चाहिए था लेकिन पानी महज 5 से 8 गेज तक ही चल रहा था. किसानों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह इतना पानी भी पहली बार आया है इससे पहले कभी इतना पानी भी नहीं आता था.
सिरसा में टेल तक पहुंच रहा पानी, ऐसे में कैसे सिचाईं करे किसान?
सिरसा में नहरों का पानी टेल तक ना पहुंचने के कारण किसान सरकार से खफा हैं. भले ही सरकार टेल तक पानी पहुंचाने के लाख दावे कर रही हो मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है.
सिरसा: पिछले दिनों सिरसा के चैपटा क्षेत्र में नहरों की टेल तक पानी पहुंचाने के लिए किसानों ने धरना दिया था. इस धरने में महिलाओं ने भी अच्छी खासी भूमिका निभाई थी. धरने की समयावधि बढ़ती देख सरकार ने किसानों को बातचीत के लिए बुलाया और उनकी समस्या का समाधान करने का आश्वासन दे उनका धरना समाप्त करवा दिया. लेकिन क्या सरकार सच में सभी नहरों की टेल पर पूरा पानी देने का वायदा पूरा करने वाली है.
इस बारे में जानने के लिए हम सबसे पहले पहुंचे मम्मड नथोर माइनर पर. यहां देखा तो माइनर में पानी लेवल से बहुत नीचे चल रहा था. मीटर के अनुसार माइनर में पानी 45 गेज होना चाहिए था लेकिन पानी महज 5 से 8 गेज तक ही चल रहा था. किसानों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह इतना पानी भी पहली बार आया है इससे पहले कभी इतना पानी भी नहीं आता था.
मम्मड ब्रांच से नथोर, मम्मड कालुआना जैसे करीब आधा दर्जन गांवों के खेतों की सिंचाई होती है. यहां की टेल पर जाकर देखा तो पानी यहां भी बहुत कम पहुंच रहा था. सैंकडों एकड भूमि की सिंचाई करने वाली नहर की टेल पर पानी का लेवल 1.6 गेज था. यहां के भी किसानों का कहना था कि उन्होंने भी इतना पानी इस गर्मी के महीने में पहली बार देखा है. इसका कारण ये बताते हैं कि नहर की सफाई हाल ही में हुई है तो यहां पानी का लेवल इतना है.
वहीं जंडवाला माइनर पर 2 टेल बनी हुई थी एक टेल से कालुआना, गंगा गांवों के खेतों की सिंचाई होती है तो दूसरी टेल से जंडवाला, बिश्नोईयां और गंगा गांव के खेतों की सिंचाई होती है. यहां पानी का लेवल जांचा तो करीब 2 फीट तक पानी होना चाहिए था जो मीटर नहर में लगा हुआ था लेकिन पानी लगभग आधा फीट तक ही पहुंचा हुआ था. ऐसे में किसानों ने सरकार से मांग की है कि नहर का लेवल सही किया जाए और जल माफियाओं से होने वाली पानी की चोरी को रोका जाए ताकि किसानों को उनका पानी मिल सके.
प्रत्येक नहर में टेल तक पानी पहुंचाने का दावा करने वाली हरियाणा सरकार अभी सिरसा जिले के की टेलों तक पूरा पानी पहुंचाने में असफल रही है. नहरों की टेलों तक पानी पीने के लिए भी नहीं पहुंच पाता सिंचाई के लिए पानी पहुंचना तो दूर की बात है. अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार हर टेल तक पानी पहुंचाने में सफल होती है या नहीं.
Conclusion: