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घर के साथ साथ खेती में भी अव्वल, कम खर्च में खेती करने वाली मंजू अन्य महिला किसानों के लिए बनी प्रेरणा

सिरसा की महिला किसान मंजू बाला ने कम खर्चे में (Manju doing low cost farming) सरसों की खेती को बढ़ावा देने का काम किया है. मंजू सिरसा में कई महिला किसानों को खेती करने की ट्रेनिंग भी दे रही हैं और उन्हें खेती करने के लिये प्रेरित भी कर रही हैं.

Manju doing low cost farming
सिरसा की महिला किसान मंजू बाला
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Published : Feb 1, 2023, 10:09 PM IST

कम खर्च में सरसों की खेती कर किसानों के लिए बनीं मिसाल

सिरसा: हरियाणा में सिरसा की महिला किसान मंजू बाला इन दिनों कम ख़र्चे पर सरसों की खेती कर रही हैं. महिला किसान मंजू बाला सिरसा के गांव बेगूं की रहने वाली हैं. मंजू बाला ने अपने खेत में ही जैविक पद्ति की केंचुआ खाद तैयार की और अपनी फसल में उस खाद का प्रयोग किया. मंजू द्वारा केंचुआ खाद का प्रयोग करने के बाद उनकी सरसों की फसल लहरा रही है. मंजू की इस नई वैज्ञानिक पद्धति से सरसों की फसल की पैदावार अच्छी हुई है.

मंजू के ससुर राजा राम ने उसको खेती करने की प्रेरणा दी, जिसके बाद मंजू अपने ससुर से ज्यादा कामयाब किसान के तौर पर उभर कर सामने आई है. मंजू ने दूसरी महिलाओं को भी खेती करने की प्रेरणा दी है. मंजू की मेहनत के आगे कृषि विभाग के अधिकारी भी मुरीद हो गए हैं. महिला किसान मंजू बाला ने बताया कि 6 एकड़ में उनका परिवार खेती करता है. मंजू पिछले 5 सालों से खेती कर रही है. मंजू ने बताया कि उसके ससुर राजा राम ने ही उसको खेती करने के लिए प्रेरणा दी. मंजू ने बताया कि केंचुआ खाद वे अपने खेत में ही तैयार करती है और इस खाद से उनकी फसल को दूसरी खाद से ज्यादा अच्छी पैदावार होती है.

Manju doing low cost farming
सिरसा की महिला किसान मंजू बाला.

राजा राम ने बताया कि अपनी खेती में गोबर खाद डालनी शुरू की थी ,जो की महंगी थी और उसमे पैदावर कम थी. उन्होंने कहा कि फसलों की अवशेष को ही अपने सिस्टम के माध्यम से इसको बदला गया. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषित होता है, लेकिन उन्होंने धान जलाने की बजाए इसको खेती में प्रयोग किया है. उन्होंने कहा कि यूरिया और डीएपी की खाद महंगी थी और उससे फसलों की पैदावार भी कम थी.

इसलिए उनको कृषि विभाग के अधिकारियों ने जागरूक किया. उन्होंने कहा कि बाजार में मिलने वाली खाद को खरीदना उन्होंने ख़त्म कर दिया और उनकी खेत में तैयार की गई खाद से उनकी फसल को फायदा मिला है. उन्होंने कहा कि उनकी बहु मंजू बाला कम पढ़ी लिखी हैं, लेकिन उनको उम्मीद है कि उनकी खेती को उनकी बहु ही बेहतर ढंग से संभाल पाएगी.

ये भी पढ़ें: वैज्ञानिकों ने खोजी टमाटर, बैंगन और शिमला मिर्च की नई किस्म, चार गुना पैदावार

वहीं, कृषि विभाग के उपनिदेशक बाबू लाल ने भी इस महिला की मेहनत को देखकर मंजू बाला की सराहना की. उन्होंने कहा कि मंजू बाला की तरह सिरसा के अनेक गांवों की महिलाओं को प्रेरित किया गया है. साथ ही जैविक खेती करने के लिये केंचुआ खाद भी मंजू खुद तैयार करती है. उसने अभी तक खेती से काफी अच्छी कमाई भी की है. मंजू और महिला किसानों को भी खेती करने की ट्रेनिंग देती है.

ये भी पढ़ें: भिवानी में अर्ध शुष्क बागवानी उत्कृष्टता केंद्र का उद्घाटन, हर साल 50 लाख पौध की जाएगी तैयार

कम खर्च में सरसों की खेती कर किसानों के लिए बनीं मिसाल

सिरसा: हरियाणा में सिरसा की महिला किसान मंजू बाला इन दिनों कम ख़र्चे पर सरसों की खेती कर रही हैं. महिला किसान मंजू बाला सिरसा के गांव बेगूं की रहने वाली हैं. मंजू बाला ने अपने खेत में ही जैविक पद्ति की केंचुआ खाद तैयार की और अपनी फसल में उस खाद का प्रयोग किया. मंजू द्वारा केंचुआ खाद का प्रयोग करने के बाद उनकी सरसों की फसल लहरा रही है. मंजू की इस नई वैज्ञानिक पद्धति से सरसों की फसल की पैदावार अच्छी हुई है.

मंजू के ससुर राजा राम ने उसको खेती करने की प्रेरणा दी, जिसके बाद मंजू अपने ससुर से ज्यादा कामयाब किसान के तौर पर उभर कर सामने आई है. मंजू ने दूसरी महिलाओं को भी खेती करने की प्रेरणा दी है. मंजू की मेहनत के आगे कृषि विभाग के अधिकारी भी मुरीद हो गए हैं. महिला किसान मंजू बाला ने बताया कि 6 एकड़ में उनका परिवार खेती करता है. मंजू पिछले 5 सालों से खेती कर रही है. मंजू ने बताया कि उसके ससुर राजा राम ने ही उसको खेती करने के लिए प्रेरणा दी. मंजू ने बताया कि केंचुआ खाद वे अपने खेत में ही तैयार करती है और इस खाद से उनकी फसल को दूसरी खाद से ज्यादा अच्छी पैदावार होती है.

Manju doing low cost farming
सिरसा की महिला किसान मंजू बाला.

राजा राम ने बताया कि अपनी खेती में गोबर खाद डालनी शुरू की थी ,जो की महंगी थी और उसमे पैदावर कम थी. उन्होंने कहा कि फसलों की अवशेष को ही अपने सिस्टम के माध्यम से इसको बदला गया. उन्होंने कहा कि पराली जलाने से वायु प्रदूषित होता है, लेकिन उन्होंने धान जलाने की बजाए इसको खेती में प्रयोग किया है. उन्होंने कहा कि यूरिया और डीएपी की खाद महंगी थी और उससे फसलों की पैदावार भी कम थी.

इसलिए उनको कृषि विभाग के अधिकारियों ने जागरूक किया. उन्होंने कहा कि बाजार में मिलने वाली खाद को खरीदना उन्होंने ख़त्म कर दिया और उनकी खेत में तैयार की गई खाद से उनकी फसल को फायदा मिला है. उन्होंने कहा कि उनकी बहु मंजू बाला कम पढ़ी लिखी हैं, लेकिन उनको उम्मीद है कि उनकी खेती को उनकी बहु ही बेहतर ढंग से संभाल पाएगी.

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वहीं, कृषि विभाग के उपनिदेशक बाबू लाल ने भी इस महिला की मेहनत को देखकर मंजू बाला की सराहना की. उन्होंने कहा कि मंजू बाला की तरह सिरसा के अनेक गांवों की महिलाओं को प्रेरित किया गया है. साथ ही जैविक खेती करने के लिये केंचुआ खाद भी मंजू खुद तैयार करती है. उसने अभी तक खेती से काफी अच्छी कमाई भी की है. मंजू और महिला किसानों को भी खेती करने की ट्रेनिंग देती है.

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