सिरसा: हरियाणा का सिरसा जिला कॉटन, गेहूं और किन्नू की खेती के लिए जाना जाता है. प्रदेश की सियासत में भी ये जिला अलग ही पहचान रखता है, लेकिन ये पहचान अब बदलती जा रही है. अब सिरसा खेती या सियासत के लिए मशहूर नहीं, बल्कि नशे के लिए बदनाम हो चुका है.
इन नशों का हो रहा है इस्तेमाल
नशे की तस्करी शहर के नौजवानों के भविष्य को अंधकार में धकेल रही है. दशकों पहले अफीम, चूरापोस्त, गांजा से शुरू होने वाले नशे के कारोबार में अब चिट्टा यानी हेराइन, स्मैक, नशीली दवाइयां-इंजेक्शन शामिल हो गए हैं. डॉक्टर्स के मुताबिक 12 से 18 साल के युवा नशे की चपेट में ज्यादा आ रहे हैं.
नशे के लिए घर का सामान बेच रहे युवा
ज्यादातर मरीजों का कहना है कि उन्होंने शौकिया तौर पर नशे का सेवन करना शुरू किया. कब ये जानलेवा हो गया इसका पता ही नहीं चला. कुछ मरीजों ने नशा करने के लिए घर का सामान तक बेच दिया. ज्यादातर युवा सही जानकारी ना होने और गलत संगत की वजह से नशे का शिकार हो रहे हैं.
बदल गया है नशे का चलन
अब यहां के लोगों में वाहनों के टॉयर, ट्यूब और पैट्रोल सूंघकर नशे का चलन भी बढ़ गया है. हालात ये हैं कि सिरसा नशे के मामले हरियाणा के सभी जिलों से सबसे ऊपर है. नागरिक अस्पताल के मनोचिकित्सक ने युवाओं के नशे में फंसने के कई कारण बताएं हैं.
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हैरानी की बात ये है कि नशा करने वालों में अब लड़कियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. डॉक्टर्स के मुताबिक नशा लड़कियों को लड़कों के मुकाबले ज्यादा तेजी से नुकसान पहुंचाता है. 12 से 18 साल के युवा नशे की लत में ज्यादा फंस रहे हैं. जो बेहद चिंताजनक हैं.