सिरसा: हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश जरूर है, लेकिन खेती हरियाणा के किसानों के लिए अब घाटे का सौदा बनती जा रही है. हरियाणा के किसान आज कर्ज के कारण कराह रहे हैं. उपजाऊ जमीन कम हो रही है और डीजल, खाद, कीटनाशकों के दाम लगातार बढ़े रहे हैं. यही कारण है कि किसान सड़कों पर उतरकर धरना-प्रर्दशन करने को मजबूर हैं.
भूजल की चिंताजनक स्थिति
हरियाणा में आज भूजल के लिहाज से स्थिति चिंताजनक है. फसलीचक्र न अपनाने का नतीजा है की आज सोना उगलने वाली धरती बंजर होती जा रही है. सब्जियों और फलों की खेती के प्रति शासन और प्रशासन में उदासीनता का आलम है. तो वहीं जैविक खेती न के बराबर हो रही है.
कितनी भूमि पर किस फसल की खेती ?
हरियाणा में खेती के गणित को समझने के लिए हमें इसकी गहराई में जाना होगा. हरियाणा में करीब 36 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है रबी के सीजन में यहां करीब 25 लाख हेक्टेयर में गेहूं, सवा 6 लाख में धान, बाजरा और 70 हजार हेक्टेयर में ज्वार की खेती की जाती है. 4 लाख हेक्टेयर में सब्जियां और करीब 995 हेक्टेयर में फूलों की खेती की जाती है.
अगर सिंचाई की बात करें तो करीब 18 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई नलकूपों से जबकि 12 लाख हेक्टेयर भूमि की नहरी पानी से सिंचाई होती है. हरियाणा में करीब 2 लाख 79 हजार ट्रैक्टर है. हरित क्रांति के दौर में कीटनाशकों और खादों के प्रयोग व मशीनीकरण के बाद गेहूं धान का उत्पादन बढ़ा है. इससे किसानों की माली हालत भी सुधरी है और यहां के किसानों का लाइफ स्टाइल भी बदला, लेकिन इस उजले पक्ष के अलावा एक धुंधला पक्ष भी है.
अब जमीन की जोत कम हो रही है फरीदाबाद और गुरुग्राम में तो खेती के लिए जमीन न के बराबर बची है. किसान अपनी जमीन खोता जा रहा है और यहां के नौजवान प्राइवेट सेक्टर में छोटी मोटी नौकरी करने को मजबूर हो गए हैं. इसके अलावा फसल का उचित मूल्य ना मिलने के कारण नई पीढ़ी खेती से तौबा करने लगी है.
जमीन की जोत हो रही कम
हरियाणा कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में कुल 16 लाख 17 हजार किसान परिवार हैं. इसमें मध्यम वर्गीय किसानों की संख्या 7 लाख 78 हजार है, जिनके पास एक से 2 एकड़ जमीन है. इसी तरह 1 से 2 हेक्टेयर भूमि वाले 3 लाख 15 हजार और दो हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले 5 लाख 24 हजार किसान हैं. जाहिर है कि हरियाणा में अब जोत भी निरंतर कम होती जा रही है.
अन का कटोरा भर रहा है
रोचक पहलू ये है कि हरियाणा देश का प्रमुख गेहूं धान कपास और सरसों का उत्पादित राज्य है. साल 2018 और 19 में करीब एक करोड़ 17 लाख 80 हजार टन गेहूं का उत्पादन हुआ जबकि 6 लाख 12 हजार हेक्टेयर जमीन पर 11 लाख 23 हजार टन सरसों का उत्पादन हुआ. इसी तरह से खरीफ सीजन में 6 लाख 48 हजार हेक्टेयर जमीन पर 26 लाख 38 हजार गांठ नरमे का उत्पादन हुआ और 12 लाख हेक्टेयर जमीन पर में 42 लाख 4 हजार टन धान का उत्पादन हुआ.