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हरियाणा: डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर हमला करने के आरोप में 100 से ज्यादा किसानों पर देशद्रोह का केस

सिरसा में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा (Deputy Speaker Ranbir Gangwa) की गाड़ी पर हमला करने के मामले में करीब 100 किसानों पर देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिया गया है. इस मामले में करीब पांच किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

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डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर हमला करने के आरोप में 100 से ज्यादा किसानों पर देशद्रोह का केस
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Published : Jul 15, 2021, 4:10 PM IST

सिरसा: हरियाणा के सिरसा जिले में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा (Deputy Speaker Ranbir Gangwa Car Attack) की गाड़ी पर हमला करने के मामले में दो नामजद और करीब सौ किसानों ने देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिया गया है. वहीं इस मामले में पांच किसानों को वीडियोग्राफी के आधार पर गिरफ्तारी कर चुकी है.

किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज होने और किसानों नेताओं की गिरफ्तारी के बाद जिले के किसान प्रदर्शन पर उतर आए हैं. गुरुवार को भी किसानों ने सिरसा शहर के भुमण शाह चौक पर इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन किया, लेकिन इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई.

बता दें कि, रविवार को सिरसा में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय (Chaudhary Devi Lal University) में भाजपा का कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा सहित अन्य नेता शरीक हुए. वहीं कार्यक्रम के बाद जब डिप्टी स्पीकर और अन्य नेता वापस लौट रहे थे तो किसानों ने उनका काफिला रोक लिया और पथराव शुरू कर दिया. इस दौरान किसानों ने डिप्टी स्पीकर की गाड़ी के शीशे तोड़ दिए व पुलिस पर भी पथराव किया.

ये पढ़ें- डिप्टी स्पीकर की गाड़ी पर हमला मामला: किसानों और पुलिस में झड़प, साथी किसानों को रिहा करने के लिए कर रहे थे प्रदर्शन

किसी तरह पुलिस ने डिप्टी स्पीकर के काफिले को किसानों के विरोध के बीच वहां निकलवाया. इससे पहले रविवार को ही किसानों ने चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय में ही सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल (Sunita Duggal) और जिलाध्यक्ष आदित्य देवी लाल का भी विरोध किया था. कुछ किसान काले झंडे लेकर और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यूनिवर्सिटी में भी घुस गए थे, लेकिन वहां मौजूद पुलिस ने किसानों को हिरासत में ले लिया था.

ये भी पढ़ें- उग्र हुए किसान: हरियाणा में डिप्टी स्पीकर की गाड़ी के तोड़े शीशे, पुलिस पर भी किया पथराव

आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने आजादी के 75 साल बाद भी देशद्रोह कानून होने की उपयोगिता पर केंद्र से सवाल किया. अदालत ने सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों पर पुलिस द्वारा राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, यह महात्मा गांधी, तिलक को चुप कराने के लिए अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किया गया एक औपनिवेशिक कानून है. फिर भी, आजादी के 75 साल बाद भी यह जरूरी है?

पूरी खबर पढ़ें- आजादी के 75 साल बाद भी राजद्रोह कानून की जरूरत क्यों : सुप्रीम कोर्ट

सिरसा: हरियाणा के सिरसा जिले में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा (Deputy Speaker Ranbir Gangwa Car Attack) की गाड़ी पर हमला करने के मामले में दो नामजद और करीब सौ किसानों ने देशद्रोह का मामला दर्ज कर दिया गया है. वहीं इस मामले में पांच किसानों को वीडियोग्राफी के आधार पर गिरफ्तारी कर चुकी है.

किसानों पर राजद्रोह का मामला दर्ज होने और किसानों नेताओं की गिरफ्तारी के बाद जिले के किसान प्रदर्शन पर उतर आए हैं. गुरुवार को भी किसानों ने सिरसा शहर के भुमण शाह चौक पर इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन किया, लेकिन इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच झड़प हो गई.

बता दें कि, रविवार को सिरसा में चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय (Chaudhary Devi Lal University) में भाजपा का कार्यक्रम था. इस कार्यक्रम में डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा सहित अन्य नेता शरीक हुए. वहीं कार्यक्रम के बाद जब डिप्टी स्पीकर और अन्य नेता वापस लौट रहे थे तो किसानों ने उनका काफिला रोक लिया और पथराव शुरू कर दिया. इस दौरान किसानों ने डिप्टी स्पीकर की गाड़ी के शीशे तोड़ दिए व पुलिस पर भी पथराव किया.

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किसी तरह पुलिस ने डिप्टी स्पीकर के काफिले को किसानों के विरोध के बीच वहां निकलवाया. इससे पहले रविवार को ही किसानों ने चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय में ही सिरसा से सांसद सुनीता दुग्गल (Sunita Duggal) और जिलाध्यक्ष आदित्य देवी लाल का भी विरोध किया था. कुछ किसान काले झंडे लेकर और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यूनिवर्सिटी में भी घुस गए थे, लेकिन वहां मौजूद पुलिस ने किसानों को हिरासत में ले लिया था.

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आपको बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट ने आजादी के 75 साल बाद भी देशद्रोह कानून होने की उपयोगिता पर केंद्र से सवाल किया. अदालत ने सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों पर पुलिस द्वारा राजद्रोह कानून का दुरुपयोग किए जाने पर भी चिंता व्यक्त की. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, यह महात्मा गांधी, तिलक को चुप कराने के लिए अंग्रेजों द्वारा इस्तेमाल किया गया एक औपनिवेशिक कानून है. फिर भी, आजादी के 75 साल बाद भी यह जरूरी है?

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