सिरसा: केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानून रद्द करने के बाद और सरकार द्वारा किसानो की मांगों को मानने पर सहमति बनने के बाद किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर धरना स्थगित कर दिया था. साथ ही दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान अपने-अपने घरों को लौट गए थे. वहीं अभी तक किसानों की मांगें पूरी नहीं होने पर किसान जत्थेबंदियों ने 7 फरवरी को करनाल जिला सचिवालय का घेराव कर अनिश्चितकालीन धरने की चेतावनी दी (protest at Karnal District Secretariat) है.
किसान नेताओं ने बताया कि कृषि कानून रद्द होने के बाद किसानों का धरना समाप्त करवाने के लिए सरकार ने जो आश्वासन दिए थे, वो अभी तक पूरे नहीं किए गए है. एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने, फसल पंजीकरण की शर्त हटाने, खराब फसलों का मुआवजा देने, आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने, खेती के लिए डीजल टेक्स देने सहित अन्य मांगों को लेकर आश्वासन दिया गया था. लेकिन अब तक इन मागों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इसी के चलते किसान संगठनों ने 7 फरवरी से करनाल के जिला सचिवालय में अनिश्चितकालीन घेराव करने का (farmer protest in Karnal) फैसला लिया है.
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7 फरवरी से दिए जाने वाले इस धरने में भारतीय किसान एकता, पगड़ी संभाला जट्टा व हरियाणा किसान एकता सहित वे संगठन शामिल होंगे जो संयुक्त मोर्चा के सदस्य है. इसी को लेकर गुरूवार को सिरसा में कोर्ट कॉलोनी स्थित जाट धर्मशाला में भारतीय किसान एकता के प्रदेशाध्यक्ष लखविन्द्र सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित ( Farmers press conference in Sirsa) किया. लखविन्द्र सिंह औलख ने कहा कि सरकार वायदे कर मुकर रही है. किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस होने तो दूर बल्कि इसको लेकर नोटिस भेजे जा रहे हैं. इसी के विरोध में एक बार फिर से आंदोलन शुरू किया जाएगा. लखविन्द्र सिंह औलख ने कहा कि 7 फरवरी से करनाल में पक्के मोर्चा का धरना शुरू किया जाएगा. इसके बाद आगामी आंदोलन को लेकर रणनीति बनाई जाएगी.
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