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लॉकडाउन में पैसोंं की तंगी हुई तो तीन महिलाओं ने खड़ी कर दी अपनी कंपनी, अब इतनी कर रही है कमाई

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Published : Apr 18, 2021, 5:04 PM IST

हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से मोहमदपुरिया गांव की तीन महिलाओं ने आत्मनिर्भर बनकर अन्य महिलाओं ने के मिसाल पेश की है. इन महिलाओं ने गांव में एक चप्पल फैक्टरी खोल

sirsa Swadeshi chappal factory
सिरसा की तीन महिलाओं ने खोली स्वदेशी चप्पल फैक्ट्री

सिरसा: कोरोना काल ने जहां एक तरफ ज्यादातर लोगों के रोजगार छीन लिए और आर्थिक संकट खड़ा कर दिया तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने इस चुनौती का सामना करते हुए रोजगार के नए अवसर पैदा किए.

ऐसा ही उदाहरण पेश किया है सिरसा जिले के गांव मोहमदपुरिया की रहने वाली 3 महिलाओं ने जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान स्वंय सहायता समूह बनाकर खुद का रोजगार शुरु कर दिया. इन महिलाओं ने गांव में चप्पल बनाने के लिए एक लघु उद्योग स्थापित किया है.

सिरसा की तीन महिलाओं ने खोली स्वदेशी चप्पल फैक्ट्री

सरकार से डेढ़ लाख का ऋण लेकर किया काम शुरू

हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांव की निर्मला देवी, तारा देवी और संजू रानी ने मिलकर सरकार से डेढ़ लाख का ऋण लेकर गांव में ही चप्पल बनाने की फैक्ट्री शुरू की है. ये महिलाएं पहले दिल्ली से कच्चा माल मंगवाती हैं और फिर बाद में चप्पल की कटिंग से लेकर चप्पल बनाने का काम खुद करती हैं.

ये भी पढ़ें: कहानी सशक्त नारी की: पति ने की बॉर्डर की पहरेदारी, पत्नी ने खेतों की रक्षा के लिए उठा ली बंदूक

और ऐसा नहीं है कि ये महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है, संजू रानी बताती है उन्होंने एम.कोम की हुई है और उन्होंने अपनी दो साथी महिलाओं के साथ गांव मोहमदपुरिया में स्वदेशी चप्पल फैक्ट्री नाम से हमने एक लघु उद्योग स्थापित की है. उन्होंने बताया कि चप्पल बनाने के बाद उन्हीं के परिवार के व्यक्ति गांव-गांव जाकर चप्पल के लिए ऑर्डर लेते हैं और गांव की दुकानों पर सप्लाई की जाती है.

ये भी पढ़ें: ऐसा देश है मेरा: हरियाणा में है 1 इंच की नायाब कुरान, 40 साल से अपने सीने से लगाए है ये हिंदू परिवार

वहीं तारो देवी और निर्मला देवी ने बताया कि उन्होंने हिसार के गांव जाखोड़ से ट्रैनिंग ली,और सरकार से लोन करवाया फिर 1 अप्रैल से ही इस फैक्ट्री को शुरू किया है. उन्होंने बताया कि फिलहाल उनका काम बहुत अच्छा चल रहा है और आमदनी भी अच्छी हो रही है.

ये भी पढ़ें: बच्चों का पेट पालने के लिए श्मशान में शवों के संस्कार का काम करती हैं रेणू रानी

महिलाओं ने कहा कि इससे पहले वो घर का काम संभालने के बाद बिल्कुल फ्री रहती थी लेकिन अब काम शुरू होने के बाद उनकी आमदनी भी हो रही है. आपको बता दें कि इन महिलाओं को हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 2 दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया है.

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ऐसा ही उदाहरण पेश किया है सिरसा जिले के गांव मोहमदपुरिया की रहने वाली 3 महिलाओं ने जिन्होंने लॉकडाउन के दौरान स्वंय सहायता समूह बनाकर खुद का रोजगार शुरु कर दिया. इन महिलाओं ने गांव में चप्पल बनाने के लिए एक लघु उद्योग स्थापित किया है.

सिरसा की तीन महिलाओं ने खोली स्वदेशी चप्पल फैक्ट्री

सरकार से डेढ़ लाख का ऋण लेकर किया काम शुरू

हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गांव की निर्मला देवी, तारा देवी और संजू रानी ने मिलकर सरकार से डेढ़ लाख का ऋण लेकर गांव में ही चप्पल बनाने की फैक्ट्री शुरू की है. ये महिलाएं पहले दिल्ली से कच्चा माल मंगवाती हैं और फिर बाद में चप्पल की कटिंग से लेकर चप्पल बनाने का काम खुद करती हैं.

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और ऐसा नहीं है कि ये महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है, संजू रानी बताती है उन्होंने एम.कोम की हुई है और उन्होंने अपनी दो साथी महिलाओं के साथ गांव मोहमदपुरिया में स्वदेशी चप्पल फैक्ट्री नाम से हमने एक लघु उद्योग स्थापित की है. उन्होंने बताया कि चप्पल बनाने के बाद उन्हीं के परिवार के व्यक्ति गांव-गांव जाकर चप्पल के लिए ऑर्डर लेते हैं और गांव की दुकानों पर सप्लाई की जाती है.

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वहीं तारो देवी और निर्मला देवी ने बताया कि उन्होंने हिसार के गांव जाखोड़ से ट्रैनिंग ली,और सरकार से लोन करवाया फिर 1 अप्रैल से ही इस फैक्ट्री को शुरू किया है. उन्होंने बताया कि फिलहाल उनका काम बहुत अच्छा चल रहा है और आमदनी भी अच्छी हो रही है.

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महिलाओं ने कहा कि इससे पहले वो घर का काम संभालने के बाद बिल्कुल फ्री रहती थी लेकिन अब काम शुरू होने के बाद उनकी आमदनी भी हो रही है. आपको बता दें कि इन महिलाओं को हरियाणा ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 2 दिन का प्रशिक्षण भी दिया गया है.

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