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सिरसा: श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नगर कीर्तन का आयोजन

सिरसा में सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया. दसवीं पातशाही श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नगर कीर्तन का आयोजन किया गया.

guru govind singh birth anniversary nagar kirtan in sirsa
नगर कीर्तन
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Published : Jan 4, 2020, 11:52 PM IST

सिरसा: जिले में सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया. दसवीं पातशाही श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नगर कीर्तन का आयोजन किया गया.

नगर किर्तन का आयोजन

इस नगर कीर्तन की शुरुआत दशमी पातशाही गुरुद्वारा से हुई. नगर कीर्तन शहर के विभिन बाज़ारो से होता हुआ गुजरा. ये नगर किर्तन शाम को गुरुद्वारा साहिब में पहुंचा. इस नगर कीर्तन की अगुवाई पंज प्यारे कर रहे थे. इस नगर कीर्तन में गतका पार्टी ने भी अपने जोहर दिखाए. नगर कीर्तन का हिस्सा बने श्रद्धालूओं का कहना है की आज संगतो में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है. सुबह से ही शहर के अलग अलग चोको पर नगर कीर्तन का स्वागत हो रहा है.

सिरसा में नगर कीर्तन का आयोजन, देखें वीडियो

श्री गुरु गोबिंद सिंह

आमजन श्री ग्रन्थ साहिब के आगे नतमस्तक होते दिखे रहे. गुरु गोबिंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे. उनका जन्म 26 दिसम्बर 1666 को श्री पटना साहिब में हुआ था. उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद 11 नवम्बर सन् 1675 को वे गुरू बने.

वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे. सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया और उन्हें गुरु के रुप में सुशोभित किया. बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है. औरंगजेब की मृत्यु के बाद गुरू गोबिन्द सिंह ने बहादुरशाह को बादशाह बनाने में मदद की.

गुरुजी और बहादुरशाह के संबंध अत्यंत मधुर थे. इन संबंधों को देखकर सरहद का नवाब वजीत खाँ घबरा गया. इसलिए उसने दो पठान गुरुजी के पीछे लगा दिए. इन पठानों ने गुरुजी पर धोखे से घातक वार किया, जिससे 7 अक्टूबर 1708 में गुरुजी (गुरु गोबिन्द सिंह जी) नांदेड साहिब में दिव्य ज्योति में लीन हो गए.

सिरसा: जिले में सिक्खों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह का प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया. दसवीं पातशाही श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में नगर कीर्तन का आयोजन किया गया.

नगर किर्तन का आयोजन

इस नगर कीर्तन की शुरुआत दशमी पातशाही गुरुद्वारा से हुई. नगर कीर्तन शहर के विभिन बाज़ारो से होता हुआ गुजरा. ये नगर किर्तन शाम को गुरुद्वारा साहिब में पहुंचा. इस नगर कीर्तन की अगुवाई पंज प्यारे कर रहे थे. इस नगर कीर्तन में गतका पार्टी ने भी अपने जोहर दिखाए. नगर कीर्तन का हिस्सा बने श्रद्धालूओं का कहना है की आज संगतो में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है. सुबह से ही शहर के अलग अलग चोको पर नगर कीर्तन का स्वागत हो रहा है.

सिरसा में नगर कीर्तन का आयोजन, देखें वीडियो

श्री गुरु गोबिंद सिंह

आमजन श्री ग्रन्थ साहिब के आगे नतमस्तक होते दिखे रहे. गुरु गोबिंद सिंह सिक्खों के दसवें गुरु थे. उनका जन्म 26 दिसम्बर 1666 को श्री पटना साहिब में हुआ था. उनके पिता गुरु तेग बहादुर की मृत्यु के बाद 11 नवम्बर सन् 1675 को वे गुरू बने.

वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे. सन 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पन्थ की स्थापना की जो सिखों के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है.गुरू गोबिन्द सिंह ने सिखों की पवित्र ग्रन्थ गुरु ग्रंथ साहिब को पूरा किया और उन्हें गुरु के रुप में सुशोभित किया. बिचित्र नाटक को उनकी आत्मकथा माना जाता है. औरंगजेब की मृत्यु के बाद गुरू गोबिन्द सिंह ने बहादुरशाह को बादशाह बनाने में मदद की.

गुरुजी और बहादुरशाह के संबंध अत्यंत मधुर थे. इन संबंधों को देखकर सरहद का नवाब वजीत खाँ घबरा गया. इसलिए उसने दो पठान गुरुजी के पीछे लगा दिए. इन पठानों ने गुरुजी पर धोखे से घातक वार किया, जिससे 7 अक्टूबर 1708 में गुरुजी (गुरु गोबिन्द सिंह जी) नांदेड साहिब में दिव्य ज्योति में लीन हो गए.

Intro:एंकर - दसवीं पातशाही श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के उपलक्ष में आज सिरसा में नगर कीर्तन का आयोजन किया गया,इस नगर कीर्तन की शुरुवात दशमी पातशाही गुरुद्वारा से हुई,नगर कीर्तन शहर के विभिन बाज़ारो से होता हुआ शाम को गुरुद्वारा साहिब में पहुंचेगा। नगर कीर्तन की अगुवाई पंज प्यारे कर रहे थे,इस नगर कीर्तन में गतका पार्टी ने भी अपने जोहर दिखाए।


Body:वीओ - नगर कीर्तन का हिस्सा बने श्र्धलुओ का कहना है की आज संगतो में बड़ा उत्साह देखने को मिल रहा है,सुबह से ही शहर के अलग अलग चोको पर नगर कीर्तन का स्वागत हो रहा है,आमजन श्री ग्रन्थ साहिब के आगे नतमस्तक होते दिखे।
बाइट - सरबजीत सिंह
बाइट - जश्न सिंह Conclusion:
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